सीएफसीडी के लिए 16 साल आंदोलन, अब सरकार ने दी 200 करोड़ रुपए की स्वीकृति

-राजस्थान पत्रिका की मुहिम का बड़ा असर, अब शहर की ड्रेनेज व्यवस्था होगी मजबूत, शहरी सड़कों के लिए 15 करोड़ रुपए अतिरिक्त

<p>सीएफसीडी के लिए 16 साल आंदोलन, अब सरकार ने दी 200 करोड़ रुपए की स्वीकृति</p>
भरतपुर. सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन के लिए भरतपुर ने 16 साल तक सरकार के खिलाफ न्यायालय में लड़ाई लड़ी, आखिर इस लड़ाई में जीत हुई। राज्य सरकार ने बजट में सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया है। साथ ही करीब 10 से 15 करोड़ रुपए शहरी सड़कों के लिए भी व्यय होंगे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन (सीएफसीडी) का मुद्दा वर्ष 2005 से ही लगातार उठाया था। 12 फरवरी 2021 को राजस्थान पत्रिका के संवाद सेतु में भी यह मुद्दा पुरजोर ढंग से उठाया गया था। पत्रिका के मुद्दे के कारण ही अब तक के विधायकों ने इसे विधानसभा में उठाया। अब जाकर इस बड़ी समस्या से राहत मिलने की उम्मीद बंधी है। भरतपुर शहर के जल निकासी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए मास्टर ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जाएगा। इस परियोजना पर करीब 200 करोड़ रुपए व्यय किया जाएगा।
वर्तमान में अगर बाढ़ आए तो शहर का जलमग्न होना स्वाभिक है। अतिक्रमणों से इतनी बदतर स्थिति हो चुकी है सीएफसीडी की। गौर करें तो वर्ष 2004 में हाई कोर्ट की जोधपुर पीठ ने अब्दुल रहमान बनाम राजस्थान राज्य के जलाशयों के बारे में निर्णय दिया था। इसमें राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वो वाटर बॉडीज (जलाशयों) को 1955 की स्थिति में बहाल करें। लेकिन, सरकार ने ध्यान नहीं दिया। कभी शहर के चारों ओर तीन किलोमीटर लंबाई और 100 से 300 फुट चौड़ाई में फैली सीएफसीडी (सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन) अब अतिक्रमणकारियों के शिकंजे में फंसकर सिमट कर रह गई है। बताते हैं कि रियासतकाल में वर्ष 1955 में कभी इस सीएफसीडी से जल बहाव निर्बाध हुआ करता था, लेकिन वर्तमान में सरकारी तंत्र की अनदेखी और आदेशों की अवहेलना ने अतिक्रमियों के हौसले बुलंद कर इसे सिकोड़ दिया है। आज जहां देखो वहां इमारतें खड़ी हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने इसमें सुधार के लिए संज्ञान लिया था लेकिन जिम्मेदारों ने पालना करना मुनासिब नहीं समझा। इस पर 17 मई 2018 को भरतपुर में तत्कालीन जिला कलक्टर संदेश नायक एवं यूआईटी सचिव लक्ष्मीकांत बालोत को खाई की स्थिति सन् 1947 के हिसाब से चौड़ाई रखने के आवंटनों को निरस्त अतिक्रमणों को हटाने के निर्देश दिए। तत्कालीन जिला कलक्टर ने इस सब के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। उस समय जिला प्रशासन ने सीएफसीडी से 500 से अधिक अतिक्रमण चिह्नित किए और कुछ अतिक्रमण हटाए भी थे। लेकिन, खाई के शेष भाग से न तो अतिक्रमण चिह्नित किए और न उन्हें हटाने की कार्रवाई की गई। अब इस खाई की स्थिति बदतर हो गई है। वहीं अतिक्रमण की स्थिति ये है कि खाई समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। उच्च न्यायालय ने खाई की स्थिति 1947 के हिसाब से सुपर इम्पोज मेप में खसरा नम्बर सहित प्रस्तुत करने के निर्देश दिए, लेकिन मेप पेश नहीं किया गया। फिलहाल काम बंद है और आदेश की पालना के प्रयास भी नहीं किए जा रहे। वर्तमान में खाई के अलावा अन्य जलाशय प्रशासन की नजर से ओझल हैं उन पर भी अतिक्रमण हो चुके हैं।
राजस्थान पत्रिका की खबर से रचा सीएफसीडी का इतिहास

