भिलाई

अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले सेटेलाइट को ऊर्जा कैसे मिलती है? जानने के लिए पढ़े खबर

क्या कभी सोचा है रॉकेट का मुहाना त्रिकोण क्यों होता है? अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले सेटेलाइट को ऊर्जा कैसे मिलती है? इस तरह के सैकड़ों सवालों का जवाब ट्विनसिटी को जानने को मिला। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने बताया कि यदि रॉकेट का मुहाना त्रिकोण नहीं होगा तो यह सीधे दिशा में ऊपर की ओर नहीं जाकर सीधे नीचे आ गिरेगा।

भिलाईDec 19, 2019 / 11:00 pm

Satya Narayan Shukla

अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले सेटेलाइट को ऊर्जा कैसे मिलती है? जानने के लिए पढ़े खबर

भिलाई@Patrika. क्या कभी सोचा है रॉकेट का मुहाना त्रिकोण क्यों होता है? अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले सेटेलाइट को ऊर्जा कैसे मिलती है? इस तरह के सैकड़ों सवालों का जवाब ट्विनसिटी को जानने को मिला। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने बताया कि यदि रॉकेट का मुहाना त्रिकोण नहीं होगा तो यह सीधे दिशा में ऊपर की ओर नहीं जाकर सीधे नीचे आ गिरेगा। हवा को काटते हुए यह गति के सिद्धांत पर चलता है। यदि एक डिग्री का भी फर्क हुआ तो इसकी चाल और गति दोनों ही बदल जाएगी।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई जन्म शताबदी वर्ष

इसरो ने गुरुवार को बीआईटी दुर्ग में वॉटर रॉकेट लॉन्च करके दिखाया। एक से दस तक गितनी पर जैसे ही आंकड़ा शून्य पर आया राकेट से उड़ान भर दी। यह दृश्य सिर्फ बच्चों को दिखाया ही नहीं गया, बल्कि रॉकेट को बनाने में ध्यान रखने वाला साइंस भी साझा किया गया। यह रॉकेट बच्चों के सामने ही बना और बच्चों के जरिए उड़ाया भी गया। इसरो ने यह कार्यक्रम प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई जन्म शताबदी वर्ष के मौके पर आयोजित किया।
लीवर खींचते ही रॉकेट ने भर दी उड़ान
आडिटोरियम के सीध में बने ग्राउंड में बच्चों का हुुजुम जमा था। इसरो का एक सपोर्टिंग स्टाफ और सीनियर की टीम का हर सदस्य बच्चों को मोटिवेट कर रहा था। एक प्रेशर पंप और कुछ पानी की बोतलों की मदद से इसरो ने वॉटर रॉकेट को सौ फीट उपर भेजा। रॉकेट लॉन्च के दौरान पंप से बच्चों को हवा करने को कहा गया। जैसे ही 60 पाउंड हवा रॉकेट में भर गए इसमें रखे प्रेशर लीवर को बच्चों ने ही खींचा। जैसे ही लीवर दवा वॉटर रॉकेट आसमां की ओर दौड़ पड़ा।
पहले ही दिन पहुंचे 6 हजार लोग
इस कार्यक्रम के लिए जिला शिक्षा विभाग ने योगदान दिया। शासकीय व निजी स्कूलों के करीब 3 हजार बच्चों के साथ दुर्ग-भिलाई के आम नागरिक भी इसरो की ताकत समझने के लिए कार्यक्रम का हिस्सा बने। कार्यक्रम में बीआईटी के सचिव आईपी मिश्रा भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के लिए इसरो के वैज्ञानिकों के साथ 15 लोगों की टीम दुर्ग पहुंची है।
इसरो ने दिखाया हीट सैपरेटर
इसरों ने बच्चों को अंतरिक्ष की दुनिया का अनुभव कराने के लिए अपनी विशेष बस लाई जिसमें सेटेलाइट का हीट सेपरेटर जैसे इक्यूपमेंट दिखाए। बस में इसरो द्वारा भेजे गए अब तक के सेटेलाइट का डेमो भी दिखाया गया। पद्मश्री पीएस गोयल ने शुुरुआत में डॉ. साराभाई का इसरो और देश के लिए योगदान साझा किया।
स्पेस एग्जीबिशन-इसरो के द्वारा अब तक के मिशन में मिले तथ्यों को समझाया गया। बीआईटी के इंडोर हॉल में स्पेस एग्जीबिशन लगा, जिसमें चांद से लेकर मंगल तक में समेटे राज ट्विनसिटी के सामने आए। इसरो के मिशन और उनमें मिली सफलता साझा हुई।
सेटेलाइट मॉडल्स-पीएसएलवी और जीएसएलव, एसएलवी सहित तमाम लॉन्च व्हीकल मॉडल के साथ अब तक अंतरिक्ष में भेजे गए छोटे-बड़े सेटेलाइट एक छत के नीचे रख गए। यहां खुले मैदान के नीचे बच्चों का दिन एस्ट्रोनॉट के साथ सेल्फी से भी बन गया। हाथों में रॉकेट उठाए बच्चों ने एस्ट्रोनॉट की ड्रेस में खूब फोटो खिचवाईं।
वीडियो शो – बीआईटी के ऑडिटोरियम में वीडियो शो के जरिए इसरो के मिशन की फिल्म दिखाई गई। बच्चों को बताया गया कि कैसे कंट्रोल रूम में बैठकर सबकुछ ऑपरेट किया जाता है। कार्यक्रम में स्कूली बच्चे सर्वाधिक थे, उनके लिए प्रतियोगिताएं कराई गई, जिसके पुरस्कार शुक्रवार को दिए जाएंगे।
Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter और Instagram पर ..ताज़ातरीन ख़बरों, LIVE अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.

Home / Bhilai / अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले सेटेलाइट को ऊर्जा कैसे मिलती है? जानने के लिए पढ़े खबर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.