फायरिंग ने खोली पोल जिले में हाल ही में दो थाना क्षेत्र में फायरिंग कर दो जवानों की जान लेकर भागे तस्कर इसकी पोल खोल चुके हैं। तस्करों ने तीन थाना क्षेत्र में फायरिंग की। कोटड़ी, रायला और शम्भूगढ़ में फायरिंग कर बदमाश निकल गए। ए क्लास नाकाबंदी के बाद भी पुलिसकर्मी नहीं रोक पाए। कहने को थाना पुलिस के पास हथियार थे, लेकिन निशाना अचूक नहीं रहा।
स्थिति में सुधार नहीं अलवर के बहरोड़ थाने में फायरिंग कर पपला गुर्जर गैंग को छुड़ा ले गई थी। पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर इस पर चिंता जता चुके हैं। गैंग के एके-४७ से फायरिंग के बाद संतरी और अन्य पुलिसकर्मी के पास एसएलआर थी। हमले के दौरान दोनों पुलिसकर्मियों ने थाने की छत पर दीवार की ओट में पॉजिशन भी ले ली लेकिन बदमाशों पर फ ायर नहीं कर सके। राज्य के सभी जिला पुलिस अधीक्षक और पुलिस ट्रेनिंग स्कूल के कमांडेंट को पुलिसकर्मियों को हथियारों के बारे में विशेष प्रशिक्षण के आदेश भी दिया। इसके बाद भी हथियार चलाने को लेकर जिले में कोई सुधार नहीं आया।
कोर्स में शामिल प्रशिक्षण पुलिसकर्मियों को भर्ती के समय कार्बाइन, एके-47, स्टेनगन, इंसास, रिवाल्वर, पिस्टल, एमपी-5 मशीन गन, राइफ ल, एसएलआर, एलएमजी, एंटी राइड गन और पम्प गन आदि 23 प्रकार के हथियार का प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग के दौरान कांस्टेबल, सब इंस्पेक्टर, आरपीएस और आइपीएस को पद के अनुसार निर्धारित हथियारों का प्रशिक्षण के आदेश दे रखें है लेकिन आधे हथियार पुलिसकर्मियों को चलाना नहीं आता है।
हर जिले में वार्षिक फायरिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही आधुनिक हथियारों का प्रशिक्षण कोर्स में शामिल करने के भी हर जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दे रखे हैं। – एमएल लाठर, पुलिस महानिदेशक