19 अगस्त 2011 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित मर गया रामगढ़ बंधा समाचार पर हाइकोर्ट ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर उसे याचिका मानते हुए सुनवाई की। इसमें राज्य सरकार से जवाब मांगा। स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर मॉनीटरिंग कमेटी बनाकर उसमें वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र डांगी, अशोक कुमार भार्गव, अशोक को शामिल किया। कमेटी ने हाइकोर्ट को रिपोर्ट दी कि बंधा का पानी अतिक्रमणों के कारण रुक गया है। साथ ही पूरे राजस्थान में भी जलभराव व जलबहाव क्षेत्रों के हाल भी यही है। इस पर 29 मई 2012 को जस्टिस मनीष भंडारी ने निर्णय सुनाया कि रामगढ़ बंधा की इस याचिका का जो भी निर्णय होगा, वह पूरे राज्य में लागू होगा। क्योंकि पुराने जलाशय व जलस्त्रोतों के निष्प्रभावी होने से राज्य में पानी के स्त्रोतों की किल्लत हो गई है। हाइकोर्ट ने उस आदेश दिए थे कि राज्य में जलाशयों की अब्दुल रहनाम के केस में हुए निर्णय की पालना में 1955 की स्थिति बहाल करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि जितने भी पट्टे, निर्माण स्वीकृतियां ऐसे क्षेत्रों में दी गई हैं, उनको निरस्त कर खातेदारी खत्म करें। उस समय जंबा रामगढ़ में 6957 अतिक्रमण चिन्हित किए गए थे। जिन अफसरों ने पट्टे जारी कि हैं और मंजूरी दी है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिलास्तर पर एक कमेटी बनाते हुए सिंचाई विभाग के एसई को नोडल आफिसर नियुक्त किया। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के साथ ही हर दो महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया। भरतपुर में कोई कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट की अवमानना को लेकर याचिका दायर हुई। इसमें अब हाइकोर्ट ने 29 मई 2012 का निर्णय बहाल करते हुए 1955 की स्थिति सीएफसीडी क्षेत्र में लाने के आदेश दिए हैं।
शहर के चारों ओर बनी है खाई

बताते हैं कि वर्ष 1985 में बाढ़ आई थी। बाढ़ के पानी को निकालने के लिए शहर के चारों ओर बनी खाई के भीतरी भाग में बाढ़ के पानी को गिर्राज कैनाल में बहाकर निकालने के लिए ड्रेन बनाई गई। जिसे, सीएफसीडी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा हीरादास पोखर, कच्चा कुंडा, ब्रह्मचारी बगीची, अटलबंद, अलक-झलक की बगीची, रामकोट, डिग्गी गुलजार बाग, मस्तराम कॉलेज की डिग्गी आदि जलाशय हैं इन्हें उच्च न्यायालय ने चिह्नित किया है। बताते हैं कि अटलबंद पहले एक बांध था जो आज अतिक्रमणों का शिकार होकर समाप्त हो चुका है।
285 साल पहले बना था कच्ची खाई का पहला नक्शा

जानकर आश्चर्य होगा कि जिस सीएफसीडी का नाम अब बताया जाता है, दरअसल यह स्टेट टाइम में कच्ची खाई कहलाती थी। इसका सबसे पहला नक्शा भरतपुर स्थापना के समय वर्ष 1733 से 1736 के बीच महाराजा सूरजमल ने बनवाया था। मतलब यह है कि भरतपुर की कच्ची खाई का नक्शा करीब 285 साल पहले बन गया था। इसके बाद 1897 में भी महाराजा जसवंत सिंह के समय कच्ची खाई का नक्शा बनवाया गया। उससे पहले 1805 में लार्ड लेक ने यह नक्शा बनवाया था। जबकि वर्ष 1975 में सिंचाई विभाग ने ही इसे सीएफसीडी का नाम देकर नक्शा बनवाया था। सिंचाई विभाग के एक सेवानिवृत अधिकारी ने बताया कि महाराजा सूरजमल ने एक शहर का रूप न रखते हुए छावनी का रूप देते हुए 1733 से 1736 की अवधि में स्थापित कर इसका विस्तार किया था। उस समय आउटलेट नाम कच्ची खाई के इन रास्तों को दिया गया था, लेकिन सीएफसीडी नाम इसे 1975 में सिंचाई विभाग के प्रोजेक्ट में ही दिया गया। उससे पहले पूरे इलाके की कच्ची खाई ही इतिहास में बताया गया है।

