नन्ही गुडिय़ा के गृह प्रवेश के लिए सबसे पहले उसकी बुआ अंकिता तोमर ने दहलीज पर चावल से भरे रखे कलश को बच्ची के नन्हे पैरों से अंदर लुढ़कवाया। उसके बाद घर के आंगन में बिखरी फूलों की पंखुडिय़ों के बीच रखी महावर से भरी थाली में पैर डुबोकर आंगन में पैरों की छाप छुड़वाई। इतना ही नहीं घर के सभी सदस्यों ने मोहल्ले में बेटी पैदा होने की खुशी में मिठाई बंटवाई।
बेटी के जन्म पर घर सजाने और खुशियां मनाने के लिए लोगों को जागरुक कर रहा है केएएमपी संगठन सामाजिक संगठन केएएमपी के सदस्य शहर के अलावा कस्बों और गांवों में भ्रमण कर लोगों को बेटी पैदा होने पर घर में खुशियां मनाने और घर सजाकर नन्ही परी के भव्य स्वागत के लिए पे्ररित करने का काम कर रहा है। संगठन के अध्यक्ष तिलक सिंह भदौरिया कहते हैं जैसे सूना चिडिय़ा बिन आंगन वैसे ही बेटी बिना ये जीवन भी सूना है।