कोरोना होने से सांस लेने में हुई परेशानी, 15 दिनों तक रही वीकनेस, फिटनेस बनाकर जीता गोल्ड

लॉकडाउन के बाद पहली बार आयोजित हुई नेशनल नॉर्थ इंडिया बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट चैंपियनशिप में शहर के बॉडीबिल्डरों ने जीते गोल्ड मेडल

<p>कोरोना होने से सांस लेने में हुई परेशानी, 15 दिनों तक रही वीकनेस, फिटनेस बनाकर जीता गोल्ड</p>

भोपाल. कोरोना वायरस से बचने के लिए फिटनेस ने लोगों का बहुत साथ दिया है। ऐसे कई लोग हैं जो इस महामारी की चपेट में आने के बाद भी अपने आप को रिकवर कर सके हैं। वहीं शहर के ऐसे फिटनेस लवर्स भी हैं, जो फिटनेस के कारण ही कोरोना वायरस को हराया है। इतना ही नहीं वे आज बॉडी बिल्डिंग जैसे खेलों में गोल्ड मेडल जीत रहे हैं। दिल्ली में आयोजित नॉर्थ इंडिया बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। जिसमें शहर के प्रदीप भाटी और उनके शिष्य दीपांशु पटेल और अमिता सिंह ने स्वर्ण पदक जीते हैं। प्रदेश में अनलॉक के बाद यह उनकी प्रतियोगिता थी, जिसमें इन खिलाडिय़ों ने पहले तो कोरोना को मात दी फिर देश के बॉडीबिल्डरों के बीच खिताब भी जीते। पत्रिका प्लस ने इन खिलाडिय़ों से उनके अनुभव शेयर किए।

ट्रेनिंग में खाता था देसी फूड

प्रदीप भाटी ने बताया कि मुझे मई में कोरोना वायरस हो गया था। मैं सांस नहीं ले पा रहा था। इसके बाद 15 दिनों तक वीकनेस बनी रही। मेरी पावर, स्टैंथ बिल्कुल भी कम हो गई थी। लेकिन मेडिसिन लेने के साथ फिटनेस पर भी ध्यान दिया था। जिससे बहुत जल्द रिकवर का पाया। इसके बाद घर में काढ़ा के साथ डॉक्टर्स की दवाइंयों का सेवन किया। वहीं लॉकडाउन के दौरान जिम बंद थे इसलिए वर्कआउट नहीं हो पा रहा था लेकिन पर्सनली ही ट्रेनिंग करता था। क्योंकि जब अनलॉक हो तो चैंपियनशिप प्रभावित न हों। स्टैंथ भी कम न पड़े। मैंने नॉर्थ इंडिया ब्रेंच प्रेस और डेडलिफ्ट चैंपियनशिप के 83 केजी वेट कैटेगरी में जीता है। घर में ट्रेनिंग के दौरान देसी फूड ही खाता था। इसमें रोटी, दाल, राइज, प्रोटिन में सोया और पनीर खाता था। इसके साथ ही मिल्क के प्रोडक्ट उपयोग होता है।

फिटनेस फ्रेंक थी इसलिए कोरोना को हरा सकी
अमिता सिंह ने बताया कि मुझे अप्रेल में कोरोना वायरस हो गया था। इस दौरान मैं घर में अकेले थी। तीन दिनों तक मैं बहुत सीरियस हो गई थी। ऑक्सीजन की कमी से सांस लेने में दिक्कत आने लगी थी। फिर कुछ समय जब रिकवर करने लगी तो डॉक्टर्स ने होम क्वारेंटाइन कर दिया था। पहले से फिटनेस फ्रेंक थी तो कोरोना से कवर करने में मदद मिली। डॉक्टर्स की सवाल के बाद ही मुझे रिकवरी करने में मदद मिली। इस दौरान कोच और दोस्तों ने खूब सर्पोट किया। वे जरूरत का सामान लाकर दे देते थे। जब आराम लगने लगा तब भी क्वारेंटाइन ही रही। इस फिर मैंने मई से ही वर्कआउट शुरू कर की। पहले तो बहुत कमजोरी होने लगी थी लेकिन धीरे-धीरे फिटनेस से रिकवर हो गई और चैंपियनशिप के लिए खुद को तैयार कर लिया। मैं पिछले 2017 से पावरलिफ्टिंग कर रही हूं। यह लॉकडाउन में मेरी पहली चैंपियनशिप थी।

15 दिन की तैयारी में जीता है गोल्ड
दीपांशु पटेल ने बताया कि मैंने जूनियर कैटेगरी में भाग लिया था। जिसमें डेडलिफ्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। मैं पिछले एक साल से पावरलिफ्टिंग कर रहा हंू। लॉकडाउन में जिम बंद रहे इसलिए घर में ही डंबल और रजिस्टैंड बैंड लाकर वर्कआउट करता था। मैं बीयू में फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई कर रहा हूं। अनलॉक के बाद पहली चैंपियनशिप थी इसलिए तैयारी के लिए समय कम मिला था। मुझे 15 दिन पहले ही मालूम चला था कि दिल्ली में चैंपियनशिप होने वाली है। बस इसके बाद ही तैयारी में जुट गया था। यानी मैं 15 दिनों की तैयारी में ही पदक जीता है। लॉकडाउन में मार्केट बंद रहे तो पनीर खाकर ही प्रोटोन लेता था। कुछ सामान पहले से ही घर में रख लिए थे।

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