सरकारी स्कूलों का हाल: 12वीं तक पहुंचते ही 76 फीसदी बच्चे छोड़ देते हैं स्कूल, कोरियाई पैटर्न लागू करने की तैयारी

शिक्षा को बेहतर करने के लिए सरकार कई योजनाएं शुरू करने जा रही है।

भोपाल. प्रदेश में सरकार के सामने स्कूली शिक्षा में सुधार की सबसे बड़ी चुनौती है। शिक्षा मंत्रालय की 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में हायर सेकेंडरी तक पहुंचते ही 76% बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ देते हैं। ये छात्र फिर दूसरे स्कूलों में चले जाते हैँ। इनमें लड़कों की संख्या ज्यादा होती है। जानकारों के अनुसार, यह वह दौर होता है, जब वे कैरियर पर फोकस होते हैं। वहीं, माध्यमिक शिक्षा के बाद 58 फीसदी बच्चे स्कूल बदल लेते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों की अवधारण दर या कांसेप्ट रेट 62 फीसदी है। मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल है जहां बच्चों की सरकारी स्कूल छोड़ने की दर बहुत ज्यादा है। स्कूल शिक्षा में अवधारण दर छात्रों के प्रवेश के बाद उसी स्कूल में आगे पढ़ने के आधार पर निकाली जाती है। इससे पता चलता है कि स्कूली शिक्षा का स्तर प्रदेश में कैसा है। पहली से पांचवीं तक सरकारी स्कूलों में 85 फीसदी बच्चे पढ़ते हैं। इसके बाद उच्च प्राथमिक शिक्षा की अवधारण दर 58 फीसदी है।
यहां बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर 42 फीसदी हो जाती है। माध्यमिक शिक्षा में अवधघारण दर 42 फीसदी और स्कूल छोड़ने की दर 42 फीसदी हो जाती है। इसी तरह उच्च शिक्षा माध्यमिक शिक्षा में अवधारण दर 24 तो स्कूल छोड़ने की दर 76 फीसदी हो जाती है। इनमें 24 फीसदी लड़कियां तो 24.8 फीसदी लड़के होते हैं।
सुधार के लिए कोरियाई पैटर्न
शिक्षा को बेहतर करने के लिए सरकार कई योजनाएं शुरू करने जा रही है। सीएम शिवराज सिंह चौहान मिशन मोड में काम कर रहे हैं। कोरियाई पैटर्न को लागू करने के साथ शिक्षकों की कमी को दूर करने के प्रयास हो रहे हैं।
क्या कहना है मंत्री का
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि हमारे लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हैं। पहली में जितने एडमिशन लेते हैं, 12वीं में पहुंचते-पहुंचते 17-24 फीसदी ही बचते हैं। हम सुधार के लिए कोशिश कर रहे हैं।
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