जिनका वर्षों पहले प्रमोशन हो चुका, उनका भी दिया पात्रता सूची में नाम

-तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी की शिक्षक पदोन्नत पात्रता सूची का मामला

<p>जिनका वर्षों पहले प्रमोशन हो चुका, उनका भी दिया पात्रता सूची में नाम</p>
भरतपुर. शिक्षा विभाग की ओर से जारी तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की डीपीसी की अस्थायी पात्रता सूची में ढेर सारी गड़बड़ी सामने आ रही है। यह सूची भी लॉकडाउन के दौरान निकाली गई और परिवेदनाओं को लेने की तारीख भी लॉकडाउन में ही तय की है। आश्चर्य की बात यह है कि वर्षों से शिक्षकों की डीपीसी के नाम अस्थायी पात्रता सूची को ही गुपचुप स्थायी बताकर जारी कर दिया जाता है, लेकिन हर बार हंगामा होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है।
जानकारी के अनुसार कार्यालय संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा भरतपुर संभाग की ओर से करीब 400 शिक्षकों की तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी पर पदोन्नति के लिए अस्थायी पात्रता सूची जारी की गई। इसमें पहले 31 मार्च तक परिवेदना लेने का समय निर्धारित किया गया था। इसके बाद फिर एक आदेश निकाला गया कि यदि अब भी इसमें किसी का नाम छूट गया हो, यदि किसी का वर्ग गलत हो, विषय गलत है, नाम या जन्म तिथि में कोई संशोधन वांछनीय हो तो संबंधित कार्मिक पुष्टि के लिए साक्ष्य देकर अपना प्रार्थना पत्र संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को 27 मई 2020 तक प्रस्तुत कर दे। जब शिक्षकों के क्वॉरंटीन सेंटरों पर ड्यूटी देने व कार्यालय में किसी के भी नहीं मिलने का मामला उठा तो फिर एक और आदेश निकाला गया। इसमें कहा कि वरिष्ठ अध्यापक से प्राध्यापक स्कूल शिक्षा के लिए जारी अस्थाई पात्रता सूची में किसी भी प्रकार की आपत्ति के लिए भरतपुर मण्डल कार्यालय की ईमेल आईडी पर निर्धारित फॉरमेट जो पात्रता सूची के साथ संलग्न है, उसमें 28 मई की शाम छह बजे तक आवदेन करें। सूची में अंग्रेजी के करीब 79, गणित के 98, विज्ञान के 80, सामान्य के 44, उर्दू के 81, विशेष शिक्षक एक है।
हर साल विवाद…अस्थायी को ही स्थायी बता करते हैं जारी

हकीकत यह है कि पिछले साल भी शिक्षकों की अस्थायी पात्रता सूची में मृतक, पदोन्नत, सेवानिवृत शिक्षकों के नाम शामिल करने का मुद्दा उठा था, संभाग में ऐसे करीब 100 से भी अधिक केस सामने आए थे। इसका नुकसान उन शिक्षकों को उठाना पड़ता है जो कि पात्रता रखते हैं। संबंधित कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की लापरवाही के कारण डीपीसी के नाम पर कर्मचारी को ही नुकसान उठाना पड़ता है। यही कारण है कि खुद की लापरवाही को छिपाने के लिए पहले तो विभाग की ओर से अस्थायी पात्रता सूची में संशोधन कर स्थायी पात्रता सूची जारी करने का दावा किया जाता है और बाद में उसे स्थायी बताकर इतिश्री कर दी जाती है।
केस नंबर एक

देवेंद्र कुमार राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चितौकरी सेवर में गणित विषय के अध्यापक के बतौर दिखा रहा है। जबकि यह शिक्षक यहां कभी रहा ही नहीं है।

केस नंबर दो
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला परशुराम विज्ञान विषय की निर्मला वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत है। इनको भी इस पात्रता सूची में डीपीसी के योग्य माना गया है।

केस नंबर तीन

सरोज जाड़ीवाल बायोलॉजी की अध्यापक हैं, जो कि वर्ष 2003 से कार्यरत हैं। फिलहाल राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय सेवर में हैं। इनका नाम भी इस पात्रता सूची में नहीं है। जबकि पात्रता के हिसाब से उनका नाम इस सूची में शामिल होना चाहिए था।
-पात्रता सूची संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा के स्तर पर ही निकाली जाती है। अगर कोई समस्या है तो संबंधित शिक्षक परिवेदना दे सकता हैं। उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
प्रेमसिंह कुंतल
डीईओ माध्यमिक मुख्यालय

-ऐसा पहली बार नहीं है कि जब शिक्षकों की डीपीसी के नाम पर निकली अस्थायी पात्रता सूची में पात्र शिक्षकों को ही छोड़ दिया गया है। इससे पहले भी इस तरह की गड़बड़ी के मामले सामने आते रहे हैं। अंत में अस्थायी को ही स्थायी पात्रता सूची बताकर जारी कर दिया जाता है।
पवन शर्मा
प्रदेश संयुक्त मंत्री
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
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