प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि कोरोना जैसी विकट परिस्थितियों में जिन डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पूरी जिम्मेदारी के साथ 16-16 घंटे ड्यूटी कर लोगों की जान बचाई, उनके हक की राशि कौन डकार गया। सरकार और उसके चिकित्सा शिक्षा विभाग पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है। नेशनल पेंशन स्कीम के तहत डॉक्टर का पैसा पेंशन अकाउंट में जमा होना था, लेकिन विभाग में बैठे उच्च अधिकारियों ने इस स्कीम में खाता हीं नहीं खोला और सारी राशि कहां जमा कर दी यह जानकारी भी नहीं दी। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा मंत्री यह बेतुका बयान देकर अपनी इतिश्री कर लेते हैं कि मामले की जांच की जाएगी, बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है।
सलूजा ने कहा कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल टीचर्स की पेंशन के नाम पर हर साल 54 करोड़ रूपए की गड़बड़ी हो रही है। प्रदेश में करीब तीन हजार मेडिकल टीचर्स हैं, जिनके वेतन से हर साल 27 करोड़ के अधिक की राशि एनपीएस के नाम पर काटी जा रही है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास इसका कोई रिकार्ड नहीं है। कई डॉक्टरों की कोरोना के दौरान मौत भी हुई, लेकिन उन्हें एनपीएस पेंशन का लाभ नहीं मिला। यह चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही हो उजागर करता है।