भोपाल

Fact check: बार-बार पानी पीने से खत्म हो जाता है कोरोना वायरस? जानिए ये दावा कारगर है या नहीं

आइये जानते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फेक्ट्स और उनकी सच्चाई

भोपालApr 04, 2020 / 11:49 am

Tanvi

भोपाल/ मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। प्रदेश में अब तक कोरोना के 136 मामले सामने आ चुके हैं। बिगड़ते हालात के कारण लोगों में संक्रमण को लेकर डर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी संक्रमण से बचे रहने को लेकर कई सुझाव और तर्क दिये जा रहे हैं। हालांकि इनमें से कुछ टिप्स तो ठीक हैं, लेकिन कुछ का पालन करना ठीक नहीं है। ऐसा ही एक पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि, थोड़ी थोड़ी देर के अंतराल से पानी पीकर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है।

 

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दरअसल, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की गई है जिसमें हमें मुंह और गले को हमेशा गीला रखने और हर 15 मिनट में पानी पीने की सलाह दी गई है। इसके पीछे ये दलील दी गई है कि ऐसा करने से हमारी ग्रासनली से वायरस साफ होकर पेट में चले जाएंगे और पेट में मौजूद एसिड से मर जाएंगे।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में एपिडेमोलॉजिस्ट कल्पना सबापैथी ने बीबीसी फ्यूचर से बताया कि, कोई भी संक्रमण कभी भी किसी एक कण से नहीं फैलता बल्कि ये हजारों या लाखों पार्टिकल्स के संपर्क में आने से होता है और इस थ्योरी से कुछ वायरस की सफाई से बहुत ज्यादा फर्क नहीं देखने को मिलेगा। क्योंकि ग्रासनली से पहले ही आपकी नाक से भी वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर चुका होगा। ऐसा न भी हो तो आंखों से या अन्य रास्तों से वायरस प्रवेश कर सकता है। संक्रमित जगह या सतह को छूकर आप अपनी आंखें छुएंगे और वायरस आपको संक्रमित कर देगा। किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकले ड्रॉपलेट्स आपकी सांसों के जरिए अंदर जाकर भी आपको संक्रमित कर सकते हैं।

 

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आइये जानते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फेक्ट्स और उनकी सच्चाई

पानी पीकर कोरोना वायरस के संक्रमण को नष्ट किया जा सकता है? ये तरीका इसलिए कारगर नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे लेकर अब तक किसी रिसर्च में ये बात स्पष्ट नहीं है। वायरल वीडियों में तर्क दिया गया है कि, वायरस पेट में पहुंचने पर खत्म हो जाते हैं, इसके पीछे बड़ी वजह पेट में मौजूद अम्लीय रसों का pH (अम्लीयता का पैमाना) 1 से 3 के बीच होता है। लेकिन, अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि, वाकई पेट में मौजूद एसिड कोरोना संक्रमण को नष्ट करने में भी सक्षम है।

इसकी बड़ी वजह साल 2012 में सऊदी अरब में सामने आया एक वायरस है। इस वायरस को कोरोना के परिवार का ही वायरस पैथोजेन माना जा रहा है। इस वायरस में हल्के एसिड या पेट में मौजूद एसिड के बीच भी खुद को सुरक्षित रखने की शक्ति रखता था। उस वायरस पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक, वो वायरस मरीजों के पेट में जाकर भी निष्केरीय नहीं होता था। वो आंत की कोशिकाओं पर भी आसानी से हमला कर सकता था। अगर अब तक की रिसर्च में ये सामने आया है कि, ये संक्रमण पैथोजेन वायरस की ही फैमली का है, तो ये दावा भी पूरी तरह दुरुस्त नहं हो सकता कि, वायरस पेट में पहुंचकर नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

क्योंकि, कोरोना के केस में भी हमने देखा कि, कई संक्रमितों में उल्टी और दस्त जैसे लक्षण भी देखे गए गए हैं। चीन के कुछ शोधकर्ता भी ये मानते हैं कि, ये वायरस पाचन तंत्र के संक्रमित और नुकसान पहुंचाने के संकेत माने जा सकते हैं। एक रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि, अब तक विश्वभर में सामने आए केसों में कोविड-19 के 50 फीसदी संक्रमितों के मल में भी वायरस पाया गया है।

वहीं, वायरल हो रहे वीडियों में रिसर्च का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि, पानी से गार्गल करने से श्वसन संबंधी संक्रमण को रोरोका जा सकता है। इसे जापान इस संक्रमण से बचने का लोकप्रीय तरीका बताया गया। हालांकि, इसे कोरोना वायरस के मामले में सच मानना लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि, स्टडी में ऊपरी श्वास नली में संक्रमण पर जोर दिया गया था जिसमें साइनल, गला शामिल होता है, जबकि कोरोना वायरस भीतरी श्वास नली, सीने और फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। इसलिए इस तर्क को पूरी तरह विश्वसनीय नहीं माना जा सकता।

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