शनिवार को परेल (मुंबई) लोको वर्कशॉप से नया इंजन पठानकोट की लोको शेड पहुंच गया। इंजन को हिमाचल भेजने से पहले इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों के नेतृत्व में ट्रायल किया जाएगा। फिट होने के बाद इसे ट्रैक पर भेजा जाएगा। इसके इलावा आने वाले डेढ़ वर्ष में पठानकोट लोको को 12 और नए इंजन मिलेंगे। इन्हें असेंबल करने का काम शुरू हो गया है। रेल इंजीनियरों का कहना है कि नए तैयार होने वाले इंजन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। इनकी आयु 35 वर्ष होगी। रेलवे को उम्मीद है कि नए इंजन जब पठानकोट से पालमपुर के बीच की हसीन वादियों से डिब्बों को लेकर निकलेंगे तो उनका दम नहीं फूलेगा।
पठानकोट-जोगिन्द्रनगर के बीच नैरोगेज रेल ट्रैक पर चल रहे 17 इंजनों में से अधिकांश अपनी आयु पूरी कर चुके हैं। 1976 में इस ट्रैक को 5 इंजन मिले थे जो अब 44 साल पुराने हो चुके हैं। साल 1977 में ट्रैक को 5 इंजन मिले थे जो इस समय 43 साल के हो चुके हैं। हालांकि रेलवे के अनुसार नैरोगेज इंजन पर चलने वाले इंजन की आयु 35 साल मानी गई है। पठानकोट रेलवे लोको अधिकारी ने बताया कि परेल वर्कशॉप से दूसरा नया इंजन पठानकोट लोको पहुंच गया है। परेल वर्कशॉप इंजीनियरिंग ब्रांच को इसका ट्रायल लेने के लिए लिख दिया गया है। मार्च के पहले सप्ताह में टीम के पठानकोट आने की उम्मीद है। टीम के नेतृत्व में ट्रायल लिया जाएगा। इसके बाद इंजन को नैरोगेज ट्रेनों के साथ जोड़कर हिमाचल प्रदेश भेजा जाएगा।