भास्कर समूह ने किए 2200 करोड़ के फर्जी लेन-देन

सेबी नियमों का उल्लंघन, बेनामी कानून में कार्रवाई, कर्मचारियों के नाम पर बनायीं फर्जी कंपनियां, कमाई कम दिखाने का खेल…।

नई दिल्ली/भोपाल। भास्कर समूह की कंपनियों (bhaskar group of companies ) के 2200 करोड़ रुपए के फर्जी लेन-देन पकड़े जा चुके हैं। समूह की कंपनियों की शनिवार को तीसरे दिन भी जारी जांच के बीच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि समूह की कंपनियों के खातों से आपस में 2200 करोड़ रुपए के लेनदेन किए गए हैं और ये ऐसी कंपनियां हैं, जिनके कारोबार बिल्कुल अलग-अलग तरह के हैं। जांच में पुष्टि हुई है कि ये फर्जी लेन-देन है, जिनमें वास्तव में किसी तरह के सामान का आदान-प्रदान नहीं हुआ है। दूसरे कानूनों के उल्लंघन में कितनी राशि शामिल है, यह अभी तय किया जा रहा है।

 

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आयकर विभाग ने शनिवार को बयान जारी कर बताया है कि अब तक इस समूह की ओर से गैर-कानूनी तरीकों से की जा रही 700 करोड़ रुपए की आय पर कर चोरी के साक्ष्य मिले हैं। ये लेन-देन पिछले छह साल की अवधि के हैं। आयकर विभाग को अभी यह रकम बढ़ने की उम्मीद है।

 

 

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कर्मचारियों के नाम पर चल रही थी फर्जी कंपनियां

आयक विभाग का कहना है कि समूह ने सेबी की ओर से लिस्टेट कंपनियों के लिए निर्धारित नियमों का भी उल्लघन किया है। साथ ही इस पर बेनामी लेन-देन प्रतिबंध कानून के तहत भी जांच की जाएगी। समूह ने होल्डिंग और सब्सिडियरी कंपनी समेत कुल 100 से ज्यादा कंपनियां गठित की हुई है। बहुत-सी कंपनियां कर्मचारियों के नाम पर चलाई जा रही थीं। इनका काम सिर्फ फर्जी खर्च दिखाना और रकम को रूट करना था। निदेशक और शेयर होल्डर के तौर पर दिखाए गए कई कर्मचारियों ने छापों के दौरान माना कि उन्होने अपने आधार कार्ड और डिजिटल सिग्नेचर विश्वास करके दे दिए थे और उन्हें ऐसे कारोबार के बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसी तरह कुछ रिश्तेदार पाए गए, जिन्होंने कागजात पर जान-बूझकर दस्तखत कर दिए हैं, लेकिन उन्हें भी कारोबार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि उन्हें डायरेक्टर और शेयर होल्डर दिखाया गया। इन कंपनियों का उपयोग लिस्टेड कंपनी के फर्जी खर्च दिखाकर मुनाफे को छुपाना, धन को दूसरी कंपनियों में गैर कानूनी तरीके से भेज देना और सक्रुलर ट्रांजेक्शन करना है। फर्जी खर्च में मैनपावर की सप्लाई से लेकर परिवहन और आपूर्ति से लेकर सिविल काम और काल्पनिक कारोबार आदि शामिल है।

 

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घरों में 26 लॉकर मिले

समूह के प्रमोटर्स और प्रमुख कर्मचारियों के आवासीय परिसरों में 26 लॉकर पाए गए हैं, जिनकी पड़ताल जारी है। इसी तरह छापे के दौरान मिले कागजातों की जांच भी जारी है। आयकर विभाग ने कहा है कि बिजली, कपड़ा, रियल एस्टेट और मीडिया के कारोबार वाले इस समूह के मुंबई, दिल्ली, भोपाल, जयपुर, जांजगीर-चांपा, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद समेत 9 शहरों में 20 आवासीय और 12 कारोबारी ठिकानों पर गुरुवार को छापा मारा था।

 

मॉल के कर्ज में भी गड़बड़ी

मॉल का संचालन करने वाले समूह की अचल संपत्ति इकाई को एक निर्धारित समयावधि के लिए बैंक से 597 करोड़ रुपए ऋण स्वीकृत किया गया था। इसमें से 408 करोड़ रूपए को एक प्रतिशत की कम ब्याज दर पर ऋण के रूप में एक सहयोगी संस्था को दिया गया है। जबकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से ब्याज के खर्च का दावा कर रही है, इसे होल्डिंग कंपनी के व्यक्तिगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया है।

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