Breaking news बीएसपी के महाप्रबंधक को डेपुटेशन में भेजा जा रहा साउथ अफ्रिका

नंदिनी माइंस में सफलता के बाद कोल माइंस की मिली चुनौती.
 

<p>Breaking news बीएसपी के महाप्रबंधक को डेपुटेशन में भेजा जा रहा साउथ अफ्रिका</p>

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र में स्टील के उत्पादन में विदेशी कोकिंग कोल का इस्तेमाल करता है। जिसकी कीमत देशी कोकिंग कोल से दोगुना से भी अधिक है। उत्पादन के कॉस्ट में कटौती करने सेल ने दूसरे देशों में भी खदान लीज पर ले रखा है। ऐसे खदान से उत्पादन बढ़ाने की कोशिश तेज कर दी गई है। इसी कड़ी में बीएसपी के नंदिनी माइंस के इंचार्ज, महाप्रबंधन वीबी सिंह को डेपुटेशन में साउथ अफ्रीका मोजाम्बिक भेजा जा रहा है। नंदिनी में उन्होंने तय टारगेट को समय पर पूरा किया, जिसके बाद यह बड़ी चुनौती उनको दी गई है। मंगलवार को वे रवाना होंगे।

उत्पादन बढ़ाने का जिम्मा
नंदिनी माइंस के प्रभारी के तौर पर काम संभालने के बाद जीएम इंचार्ज वीबी सिंह ने नंदिनी में पानी के भीतर मौजूद लाइम स्टोन को निकालने के लिए प्रयास शुरू किया। यहां से उन्होंने ४.५ सिलिका वाले लाइम स्टोन का उत्पादन कर बीएसपी को भेजा। तब बीएसपी को कोटेश्वर से मिलने वाले लाइम स्टोन से पचास फीसदी कम रेट में यहां से लाइम स्टोन मिला। इस साल बीएसपी ने टारगेट और बढ़ा दिया है। जीएम को मिले इस बड़ी जिम्मेदारी के लिए माइंस के तमाम अधिकारियों व यूनियन के नेता उमेश कुमार मिश्रा व अन्य कर्मियों ने बधाई दी।

85 फीसदी होता है विदेशी कोल का इस्तेमाल
भिलाई इस्पात संयंत्र में इस्पात के उत्पादकों के लिए ब्लास्ट फर्नेस में 85 फीसदी विदेशी कोकिंग कोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। घरेलू कोकिंग कोल में राख की मात्रा अधिक होती है। एक साल में कोकिंग कोल करीब 45 लाख मैट्रिक टन दूसरे देश से आयात करते हैं। जिसके एवज में करीब 50 से 55 हजार करोड़ विदेशी मुद्रा में अदायगी करना पड़ता है। घरेलू कोकिंग कोल 10 से 15 फीसदी उपयोग करते हैं।

राख की वजह से कम करते हैं इस्तेमाल
भिलाई इस्पात संयंत्र में उपयोग किए जाने वाले विदेशी कोकिंग कोल में सिर्फ 9 से 12 फीसदी तक राख निकलता है। जिससे इंधन अधिक बनता है। वहीं घरेलू कोकिंग कोल में राख की मात्रा 21 से 25 फीसदी तक होती है। जिसकी वजह से इसमें इंधन उतना नहीं बन पाता। अधिकारी जिसकी वजह से इसका अधिक मात्रा में उपयोग करने से कतराते हैं। बीएसपी में उपयोग होने वाले विदेशी और घरेलू कोकिंग कोल के दाम (रेट) में बड़ा अंतर है। घरेलू कोकिंग कोल प्रति टन करीब ८ हजार में मिल जाता है। वहीं विदेशी कोकिंग कोल की कीमत करीब 17 से 20 हजार रुपए प्रति टन है। इस तरह दोनों के दाम में बड़ा अंतर है।

मोजाम्बिक के खदान से बढ़ाना है उत्पादन
इंटरनेशनल कोल बेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (आईसीवीएल) एक संयुक्त उद्यम कंपनी है, उसने इस्पात कंपनियों के लिए कोकिंग कोल की दीर्घकालीन आपूर्ति तय करने मोजाम्बिक में एक प्रचालनाधीन कोयला खान और ग्रीन फील्ड कोयला संपत्तियों को अधिग्रहीत किया। जिसमें आईसीवीएल में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), नेशनल मिनिरल डेवेलपमेंट कार्पोरेशन (एनएमडीसी) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के समान योगदान से किया है। कोयला खान में मेटालर्जिकल कोकिंग कोल का उत्पादन होता है, जिसका उपयोग इस्पात कंपनियों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। वर्तमान में सेल और आरआईएनएल कोकिंग कोल के प्रमुख उपभोक्ता है।

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