भोपाल को नॉन अटेनमेंट सिटी घोषित हुए पांच साल गुजरे लेकिन घटने की बजाय बढ गया वायु प्रदूषण

बैठकें हुई, प्लान बना लेकिन प्रदूषण कम करने का प्लान अभी तक कागजों से धरातल पर नहीं उतरा

भोपाल. राजधानी में बढ़ती वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए भोपाल को वर्ष 2016 में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नॉन अटेनमेंट सिटी घोषित किया था। इसके बाद एनजीटी ने पर्यावरण में सुधार लाने के लिए कार्ययोजना बनाने और उस पर दो साल में अमल करने के निर्देश दिए थे। लेकिन कार्ययोजना बनाने के लिए बैठकें भी हुई, प्लान भी बना लेकिन पांच साल गुजरने के बावजूद इस पर अमल नहीं हो पाया। इसके तहत वाहनों, सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियों, बायोमास और कचरा जलाने, उद्योगों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के साथ मॉनीटरिंग बढ़ाने के उपाय किए जाने थे। इसके लिए 2016 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई, उसमें पूरी कार्ययोजना बनाई। इसके बाद संभागायुक्त की अध्यक्षता में समिति बनाई गई जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया। लेकिन उसके पांच साल गुजरने के बावजूद यह कार्ययोजना कागजों से धरातल पर नहीं उतर पाई है। वायु प्रदूषण का स्तर घटने की बजाय बढ़ता जा रहा है।
कार्ययोजना का प्लान और उसकी हकीकत
– 15 साल पुराने डीजल से चलने वाले व्यावसायिक वाहनों को बंद करना

हकीकत- शहर में अभी भी 15 साल पुराने डीजल वाहन दौड़ रहे हैं। केवल व्यावसायिक ही नहीं, सरकारी वाहन भी नहीं हटाए गए।
– वाहनों की नियमित जांच कर पीयूसी जारी करना
हकीकत- न तो सभी पेट्रोल पंपों पर पीयूसी जांच हो रही है और न वाहनों के प्रदूषण की नियमित जांच होती है।

– ट्रैफिक सिग्नल का सिंक्रोनाइजेशन

हकीकत- अभी तक नहीं हो पाया, इसलिए वाहन चालकों को हर चौराहे पर रूकना पड़ रहा है।
– डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा और टेम्पो पर रोक लगाना
हकीकत- अभी भी शहर के अंदर मैजिक चल रहे हैं।

– सड़कों से धूल की नियमित सफाई

हकीकत- नगर निगम ने इसके लिए मशीनें खरीदी हैं लेकिन सही संचालन नहीं होने के कारण यह मशीनें भी धूल उड़ाने का ही काम कर रही हैं।
– प्रदूषण फैलाने वाले उपक्रमों को शहर से बाहर शिफ्ट करना

हकीकत- सालों के प्रयास के बावजूद अभी तक स्लॉटर हाउस, आरा मशीन, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय, डेयरी और कबाड़ गोदामों को शहर के बाहर शिफ्ट नहीं किया जा सका।
– कोई भी निर्माण कार्य चारों ओर से कवर करने के बाद ही किया जाएगा

हकीकत- सरकारी निर्माण कार्यों को भी कवर करके नहीं किया गया, स्मार्ट सिटी का अधिकांश काम खुले में हुआ।
– रोड किनारे निर्माण सामग्री का भंडारण रोकना

हकीकत- होशंगाबाद रोड, 11 मील रोड आदि स्थानों पर रेत, गिट्टी के बड़े भंडारण हैं।

– कचरा, फसल के अवशेष, प्लास्टिक और उद्यानिकी सामग्री को जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध
हकीकत- निगम का अमला खुद कचरे में आग लगा देता है, बरखेड़ा पठानी, लहारपुर आदि क्षेत्रों में इस बार भी गर्मियों में नरवाई जलाई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

– कचरे को वाहनों में ढककर ही ले जाना
हकीकत- नगर निगम के वाहन ही बिना ढके कचरा ले जा रहे हैं।

– वायु प्रदूषण की मॉनीटरिंग बढाने के लिए कंटीनुअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन बनाना

हकीकत- एमपीपीसीबी ने शहर में केवल टीटी नगर में यह सिस्टम लगाया है, उसी से पूरे शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स की गणना हो रही है। इसका भी डिस्प्ले खराब हो गया है।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जब वायु प्रदूषण की सही मॉनीटरिंग के लिए एमपीपीसीबी के पास उपकरण ही नहीं हैं तो उसे रोकने के उपाय कहां से होंगे। अभी भी पीएम 2.5 को मापने की कोई व्यवस्था नहीं है। पूरे शहर के एक्यूआई की गणना केवल एक जगह सिस्टम लगाकर की जा रही है। पहले मॉनीटरिंग की सही व्यवस्था होना चाहिए। वायु प्रदूषण रोकने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि एयर को डाइल्यूट किया जाए जिससे उसमें प्रदूषकों की मात्रा कम हो जाएगी। यह अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही किया जा सकता है। लेकिन राजधानी की हरियाली को लगातार नष्ट किया जा रहा है। पर्यावरण में सुधार लाने के लिए पौधारोपण के साथ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है।
– डॉ सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद

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वर्जन

नॉन अटेनमेंट सिटी के संबंध में कुछ जानकारी काफी समय पूर्व मिली थी। इसके बाद आगे क्या हुआ पता करने के बाद ही बताया जा सकता है।
– कवींद्र कियावत, संभागायुक्त भोपाल
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शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले सालों में ऐसे बढ़ा वार्षिक औसत पीएम-10

स्थान- 2016- 2017-2018- 2019- 2020

गोविंदपुरा- 94- 88- 104- 106- 110

हमीदिया रोड- 105- 100- 126- 130- 145
अरेरा कॉलोनी- 46- 53- 53- 65- 79

कोलार रोड- 86- 103- 128- 132- 135

होशंगाबाद रोड- 89- 89- 105- 115- 120

बैरागढ़- 83- 91- 115- 110- 116

नोट- सभी आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में
मानक- वायु में पीएम-10 की मात्रा 100 से कम होना चाहिए।
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