मध्यप्रदेश के दौरे पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, टारगेट पर हैं अगले चुनाव

मध्यप्रदेश के जबलपुर में होगा जनजाति नायकों का गौरव समारोह, आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश…।

<p>मध्यप्रदेश के जबलपुर में जनजाति नायकों के कार्यक्रमों में होंगे शामिल। </p>

 

भोपाल। देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस सिलसिले में देश के गृहमंत्री अमित शाह 18 सितंबर को मध्यप्रदेश के दौरे पर रहेंगे। माना जा रहा है कि प्रदेश में चार सीटों पर उपचुनाव के साथ ही 2023 के चुनाव को देखते हुए आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश होगी।

 

मध्यप्रदेश के जबलपुर में 18 सितंबर को होने वाले अमृत महोत्सव में शामिल होने देश के गृहमंत्री अमित शाह आ रहे हैं। इन आयोजनों के जरिए भाजपा प्रदेश कीन चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी तैयार कर रही है। प्रदेश में जल्द ही तीन विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनावों की घोषणा होना है। इन सीटों पर आदिवासी वर्ग का प्रभाव रहता है। जबकि पूरे प्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, लिहाजा भाजपा आदिवासियों पर भी फोकस कर रही है। इसके अलावा ओबीसी वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का श्रेय लेने की भी लड़ाई चल रही है।

 

 

शिवराज सिंह चौहान ने की समीक्षा

इधर, अमित शाह के कार्यक्रम के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान जनजाति नायकों का गौरव समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में आदिवासी जननायक शंकरशाह और रघुनाथ शाह के बलिदान को याद किया जाएगा। उनके कहानी की संगीतमय प्रस्तुति की जाएगी। वहीं प्रख्यात कवयित्री स्व. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं को भी अलग अंदाज में प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रदर्शनी, पुस्तक लोकार्पण, फिल्म प्रदर्शन और ई-एलबम का लोकार्पण भी होगा।

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कांग्रेस और भाजपा दोनों में सक्रियता बढ़ी

प्रदेश में कुछ समय बाद होने वाले उपचुनाव को देखते हुए भाजपा कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को लेकर सक्रिय हैं। कांग्रेस ओबीसी वर्ग को 14 से 27 फीसदी आरक्षण लागू करने का श्रेय लेना चाहती है, वहीं भाजपा भी चाहती है कि पूरे देश में उन्होंने ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिया। श्रेय की राजनीतिक हर दिन किसी न किसी अवसर पर देखने को मिल रही है। वहीं प्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी कांग्रेस आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिशों में जुटी है। क्योंकि इन सीटों पर आदिवासी वर्ग का अच्छा प्रभाव है। कांग्रेस इसके जरिए 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है। इसे देख भाजपा में भी ओबीसी और आदिवासी वर्ग को साधने की रणनीति तैयार है।

 

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