अलवर में दो पुलिस जिले बनने के बाद भी गोतस्करी की घटनाएं हो रही हैं। गोतस्कर अलवर जिले के रास्तों से गोवंश को वध के लिए हरियाणा ले जा रहे हैं। जिले में गोतस्करी बढऩे के साथ-साथ मॉब लिंचिंग की भी घटनाएं भी हो रही हैं। पहलू खां और रकबर मॉब लिंचिंग की घटनाओं से अलवर को देश-दुनिया में शर्मसार होना पड़ा। इसके अलावा गोतस्करों से मारपीट की अन्य घटनाएं भी सामने आती रहती हैं।
गोतस्करों के लिए सुगम मार्ग बना अलवर अलवर जिले की भौगोलिक परिस्थिति अपराधियों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। अलवर जिले से किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी, बहरोड़, नीमराणा, शाहजहांपुर, मांढ़ण, रामगढ़ और नौगांवा आदि इलाके हरियाणा से सटे हुए हैं। इसके अलावा गोविंदगढ़, बड़ौदामेव, लक्ष्मणगढ़, कठूमर व खेरली आदि से उत्तरप्रदेश सीमा की दूरी भी ज्यादा नहीं हैं। यहां से दर्जनों चोर रास्ते हैं जो हरियाणा और उत्तरप्रदेश जाते हैं। इस कारण ये रास्ते गोतस्करों के लिए बेहद सुगम बने हुए हैं।
गोली चलाने से नहीं चूकते पुलिस की ढिलाई को देखते हुए गोतस्करों के हौंसले काफी बुलंद है। गोतस्कर बेखौफ होकर गोवंश गाडिय़ों में भरकर ले जाते हैं। रास्ते में पुलिस और ग्रामीणों से सामना होने पर गोतस्कर फायरिंग करने से भी नहीं चूकते हैं। अलवर जिले में गोतस्कर काफी बार पुलिस और ग्रामीणों पर फायरिंग कर चुके हैं।
पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई सर्दी आते ही गोतस्करों की सक्रियता बढ़ जाती है। गोतस्करी घटनाओं की रोकथाम के लिए जिले में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है। साथ ही सभी पुलिस थानों को गोतस्करी की रोकथाम के लिए विशेष नाकेबंदी और गश्त के निर्देश दिए गए हैं।
परिस देशमुख, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर।
परिस देशमुख, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर।