निजी अस्पताल को सरकारी वेंटीलेटर देने में आया इस रसूखदार का नाम…

– निजी हॉस्पिटल में सरकारी वेंटीलेटर से उपचार, जिला प्रशासन के निर्देश पर जिंदल हॉस्पिटल पहुंचे वेंटीलेटर, पहले जिला कलक्टर बोले पता नहीं जानकारी करूंगा फिर बोले लिखित में नहीं निकाला कोई आदेश फिर मिलने पर ही बताने को कहा

<p>निजी अस्पताल को सरकारी वेंटीलेटर देने में आया इस रसूखदार का नाम&#8230;</p>
भरतपुर. संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल में कोरोना से जूझ रही जिंदगियों को बचाने में व्यवस्थाएं बौनी नजर आ रही हैं। उधर साहब की मेहरबानी से गरीबों के हक की सांसों पर रसूख का सितम हो रहा है। आरबीएम में उखड़ती सांसों को सहज करने के लिए वेंटीलेटर की कमी अखर रही है। वहीं पीएम रिलीफ फंड से मिले सरकारी वेंटीलेटरों से निजी अस्पताल में इलाज हो रहा है। यह खेल जिले के दो मंत्रियों की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन किसी ने टोकने की जहमत नहीं उठाई है। अब इस मामले में एक राजनेता का भी नाम आया है। क्योंकि खुद जिला कलक्टर ने इस प्रकरण को लेकर बार-बार अपने बयान बदल रहे हैं। ऐसे में एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह सबकुछ इसलिए किया गया था कि वहां अधिकारियों के कुछ रिश्तेदारों को भी भर्ती कराया गया था।
शहर के एसपी मुखर्जी नगर में संचालित जिंदल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को प्रशासन के निर्देश पर पहले पांच वेंटीलेटर आरबीएम अस्पताल से पहुंचाए गए। इसके बाद शनिवार को पांच और वेंटीलेटर इस अस्पताल को दिए गए हैं। बताते हैं कि निजी अस्पताल इनका उपयोग कर मनमाने दाम वसूल रहा है। प्रशासन का तर्क है कि आरबीएम में भारी भीड़ की स्थिति को देखते हुए निजी हॉस्पिटल को यह वेंटीलेटर दिए गए हैं। इसकी वजह यह है भी है कि एक मात्र जिंदल हॉस्पिटल में ही कोरोना के मरीजों का उपचार हो रहा है। पीएम रिलीफ फंड की ओर से आरबीएम अस्पताल को 40 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए हैं। इनमें से 10 का उपयोग निजी अस्पताल कर रहा है। भले ही प्रशासन ने भीड़ का हवाला देकर वेंटीलेटर उपलब्ध कराए गए हों, लेकिन निजी अस्पताल आरबीएम से पहुंचने वाले मरीजों को कोई राहत नहीं दे रहा है। उल्टे मरीजों से मनमाने दाम वसूल रहा है।
एक दिन का चार्ज 35 हजार

पीएम रिलीफ फंड से मिले 10 वेंटीलेटर आरबीएम ने जिंदल हॉस्पिटल को दरियादिली दिखाते हुए दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक निजी अस्पताल संचालक एक वेंटीलेटर का एक दिन का चार्ज करीब 35 से 38 हजार रुपए प्रतिदिन वसूल रहा है। ऐसे में 10 वेंटीलेटर का प्रतिदिन का चार्ज करीब साढ़े तीन लाख रुपए रोज होता है। सरकार की ओर से हर तबके के व्यक्ति को सहज इलाज के लिए यह वेंटीलेटर मुहैया कराए गए हैं, लेकिन निजी हॉस्पिटल संचालक इनसे मनमानी राशि वसूल कर रहा है। यह सब जिला प्रशासन की मेहरबानी से हो रहा है, लेकिन इस ओर देखने वाला कोई नहीं है। कोविड के मरीजों को आरबीएम अस्पताल में वेंटीलेटर मुफ्त दिया जा रहा है, जबकि सामान्य दिनों में मरीजों से इसका किराया 1 हजार रुपए प्रतिदिन का होता है, जबकि जिंदल हॉस्पिटल संचालक पैकेज के रूप में 35 से 38 हजार रुपए वसूल रहा है।
अब आरबीएम लेगा दो हजार रुपए प्रतिदिन

जिंदल हॉस्पिटल की ओर से पूर्व में पीएमओ को पत्र लिखकर वेंटीलेटर की मांग की गई। इस पर चिकित्सकों की ओर से सुझाव दिया गया कि इन वेंटीलेटर के एवज में निजी अस्पताल संचालक आरबीएम से जाने वाले एक तिहाई मरीजों का मुफ्त इलाज करे, लेकिन इस सुझाव पर अमल नहीं हो सका। अब आरबीएम प्रशासन की ओर से जिंदल हॉस्पिटल से दो हजार रुपए एक वेंटीलेटर का प्रतिदिन किराया वसूला जाएगा। पहले और अब दिए कुल 10 वेंटीलेटर के किराये का भुगतान निजी हॉस्पिटल की ओर से किया जाएगा।
दोबारा मांगे वेंटीलेटर तो खुली आंख

