OMG जिंदा व्यक्ति का नाम लिख दिए दूसरे की लाश पर, रोते हुए परिवार पहुंचा मरच्यूरी

चार दिनों बाद असल परिवार ने किया अंतिम संस्कार.

<p>OMG जिंदा व्यक्ति का नाम लिख दिए दूसरे की लाश पर, रोते हुए परिवार पहुंचा मरच्यूरी</p>

भिलाई. टाउनशिप के सेक्टर-1 का जो व्यक्ति जिंदा अपना इलाज करवा रहा था, उसका परिवार भागते हुए मरच्यूरी पहुंचा और रोते हुए फ्रिजर से निकालकर शव को आखिरी बार देखने बढ़ा। जब कोरोना संक्रमित व्यक्ति का झिल्ली में पैक शव से चेहरा देखा तो वे बाहर निकल आए। यह उनके घर के सदस्य की शव नहीं थी। यह किसी और की लाश थी। उन्होंने राहत की सांस लिया और लौट गए। इसके बाद अगले दिन असल में यह जिसकी लाश थी, वह परिवार रिसाली से पहुंचा और तब जाकर चार दिनों बाद शनिवार को अंतिम संस्कार किया जा सका। यह सिस्टम की लापरवाही है, अब इस मामले में जिम्मेदार कौन है पूछने पर न तो जिला प्रशासन जवाब दे रहा है और न स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी।

जिंदा व्यक्ति का नाम लिखकर भेज दिए शव
कोरोना महामारी के बीच जमकर लापरवाही भी नजर आ रही है। ऐसे ही एक मामला सीएम मेडिकल कॉलेज, कचांदुर का प्रकाश में आया है। यहां से 6 अप्रैल 2021 को देर रात में एक लाश लाल बहादुर शास्त्री शासकीय अस्पताल, सुपेला के मरच्यूरी भेजी गई। जिसमें सेक्टर-1 के एक व्यक्ति का नाम दर्ज था। परिवार का कोई भी मोबाइल नंबर इसमें नहीं लिखा था। जिसकी वजह से शव रखने के बाद मरच्यूरी से उनके परिवार से संपर्क नहीं किया जा सका।

दो दिन किए इंतजार
मरच्यूरी में दो दिन तक शव रखकर इंतजार किए। इस बीच बार-बार रामनगर मुक्तिधाम से इस शव को अंतिम संस्कार के लिए ेलेकर जाने शव वाहन भेजा जा रहा था। परिजन नहीं मिलने की वजह से शव को रोककर रखा गया था। आखिर पुलिस के आला अधिकारी को इसके संबंध में जानकारी दी गई। तब उन्होंने भट्ठी थाना से सेक्टर-1 में रहने वाले उक्त नाम के व्यक्ति का पता लगाने और परिवार को सूचना देने कहा। पुलिस ने उनके घर का पता लगाकर पूछताछ की कि क्या कोई सीएम मेडिकल कॉलेज में दाखिल है। बताए हां तो कहा कि उनकी मौत हो चुकी है।

बदहवास परिवार भागते पहुंचा मरच्यूरी
टाउनशिप के सेक्टर-1 में रहने वाला उक्त पूरा परिवार कार में बैठकर भागते हुए सीधे शास्त्री अस्पताल, सुपेला के मरच्यूरी में पहुंचा। यहां रोते हुए उन्होंने केयर टेकर से उक्त नाम के शव को दिखाने कहा, जो रजिस्टर में पहले से दर्ज था। केयर टेकर ने जब शव को फ्रिजर से निकालकर दिखाया, तो झिल्ली के भीतर से नजर आ रहे चेहरे को देखकर वे सन्न रह गए। यह उनके परिवार के सदस्य का शव नहीं था, फिर उनका नाम इसमें कैसे है। वे अपने परिवार के उस सदस्य से मोबाइल में फोन कर बात किए जो सीएम मेडिकल कॉलेज में दाखिल था। उसने बताया कि पहले से ठीक हूं। तब वे राहत की सांस लिए और आंसू पोछते हुए लौट गए।

तीन दिन बाद रिश्तेदारों को बताए
असल में यह जिस व्यक्ति की मौत हुई वह लक्ष्मी नगर, रिसाली का रहने वाला था। घर वाले उसे अस्पताल में दाखिल किए और खुद होम आइसोलेशन में थे। तब चार दिन बाद शनिवार को ससुर ने अंतिम संस्कार किया। मृतक का पांच माह पहले ही विवाह हुआ था। होली में पत्नी ससुराल गई थी, इस दौरान तबीयत बिगड़ी और परिवार के अन्य सदस्यों ने उसे अस्पताल में दाखिल किया।

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