भिंड

कोख में बेटियों को मारने के लिए कुख्यात था का MP का यह शहर, आज ढोल-नगाड़ों के साथ लेकर आते हैं घर

नन्ही बच्ची के पैर से दहलीज पर लुढक़वाया चावलों से भरा कलश, आंगन में छुड़वायी पैरों की छाप

भिंडJul 16, 2020 / 12:10 pm

हुसैन अली

कोख में बेटियों को मारने के लिए कुख्यात था का MP का यह शहर, आज ढोल-नगाड़ों के साथ लेकर आते हैं घर

भिण्ड. बदलते वक्त के साथ बेटियों को कोख में कत्ल के लिए बदनाम रहे भिण्ड जिले में अब बेटियों के प्रति वातावरण परिवर्तित हो रहा है। अब बेटियां बोझ नहीं बल्कि माता-पिता का अभिमान बनती जा रही हैं। बेटे से ज्यादा खुशियां अब बेटी के पैदा होने पर मनाई जाने लगी हैं।
जी हां जिला अस्पताल में पैदा हुई एक कन्या का बुधवार को शाही अंदाज में बैंड-बाजों के साथ घर ले जाया गया जहां फूलों से सजे घर में प्रवेश से पूर्व कई प्रकार रस्में निभाई गईं और तुलादान कराने के बाद मास्क, फेस कवर और मिष्ठान वितरत किया गया। जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर कीरतपुरा निवासी ऋषभ भदौरिया पुत्र सुल्तान सिंह भदौरिया की पत्नी पूजा भदौरिया को 11 जुलाई को बेटी के रूप में प्रसव हुआ। यह खबर सुनकर परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। 15 जुलाई को जिला अस्पताल से जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज किए जाने के बाद परिजन बैंड-बाजों के साथ दोनों को घर ले गए। जच्चा- नवजात बच्ची के गृह प्रवेश से पूर्व घर को फूलों से सजाया था। सीएमएचओ डॉ. अजीत मिश्रा के मुताबिक वक्त के साथ जिले में लोग जागरूक हो रहे हैं। अब बेटियों को भी बेटे के बराबर दर्जा देने लगे हैं। इसलिए बीते 2 साल में लिंगानुपात बढ़कर 940 हो गया है। इससे पूर्व 1000 पर 800 था।
कोख में बेटियों को मारने के लिए कुख्यात था का MP का यह शहर, आज ढोल-नगाड़ों के साथ लेकर आते हैं घर
कलश लुढक़वाने से भरा रहेगा धनधान्य

बुजुर्गों और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार घर के नए सदस्य का पहली बार घर में प्रवेश होने पर उसके दाएं पैर से चावल और धान से भरा कलश दहलीज पर लुढक़वाया जाता है। इस परंपरा को ऋषभ भदौरिया के परिजनों ने नन्ही परी के पैर से कलश लुढक़वाकर निभाया। साथ ही घर में प्रवेश होने के बाद आंगन में महावर से रंगे मासूम लाडो के पैर की छाप भी छुड़वाई गई। इस दौरान लाडो का तुलादान भी किया गया। तराजू में एक तरफ रखे मास्क, मिष्ठान और फेस कवर को जरूरतमंदों में बंटवाया गया। इसके अलावा गरीब परिवार के लोगों को बेटी पैदा होने की खुशी में परिवार की ओर से भोज भी कराया गया।
अभियान चला रहा केएएमपी संगठन

शहर में केएएमपी नामक सामाजिक संगठन के सदस्य वार्ड-वार्ड और मोहल्ले-मोहल्ले जाकर लोगों को बेटी को बेटे के बराबर मानने और उसके पैदा होने पर खुशियां मनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। संगठन अध्यक्ष तिलक सिंह भदौरिया व उनके अन्य सदस्य भी नवजात कन्या के गृह प्रवेश की खुशियों में शरीक रहे।

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