Coronavirus Outbreak : प्रभावित देशों से मध्य प्रदेश में आए 1100 संदिग्ध, 30 फीसदी का अब तक पता नहीं

बीते दिनों में प्रभावित देशों से यहां 500 लोग आ चुके हैं, लेकिन इनमें करीब 30 फीसदी लोग अब तक नहीं मिले हैं, जिन्हें खोजकर उनकी स्क्रीनिंग की जा सके।

<p>Coronavirus Outbreak : प्रभावित देशों से मध्य प्रदेश में आए 1100 संदिग्ध, 30 फीसदी का अब तक पता नहीं</p>

भोपाल/ कोरोना वायरस का असर विश्व के कई देशों के बाद अब भारत में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक भारत में अब तक कोरोना सं संक्रमित मरीजों की संख्या 383 पर आ पहुंची है। वहीं, इस संक्रमण के कारण अब तक 7 लोगों के मरने की भी खबर है। हालांकि, इस संक्रमण में लिप्त 23 लोगों को अब तक ठीक भी किया जा चुका है। देश के लघभग सभी राज्यों में इसके संदिगघ् सामने आ चिके हैं, लेकिन मध्य प्रदेश को अब तक इस संक्रमण से बहुत हद तक मुक्त राज्य माना जा रहा है, क्योंकि, यहां आज राजधानी भोपाल में सामने आए मामले को मिलाकर कुल पांच पॉजिटिव मरीज ही पाए गए हैं। ये आंकड़ा पिछले चार दिन पहले तक जीरो था, जिसके चलते संक्रमित देशों में रहने वाले एमपी के लोगों ने बड़ी संख्या में यहां आना शुरु कर दिया था, जो प्रशासन के लिए बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है।

 

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भोपाल के ही 30 फीसदी संदिग्ध कहां हैं, पता नहीं

दरअसल, कोरोना के डर से विदेशों से भागकर वापस मध्य प्रदेश आए लोगों को खोजना प्रशासन के लिए बड़ी मुश्किल बना हुआ है। कोरोना फैलने के बाद से प्रदेशभर में पिछले तीन चार दिनों तक करीब 1100 लोग प्रभावित देशों से यहां आ चुके हैं। इनमें अकेले 500 लोगों का पता भोपाल का ही है। अब प्रशासन को ये तो पता चल चुका है कि, बीते दिनों में प्रभावित देशों से यहां कितने लोग आ चुके हैं, लेकिन इनमें करीब 30 फीसदी लोग अब तक नहीं मिले हैं, जिन्हें खोजकर उनकी स्क्रीनिंग की जा सके। प्रशासन की ओर से जानकारी मिली है कि, जो संदिग्ध लोग अब तक मिले हैं इसका कारण ये है कि उनके पासपोर्ट में लिखा पता बदल गया है। साथ ही, कई पासपोर्ट्स पर लिखा फोन नंबर भी बंद है।

 

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इस तरह मिली है संदिग्धों की सूची

आपको बता दें कि, प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की सूची एयरपोर्ट अथॉरिटी से मिलती है और वो जानकारी पासपोर्ट पर दर्ज जानकारी के आधार पर दी जाती है। ये जानकारी स्वास्थ्य संचालनालय को भेजी जाती है। संचालनालय इस सूची को पतों के अनुसार, संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजता है। जिला स्वास्थ अधिकारी दर्ज पतों के आधार पर संदिग्धों को ढूंढकर उनकी जांच करता है। भोपाल में अब तक 500 लोगों की सूची आ चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसके आधार पर संदिग्धों को ढूंढकर उनकी स्क्रीनिंग करनी शुरु कर दी। पर कई लोगों के पते पर पहुंचने पर टीम को पता चला कि, वो अब इस पते पर नहीं रहते। कुछ लोगों का पता तो मिल जाता है, पर वो भोपाल आने के बजाय किसी और जिले में रुक गए हैं।

 

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150 से अधिक संदिग्ध गायब

ये कहानी किसी एक दो यात्रियों की नहीं, बल्कि करीब 150 से अधिक लोगों की है। भोपाल में स्वास्थ्य विभाग के अफसर के मुताबिक, जो लोग स्वास्थ संचालनालय द्वारा दिए गए पते पर नहीं मिले हैं, उनके मौजूदा पते के बारे में स्पष्ट पता लगाया जा रहा है, अगर वो इसी जिले में रह रहे हैं, तो स्थानीय अधिकारी के साथ चिकित्सकों की टीम भेजकर संदिग्धों की जांच कराने की तैयारी की जा चुकी है। वहीं, जो लोग मौजूदा समय में भोपाल छोड़कर किसी अन्य जिले में जा बसे हैं, उनका भी स्पष्ट पता लगाकर संबंधित जिलो के सीएमएचओ को उनकी जानकारी भेजी जा रही है, ताकि, समय रहते उनकी स्क्रीनिंग भी की जा सके। इन यात्रियों में जो भी मिलते जा रहे हैं, उन्हें 14 दिन तक घरों से अलग रखकर निगरानी की जा रही है।

 

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इस तरह की जा रही निगरानी

प्रभावित देशों से भोपाल में आने वाले लोगों को क्षेत्र के अनुसार 8 जोनों में बांटा गया है हर जोन के लिए एक अधिकारी नियुक्त किये जा चुके है। उसके नीचे कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। हर एक संदिग्ध की निगरानी का जिम्मा किसी न किसी कर्मचारी को सौंपा गया है। वो फोन व वाट्सएप पर संदिग्ध की पल पल की जानकारी लेते रहते हैं। साथ ही, समय समय पर डॉक्टरों की टीम भी संदिग्ध व्यक्ति घर जाकर निगरानी कर रही है।

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