जिंदल हॉस्पिटल की ओर से करीब एक माह पहले पांच वेंटीलेटर की मांग आरबीएम प्रशासन को पत्र लिखकर की गई। इस पर उसे वेंटीलेटर दे दिए गए। इसके बाद अब पांच मई को फिर से निजी हॉस्पिटल ने वेंटीलेटर मांगे तो आरबीएम प्रशासन चौकन्ना हो गया। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने आरबीएम प्रशासन तक यह बात पहुंचाई कि सरकारी वेंटीलेटर से निजी अस्पताल संचालक चांदी कूट रहा है। इस पर आरबीएम के चिकित्सकों ने जिला प्रशासन को किराया वसूलने का प्रस्ताव भेजा, जिसकी स्वीकृति प्रशासन ने दे दी है।
यह है पत्र में हवाला

प्रमुख चिकित्सा अधिकारी की ओर से जिंदल हॉस्पिटल को लिखे पत्र में कहा है कि जिला कलक्टर के निर्देश पर कोविड-19 की परिस्थिति के मद्देनजर मरीजों की सुविधा के लिए पांच नए वेंटीलेटर राजकीय आरबीएम चिकित्सालय की ओर से भिजवाए जा रहे हैं। निजी अस्पताल को कहा गया है कि आप अपने स्तर पर वेंटीलेटर की व्यवस्था कर इस चिकित्सालय की ओर से भिजवाए गए पांच वेंटीलेटर को यथास्थिति में वापस भिजवाने की व्यवस्था करें। यदि वेंटीलेटर्स में किसी प्रकार की कोई खराब होने पर क्षतिपूर्ति आपकी ओर से देय होगी। हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पत्र में कहीं भी हस्ताक्षर नहीं है। साथ ही डिस्पेच रजिस्टर पर जरूर यह सूचना दर्ज है। इसमें डिस्पेच की तारीख 27 अप्रेल 2021 व नंबर 2747 दर्ज किया गया है।
खुद बात को ही पलट गए जिला कलक्टर…

पत्रिका ने यह मामला सामने आने के बाद प्रत्येक जिम्मेदार अधिकारी से बात की। इसमें एक अधिकारी से इस मामले में पूछने के बाद सभी में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने फोन उठाना तक बंद कर दिया। सबसे पहले एडीएम प्रशासन बीना महावर से बात की तो उन्होंने कहा कि मैंने सुना जरूर है, लेकिन पूरी तरह से कन्फर्म नहीं हूं। आप एडीएम सिटी से बात कर लीजिए। जब एडीएम सिटी केके गोयल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बार-बार फोन करने पर भी कॉल रिसीव नहीं की। जब जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता से बात करने की कोशिश की तो काफी देर तक उन्होंने फोन नहीं उठाया। जब बेसिक नंबर पर कॉल किया तो उनसे बात हुई। उन्होंने पहले कहा कि लिखित में ऐसा कोई आदेश नहीं निकाला है। बाकी मेरी जानकारी नहीं है पता करता हूं। फिर पत्रिका संवाददाता ने दुबारा पूछा तो बोले कि आप मिलिए तब बताता हूं।
एक्सपर्ट व्यू

वैश्विक महामारी के दौर में यदि सरकार किसी निजी अस्पताल का अधिग्रहण करती है तो सरकारी स्तर पर उसे संसाधन एवं स्टाफ उपलब्ध कराया जा सकता है, लेकिन बिना अधिग्रहण किए ऐसा किया जाता है तो वह नियमानुसार गलत है। अमूमन सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी बनी रहती है। इसके लिए उलट भामाशाहों का सहयोग लिया जाता है, इससे मरीजों की बेहतर सेवा हो सके। पीएम फंड से मिले वेंटीलेटरों को निजी अस्पताल को महज उपयोग के लिए दे देना उचित नहीं है। यदि शर्तों में यह शामिल किया जाए कि वह निजी अस्पताल सरकारी हॉस्पिटल से जाने वाले मरीजों का मुफ्त उपचार करेगा या उन्हें अन्य राहत प्रदान करेगा तो ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए भी सरकारी कायदे हैं, लेकिन निजी अस्पताल को केवल पैसे कमाने के लिए सरकारी वेंटीलेटर किसी भी लिहाज से उचित नहीं है।
– डॉ. मोहकम सिंह, पूर्व पीएमओ आरबीएम


इनका कहना है

-वैश्विक महामारी के दौर में लोगों की जान बचाना प्राथमिकता है। आरबीएम में जो वेंटीलेटर यूज नहीं हो रहे थे, उन्हें हमने निजी हॉस्पिटल को किराये पर दिया है। इसका किराया आरएमआरएस को मिलेगा। आरबीएम की आवश्यकता पूरी होने के बाद शेष बचे वेंटीलेटर को अन्य निजी अस्पताल भी किराया देकर उपयोग में ले सकते हैं।
– हिमांशु गुप्ता, जिला कलक्टर

-जिंदल हॉस्पिटल की ओर से पूर्व में पांच वेंटीलेटर मंागे गए थे, जो उसे दे दिए गए। अब फिर से पांच वेंटीलेटर दिए गए हैं। निजी हॉस्पिटल से वेंटीलेटर के उपयोग की एवज में एक वेंटीलेटर का प्रतिदिन दो हजार रुपए चार्ज वसूल किया जाएगा।
– डॉ. जिज्ञासा साहनी, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी आरबीएम


इनका कहना है

वैश्विक महामारी के दौर में हम मरीजों का उपचार कर सरकार की मदद कर रहे हैं। आरबीएम से जो वेंटीलेटर लिए हैं, हम उसका सरकार को किराया दे रहे हैं।
– डॉ. लोकेश जिंदल, संचालक जिंदल हॉस्पिटल भरतपुर
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