40 कलाकारों ने प्रकृति, इंसानी भय और सपनों को कैनवास पर उकेरा

छतनार: द आर्ट हाउस में तीन दिवसीय पेंटिंग एग्जीबिशन का आयोजन

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भोपाल। चुनाभट्टी स्थित छतनार: द आर्ट हाउस में शुक्रवार से पेंटिंग एग्जीबिशन शुरू हुई। अनलॉक के बाद यह शहर में पहली एग्जीबिशन है। तीन दिवसीय एग्जीबिशन में 40 कलाकारों के आर्ट वर्क को डिस्प्ले किया गया है। इसमें उभरते कलाकारों की कलाकृतियों को शामिल किया गया। इसका उद्घाटन पद्मश्री भूरी बाई ने किया। इनमें आदिवासी चित्रकारों के साथ ललित कला विद्यार्थी भी हैं। छतनारा की फाउंडर मोहिनी ने बताया कि हमने यह प्रदर्शनी घर में इसलि लगाई ताकि लोग एक अलग अनुभव ले सकें। साथ ही समझ सकें कि एक आम घर में तस्वीरें और चित्र क्या प्रभाव डालते हैं। और कलाकारों ने अपने आर्ट वर्क में प्रकृति, लैंडस्केप से लेकर इंसान के अपने भय, सपने और समाज में उपस्थित विभिन्न कारकों के अंर्तसम्बधों को दिखाया है।

‘चांद की रोशनी में जलपरी’ शीर्षक से तैयार की पेंटिंग
आर्टिस्ट निहारिका नायडू ने भगवान गौतम बुद्ध की पेंटिंग बनाई है। वहीं, आर्टिस्ट शुभम सरल ने एक्रेलिक से वुडन सरफेस पर काम किया है। शुभम ने बताया कि मैंने अपनी कल्पनाओं को आकार दिया है। जलपरी जब रात में चांद की रोशनी देखती है तो वह क्या सोचती होगी, उन भावों को मैंने उकेरे है। मैंने इसे ‘चांद की रोशनी में जलपरी’ शीर्षक दिया है। वहीं, कुसुम पांडे ने बताया कि मैंने एक्रेलिक ऑन कैनवास पर डार्क शेड शीर्षक से पेंटिंग बनाई है। इसमें दिखाया है कि हम सभी की यादों में कहीं ना कहीं एक डार्क शेड होता है यानी इसमें ऐसी नेगेटिव चीजें भी शामिल होती हैं, जिन्हें हम याद नहीं रखना चाहते। यदि ये यादें दिखाई देतीं तो शायद काले धब्बों की तरह होती। वहीं, सुमन श्री ने अपनी पेंटिंग में मां-बेटी को दिखाया है जो गिरगिट की तरह दिखाई दे रहे हैं। सुमन ने बताया कि इस पेंटिंग के माध्यम से यह संदेश देना चाहती हूं कि मां का अपने बच्चों पर सबसे गहरा प्रभाव पड़ता है। वह बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उसे समाजिक बना सकती है।

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