टूटी नहरों से कैसे मिलेगा फसलों को ‘जीवनदान’, आखिरी छोर तक नहीं पहुंचता सिंचाई के लिए पानी

ग्वालियर-चंबल संभाग में नहरों के बुरे हाल, रबी फसलों के लिए पानी की चिंता
श्योपुर और भिण्ड में पक्की नहरें भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त

<p>टूटी नहरों से कैसे मिलेगा फसलों को &#8216;जीवनदान’, आखिरी छोर तक नहीं पहुंचता सिंचाई के लिए पानी</p>
ग्वालियर-अंचल. बाढ़ और बारिश की विभीषिका से खेतों में खड़ी फसलों के बर्बाद होने के बाद अब अन्नदाता पर फिर संकट मंडराने लगा हैं। उनके सामने रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाने की समस्या खड़ी हो गई है। ग्वालियर-चंबल संभाग के विभिन्न जिलों में नहरों का बुरा हाल है। पक्की नहरें भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। ऐसे में अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचता है। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति श्योपुर और भिंड जिले की है। हर साल नहरों की मरम्मत के नाम पर राज्य सरकार से करोड़ों का बजट आवंटित होता है, लेकिन कागजों पर मरम्मत दर्शाकर राशि का बंदरबांट हो जाता है। पीडि़त किसानों राहत के नाम पर हर साल छला जाता है।
श्योपुर में चंबल, भिंड में एबी कैनाल क्षतिग्रस्त

श्योपुर की लाइफलाइन चंबल नहर 55 से अधिक जगह क्षतिग्रस्त है। 51 करोड़ से मरम्मत के टेंडर हुए हैं। 24 सितंबर से कार्य शुरू हो गया है। भिण्ड में एबी कैनाल के बुरे हाल हैं। दतिया में सिंध और राजघाट परियोजना नाम से दो नहरें हैं। राजघाट के धनपीपरी माइनर के करीब आधा दर्जन गांवों तथा बड़ेरा सोपान माइनर से जुड़े दो दर्जन गांवों में पानी नहीं पहुंचा है। सिंध के अंतिम छोर के ग्राम उपरांय, बड़ेरा, पचोखरा, गोरा, भदौना, भरसूला आदि आधा दर्जन गांवों के किसान परेशान हैं। मुरैना में भी एबीसी (अंबाह ब्रांच कैनाल), एमबीसी (मुरैना ब्रांच कैनाल) और एलएमसी (लोअर मुख्य कैनाल) में पानी छोड़ा जाता है, लेकिन यहां भी फजीहत हैं। शिवपुरी में उकायला नहर, आरबीसी और दोआब नहरें हैं, इनकी मरम्मत के लिए 3 करोड़ 50 लाख के टेंडर हुए हैं।
रबी सीजन की फसलें

ग्वालियर-चंबल संभाग में मुख्य आय का जरिया कृषि है। संभाग के 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं। रबी सीजन की गेहूं, सरसों, चना, मसूर, उड़द, मूंग, मटर, अलसी, गन्ना और ग्वार आदि मुख्य फसलें हैं।
समय पर लाएंगे पानी

बाढ़ और बारिश से 50 से अधिक स्थानों पर चंबल मुख्य नहर क्षतिग्रस्त है। टेंडर के बाद हमने मरम्मत शुरू करा दी है। प्रयास रहेगा कि 20 अक्टूबर तक नहर में पानी चालू करा दें।
सुभाष गुप्ता, कार्यपालन यंत्री, जलसंसाधन विभाग श्योपुर
कई बार फसलें खराब
प्रतिवर्ष नहरों के टूटने से खेतों में पानी भर जाता है। नहरों का संधारण करने के दौरान भ्रष्टाचार किया जाता है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है।
रामशंकर शर्मा, किसान बड़ेरी अटेर
फसलें होंगी प्रभावित
खरीफ सीजन बारिश और बाढ़ से बर्बाद हो गया है। अब रबी सीजन से आस है, लेकिन इस बार नहर क्षतिग्रस्त है। कब पानी मिलेगा अभी संशय है। समय पर पानी नहीं मिला तो फसलें प्रभावित होगी।
राधेश्याम मूंडला, किसान, श्योपुर

जिला ——– नहर ——–लंबाई (किमी) ——–सिंचाई (हेक्टेयर) ——–मरम्मत राशि (2021)
श्योपुर ——–चंबल ——–120 ——–60000 ——–51 करोड़
भिण्ड ——–मौ ब्रांच नहर चंबल ——–27.50 ——–5100 ——–55.10 लाख
मुख्य नहर चंबल ——–28.34——– 50500 ——–50.50 लाख
अंबाह शाखा नहर ——–27.50 ——–9000 ——–09 लाख
लहार शाखा नहर ——–29.40 ——–39889 ——–39.88 लाख
मुरैना ——–एबीसी——– 171 ——–1.02 लाख ——–6 करोड़ (3 नहर)
एमबीसी ——–42 ——–46 हजार
एलएमसी ——– 51 25 ——– हजार
दतिया ——– राजघाट नहर ——–708.23 ——–146398 ——–4 करोड़
शिवपुरी ——–उकायला ——–25.63 ——–7788 ——–3.52 करोड़ (3 नहर)
दोआब ——–37.95 ——–24636
आरबीसी ——– 28.00 ——–22968
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