सदन में कई मौके ऐसे आते हैं, जब विधायक तैश में आकर या फिर कटाक्ष करते हुए एक दूसरे के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं जो आमतौर पर इस्तेमाल करने योग्य नहीं होते। इन्हेंं असंसदीय शब्दों में श्रेणी में रखा जाता है। सदन में स्पीकर इन शब्दों को सदन की कार्यवाही से विलोपित करा देते हैं, जिससे यह रिकार्ड में नहीं रहते। वहीं सदस्यों को आगाह भी किया जाता है कि वे इनका इस्तेमाल न करें। अब विधायकों को बताया जाएगा कि उन्हें इनका इस्तेमाल नहीं किया जाना है। 9 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र के पहले होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विधायकों को यह पुस्तक दी जाएगी।
चुनाव में धार देते हैं ऐसे शब्द –
पप्पू, फेंकू, बंटाधार, मामू जैसे तमाम ऐसे शब्द हैं जो तमाम शब्द हैं जो चुनावी सभाओं में खुलकर बोले जाते हैं। नेताओं के भाषण को धार देते हैं, लेकिन सदन में यही शब्द कई बार विशेषाधिकार हनन की श्रेणी में आ जाते हैं। विधानसभा सचिवालय ने अभी तक की हुई कार्यवाही में से इन शब्दों को छांटकर निकाला है। इसी के साथ ही अन्य राज्यों की विधानसभा और लोकसभा से भी जानकारी बुलाई गई है। विधायकों को दी जाने वाली पुस्तक में इन सभी शब्दों का समावेश होगा।
पप्पू, फेंकू, बंटाधार, मामू जैसे तमाम ऐसे शब्द हैं जो तमाम शब्द हैं जो चुनावी सभाओं में खुलकर बोले जाते हैं। नेताओं के भाषण को धार देते हैं, लेकिन सदन में यही शब्द कई बार विशेषाधिकार हनन की श्रेणी में आ जाते हैं। विधानसभा सचिवालय ने अभी तक की हुई कार्यवाही में से इन शब्दों को छांटकर निकाला है। इसी के साथ ही अन्य राज्यों की विधानसभा और लोकसभा से भी जानकारी बुलाई गई है। विधायकों को दी जाने वाली पुस्तक में इन सभी शब्दों का समावेश होगा।
स्पीकर बोले –
विधायकों से अपेक्षा की जाती है कि वे सदन में संसदीय शब्दों का ही इस्तेमाल करें। कुछ शब्द ऐसे हैं जो अससंदीय की श्रेणी में आते हैं, इसलिए इन शब्दों का चयन कर विधायकों को बताया जाएगा कि वे इनका इस्तेमाल न करें।
विधायकों से अपेक्षा की जाती है कि वे सदन में संसदीय शब्दों का ही इस्तेमाल करें। कुछ शब्द ऐसे हैं जो अससंदीय की श्रेणी में आते हैं, इसलिए इन शब्दों का चयन कर विधायकों को बताया जाएगा कि वे इनका इस्तेमाल न करें।
– गिरीश गौतम, विधानसभा अध्यक्ष