भूख की तस्वीर ने झकझोरा तो बन गए संकटमोचन

-करीब तीन लाख से ज्यादा परिवारों तक पहुंचाया भोजन

<p>भूख की तस्वीर ने झकझोरा तो बन गए संकटमोचन</p>
भरतपुर. कोरोना जिंदगियां लील रहा था। कुछ जिंदगी बीमारी से लड़ रही थीं तो कुछ भूख से तड़प रही थीं। बीमारों को बचाने में चिकित्सक जी-जान से जुटे थे, लेकिन भूख से बेहाल जिंदगियों को बचाने की जिम्मेदारी मानवता की थी। सोशल मीडिया पर भूख से बेहाल जिंदगियों की तड़प तस्वीर में देखी तो मन व्याकुल हो गया। यही क्षण था जब ऐसी जिंदगियों को सहारा देने की ठान ली और संकटमोचन की हनुमान रसोई का आगाज कर दिया। इस रसोई से अब तक करीब तीन लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं। यह बीड़ा उठाया नगर निगम के पार्षद संजय शुक्ला ने।
पार्षद एवं हनुमान रसोई के संयोजक शुक्ला कहते हैं कि बहुतेरे संगठन ऐसे लोगों की मदद में जुटे थे, लेकिन मानवता की सेवा का यही सही समय था। ऐसे में मैंने भी इसमें छोटी सी आहुति देने का मन बनाया। पार्षद शुक्ला ने बिना किसी चंदा या भामाशाह की मदद से यह आगाज किया। इसके बाद कारवां बढ़ता चला गया। उन्होंने लॉकडाउन के चलते रोजगार गंवा बैठे लोगों की जानकारी जुटाई। साथ ही अन्य असहाय एवं जरूरतमंद परिवारों तक भोजन पहुंचाने का संकल्प लिया। इसके लिए शहर में प्रमुख स्थानों को चिह्नित कर वहां हनुमान रसोई संचालित की गईं। इसका जरूरतमंदों को खासा लाभ मिला। प्रतिदिन करीब 20 क्विंटल भोजन शहर में बांटा गया। पार्षद संजय शुक्ला बताते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भूखे को भोजन देने के संकल्प को पूरा करने के लिए यह रसोई संचालित की गईं। इसमें करीब चार सौ सदस्य जुड़कर भूखों तक भोजन पहुंचाने में जुटे रहे। अब 13 जून को हनुमान रसोई का संचालन फिलहाल बंद कर दिया गया है। शुक्ला बताते हैं कि कोरोना काल में हर कोई बीमारी को लेकर आशंकित था। ऐसे मेे हनुमान रसोई में औषधियुक्त भोजन वितरित किया गया, जिससे कोरोना को प्राथमिक स्तर पर ही खत्म किया जा सके। शुक्ला ने बताया कि हनुमान रसोई में बनने वाले भोजन में संजीवनी वटी, गोदंती भस्म, शुभ्रा भस्मा व त्रिकटु चूर्ण आदि मिलाया जा रहा है, जिससे लोगों की सेहत भी बेहतर रह सके। गत दिवस चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने भी आरबीएम हॉस्पिटल पहुंचकर हनुमान रसोई में बने भोजन को जरुरतमंदों में वितरित किया। उन्होंने हनुमान रसोई की इस पहल की खासी सराहना की।
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