एनजीटी सेंट्रल जोनल बेंच ने उज्जवल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने पिछली सुनवाई में मोतिया तालाब की जांच के लिए समिति बनाई थी। इसमें एप्को की चीफ साइंटिफिक ऑफिसर डॉ विनीता विपट, एम्प्री के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ जयप्रकाश शुक्ला के साथ सीपीसीबी और एमपीपीसीबी के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मोतिया तालाब में अभी भी ईदगाह हिल्स का पूरा सीवेज और गंदा पानी जा रहा है। तालाब में दो बड़े नाले मिलते हैं एक एसबीआई नाला और दूसरा ईदगाह हिल्स नाला। इसके साथ तालाब के पास मौजूद बस्ती का पूरा गंदा पानी और सीवेज भी मोतिया तालाब में मिल रहा है। समिति की रिपोर्ट आने के बाद एनजीटी ने नगर निगम से मोतिया तालाब के संबंध में पूरी पॉलिसी, प्लानिंग और कार्रवाई रिपोर्ट 4 सप्ताह में मांगी है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी निर्देशित किया गया है कि वह तालाब संरक्षण संबंधी उपाय सुझाए और अगली सुनवाई के पहले कार्रवाईरिपोर्ट पेश करे।
समिति ने यह की सिफारिशें – नगर निगम मोतिया तालाब में मिलने वाले नालों को बंद कर करें या इन्हें एक माह के अंदर सीवर लाइन से जोडऩे का काम करे। – तालाब के पास स्थित स्लम एरिया की गंदगी रोकने के लिए इसे कहीं और विस्थापित किया जा सकता है।
– मोतिया तालाब में बीच में अभी एक फाउंटेन लगा हुआ है, पानी में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए एक फाउंटेन और लगाने की जरूरत है। – तालाब के उत्तरी भाग में पक्की बाउंड्री और वॉकिंग के लिए प्लेटफार्म बनाया जाना चाहिए और आसपास सफाई की व्यवस्था होना चाहिए।