पयर्टन कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि पर्यटन उद्योग 6 माह के अंदर अपनी पुरानी स्थिति पर आ जाएगा। पर्यटन कारोबारी धनंजय विजय सिंह ने बताया कि पिछले एक माह के अंदर पर्यटन केन्द्रों पर पर्यटकों की भीड़ बढ़ी है। देश में रहने वाले विदेशी पर्यटक भी अब आने लगे हैं। वहीं ट्रेवल एजेंट देवेन्द्र माधव बताते हैं कि वर्तमान में सबसे ज्यादा पर्यटक नेशनल पार्कों और जंगलों और एकांत में स्थित एतिहासिक और धार्मिक स्थलों में भ्रमण कर रहे हैं।
कान्हा नेशनल पार्क सबसे ज्यादा पसंदीदा
कान्हा नेशनल पार्क पर्यटकों की पहली पसंद है। यहां की सफारी एंट्री प्वाइंट कान्हा, किसली, मुक्की और सरही ज्यादातर दिनों में बुक रहते हैं। इस में सबसे ज्यादा मुक्की में पर्यटकों की भीड़ होती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि यहां सफारी करने वाले पर्यटकों को बाघ दिखाई देते हैं। इसी तरह से पेंच के जामताड़ा और टूरिया सफारी प्वाइंट पर भी भी भीड़ होती है। पन्ना के अकोला और झिन्ना तथा बांधवगढ़ के मगधी और टाला सफारी प्वाइंटों पर पर्यटकों की ज्यादा भीड़ देखी जा सकती है।
सतपुड़ा और संजय की स्थिति कमजोर
सतपुड़ा और संजय नेशनल पार्क अक्सर खाली रहते हैं। इन पार्कोँ में फिलहाल चार नवम्बर तक एक भी बुकिंग नहीं हुई है। इसकी वजह यह है कि यहां सफारी में बाघ सहित अन्य वन्यप्राणी कम दिखाई देते हैं। ऊंची पहाड़ी होने के कारण टाइगर नहीं दिखाई देते हैं। इसके चलते यहां के पर्यटक पचमढ़ी और जंगल सफारी को ज्यादा पसंद करते हैं।
धार्मिक पर्यटनों पर रही भीड़
धार्मिक पर्यटक स्थलों पर भी अब भीड़ होने लगी है। यहां अक्सर त्यौहारों और मान्यताओं के समय पर्यटकों की भीड़ होती है। इन सभी पर्यटक स्थलों पर ऐसे पर्यटक जाते हैं जिन्हें वहां रात्रि विश्राम नहीं करना पड़े।
कान्हा नेशनल पार्क पर्यटकों की पहली पसंद है। यहां की सफारी एंट्री प्वाइंट कान्हा, किसली, मुक्की और सरही ज्यादातर दिनों में बुक रहते हैं। इस में सबसे ज्यादा मुक्की में पर्यटकों की भीड़ होती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि यहां सफारी करने वाले पर्यटकों को बाघ दिखाई देते हैं। इसी तरह से पेंच के जामताड़ा और टूरिया सफारी प्वाइंट पर भी भी भीड़ होती है। पन्ना के अकोला और झिन्ना तथा बांधवगढ़ के मगधी और टाला सफारी प्वाइंटों पर पर्यटकों की ज्यादा भीड़ देखी जा सकती है।
सतपुड़ा और संजय की स्थिति कमजोर
सतपुड़ा और संजय नेशनल पार्क अक्सर खाली रहते हैं। इन पार्कोँ में फिलहाल चार नवम्बर तक एक भी बुकिंग नहीं हुई है। इसकी वजह यह है कि यहां सफारी में बाघ सहित अन्य वन्यप्राणी कम दिखाई देते हैं। ऊंची पहाड़ी होने के कारण टाइगर नहीं दिखाई देते हैं। इसके चलते यहां के पर्यटक पचमढ़ी और जंगल सफारी को ज्यादा पसंद करते हैं।
धार्मिक पर्यटनों पर रही भीड़
धार्मिक पर्यटक स्थलों पर भी अब भीड़ होने लगी है। यहां अक्सर त्यौहारों और मान्यताओं के समय पर्यटकों की भीड़ होती है। इन सभी पर्यटक स्थलों पर ऐसे पर्यटक जाते हैं जिन्हें वहां रात्रि विश्राम नहीं करना पड़े।