इतिहास में पहली बार ऐसा बजट

-भरतपुर को इतनी बड़ी सौगात देने के लिए मुख्यमंत्री का स्वागत है। अब तक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि भरतपुर को इतनी बड़ी सौगात मिली है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, सड़कों का इंफ्रास्ट्रक्चर, भरतपुर का ड्रेनेज सिस्टम, पानी व घना की डीपीआर, यह सभी घोषणाएं ऐतिहासिक कदम हैं।
डॉ. सुभाष गर्ग
तकनीकी शिक्षा एवं चिकित्सा राज्यमंत्री


पत्रिका व भरतपुर की हुई जीत

-राजस्थान पत्रिका ने अखबार के माध्यम से लड़ाई लड़ी। मैंने न्यायालय में सरकार और प्रशासन को घेरा। 2005 से लेकर अब कितने ही आदेश हुए। अब राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कुछ दिन पहले इस पर विस्तार से चर्चा की। यह ऐतिहासिक कार्य हुआ है। आज मेरी 16 साल की तपस्या और मेहनत का फल मिला है।
श्रीनाथ शर्मा
याचिकाकर्ता अधिवक्ता


राज्यमंत्री की योजना काम आई

-यह भरतपुर की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि है। राज्यमंत्री ने पूरी ताकत लगा दी थी। 200 करोड़ रुपए ड्रेनेज व करीब 10 से 15 करोड़ रुपए शहरी सड़कों के लिए स्वीकृत हुए हैं। कांग्रेस सरकार ने वो काम कर दिखाया है जो नगर निगम के इतिहास में कोई नहीं कर सका है।
अभिजीत कुमार
मेयर नगर निगम


भरतपुर विधानसभा क्षेत्र

1. भरतपुर में नर्सिंग महाविद्यालय खोला जाएगा।
2. आरबीएम अस्पताल में 87 करोड़ रुपए की लागत से 250 बेड क्षमता के नवीन चिकित्सालय का निर्माण कराया जाएगा। भरतपुर में सुपर स्पेशयलिटी न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी व कार्डियोलॉजी विभाग प्रारंभ किए जाएंगे।
3. जिला अस्पताल में 30-30 बेड के आईसीयू विकसित किए जाएंगे।
4. भरतपुर मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में जीवन रक्षक उपकरणों से युक्त एडवांस लाइफ सपोर्ट क्रिटिकल केयर एंबुलेंस मिलेंगी।
5. पांच करोड़ की लागत से ट्रोमा सेंटर विकसित किए जाएंगे।
6. भरतपुर में आयुर्वेद, योग व नेचुरोपैथी के एकीकृत कॉलेज स्थापित करने की घोषणा की गई है।
7. जिला अस्पताल में पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के लिए जिला अस्पतालों में आठ विशिष्टताओं में पोस्ट एमबीबीएस डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ किए जाएंगे। इससे प्रतिवर्ष अतिरिक्त विशेषज्ञ चिकित्सक मिल सकेंगे।
8. पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांवों व कस्बों में अलगे दो वर्षों में अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय प्रारंभ होंगे।
9. जिला मुख्यालय पर अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं का संचालन किया जाएगा।
10. भरतपुर में विशेष योग्यजन वाले आवासीय विद्यालयों की स्थापना की जाएगी।
11. मेजर ध्यानचंद स्टेडियम योजना के तहत मोरोली भरतपुर में खेल स्टेडियम बनेगा। इसके लिए विधायक, सांसद निधि, जनप्रतिनिधियों से जन सहयोग, सीएसआर से प्राप्त राशि व राज्य सरकार की ओर से राशि दी जाएगी।
12. भरतपुर में खेलों को बढ़ावा देने के लिए मल्टीपरपज इंडोर हॉल तैयार कराए जाएंगे।
13. बच्चों में नशे की प्रवृति रोकने तथा उन्हें ऐसी परिस्थितियों से बाहर निकालने के लिए नेहरू बाल संरक्षण कोष के तहत भरतपुर संभाग मुख्यालय पर समेकित बाल पुनर्वास केंद्र की स्थापना स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से की जाएगी।
14. आगामी वर्षों में भरतपुर में आरओबी का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए अन्य जिलों सहित 403 करोड़ का प्रावधान रखा है।
15. भरतपुर-आगरा वाया अछनेरा रोड की राजस्थान सीमा तक 15 किमी लंबाई में सड़क को चौड़ा करने के लिए आगामी वर्ष में 16 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य कराया जाएगा।
16. भरतपुर शहर के जल निकासी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए मास्टर ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जाएगा। इस परियोजना पर करीब 200 करोड़ रुपए व्यय किया जाएगा।
17. प्रत्येक विधानसभा में 40 हैडपंप एवं 10 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे।
18. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान विश्व में पक्षियों की शरणस्थली के रूप में विख्यात है। यह यूनेस्को हेरिटेज एवं रामसर स्वीकृत साइट है। इसे वेटलेंड बर्ड हेवीटेट कन्जरवेशन सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। जैव विविधता के संरक्षण एवं पक्षियों के लिए जलाशयों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए चंबल नदी से जल लाने को करीब 570 करोड़ रुपए की योजना की डीपीआर तैयार कराई जाएगी।
19. नकली नोट, मादक पदार्थों की तस्करी, आतंककारी गतिविधियों, गैर कानूनी संगठनों की गतिविधियों पर निगरानी एवं कार्रवाई के लिए भरतपुर में एटीएस की चौकी स्थापित की जाएगी।
नदबई विधानसभा क्षेत्र

1. उच्चैन भरतपुर में नया पॉलिटेक्निक कॉलेज खोला जाएगा।
2. उच्चैन में कृषि उपज मंडी की स्थापना की जाएगी।
3. आधारभूत सरंचना में सड़कों के निर्माण की योजना के तहत पान्होरी से नदबई वाया जनूथर-ऐचेरा का निर्माण (नगर, नदबई)
4. बाड़ी-बसेड़ी-बंध बारैठा-उच्चैन-भरतपुर-सौंख का निर्माण (बयाना, उच्चैन)
5. 118 करोड़ 12 लाख रुपए से खेड़ली-नदबई रोड का निर्माण (कुम्हेर खंड)
6. प्रत्येक विधानसभा में 40 हैडपंप एवं 10 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे।
7. नदबई में पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय खोला जाएगा।
8. उच्चैन के गांव सैदपुरा में संस्कृत महाविद्यालय
कामां विधानसभा क्षेत्र

1. पहाड़ी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत किया गया है।
2. पीएचईडी का एक्सईएन ऑफिस खोला जाएगा।
3. प्रत्येक विधानसभा में 40 हैडपंप एवं 10 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे।
वैर विधानसभा क्षेत्र

1. हलैना में 10 बेड का नया ट्रोमा सेंटर खोला जाएगा।
2. भुसावर में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जाएगी।
3. प्रत्येक विधानसभा में 40 हैडपंप एवं 10 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे।
4. सुगम व त्वरित न्याय के लिए वैर में अपर जिला एवं सैशन न्यायालय की स्थापना की जाएगी।

नगर विधानसभा क्षेत्र

1. नगर में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जाएगी।
2. आधारभूत सरंचना में सड़कों के निर्माण की योजना के तहत पान्होरी से नदबई वाया जनूथर-ऐचेरा का निर्माण (नगर, नदबई)
3. प्रत्येक विधानसभा में 40 हैडपंप एवं 10 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे।
4. सीकरी जयपुर विद्युत वितरण निगम का एईएन कार्यालय खोला जाएगा।

बयाना विधानसभा क्षेत्र

1. रूपवास में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जाएगी।
2. बाड़ी-बसेड़ी-बंध बारैठा-उच्चैन-भरतपुर-सौंख का निर्माण (बयाना, उच्चैन)
3. आगामी वर्षों में बयाना में आरओबी का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए अन्य जिलों सहित 403 करोड़ का प्रावधान रखा है।
4. प्रत्येक विधानसभा में 40 हैडपंप एवं 10 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे।
5. बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना के तहत बंध वरैठा में जीर्णोद्धार संबंध्ी कार्य होंगे।
6. बयाना-रूपवास में सीवरेज सुविधा नहीं है। यहां पर दो वर्षों में फिकल व एसटीपी स्थापित किए जाएंगे।
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