मंडी में सरसों की बिक्री घाटे का सौदा..

भरतपुर. पूर्वी राजस्थान के सरसों उत्पादन के मुख्य केंद्र भरतपुर में एक प्रतिशत किसान कल्याण कोष टैक्स और गिरते मंडी भाव ने किसानों को मंडी में सरसों बेचने की दृष्टि से दूर कर दिया है।

<p>मंडी में सरसों की बिक्री घाटे का सौदा..</p>
भरतपुर. पूर्वी राजस्थान के सरसों उत्पादन के मुख्य केंद्र भरतपुर में एक प्रतिशत किसान कल्याण कोष टैक्स और गिरते मंडी भाव ने किसानों को मंडी में सरसों बेचने की दृष्टि से दूर कर दिया है। यहां किसानों को प्रति क्विंटल 44 रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसा लगता है कि किसान अब टैक्स की दृष्टि से फ्री और मुनासिब भाव में अपनी सरसों को समर्थन मूल्य या उत्तर प्रदेश की मंडियों में बेचने की रुचि दिखा रहे हैं।
राज्य सरकार ने दो प्रतिशत टैक्स को एक प्रतिशत कर दिया, लेकिन यह निर्णय किसानों को घाटे का सौदा साबित हो रहा है। यह उन किसानों के लिए जो सरसों को भरतपुर मंडी में व्यापारियों को बेचते हैं। क्योंकि, व्यापारियों से सरसों को तेल उद्योग वाले खरीदते हैं और उन्हें इस टैक्स का भुगतान सरकार को करना पड़ता है। इस स्थिति में किसानों को प्रति क्विंटल लगभग 44 रुपए का नुकसान हो रहा है।
हालांकि सरसों मंडी में आढ़तियों के स्तर पर सरसों की खरीद करीब 42 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से जारी है। खरीद पर नजर डालें तो वर्ष 2019 में 01 अप्रेल से 12 जून तक 2 लाख 91 हजार 558 क्विंटल और वर्ष 2020 में अप्रेल से अब तक 2 लाख 2298 क्विंटल सरसों खरीदी जा चुकी है। दोनों वर्षों की तुलना में 90 हजार क्विंटल का अंतर इसलिए है कि बीते माह लॉक डाउन, कफ्र्यू और किसान कल्याण कोष टैक्स लगाने के कारणों से मंडी करीब 29 दिन बंद रही थी।

दूसरी ओर कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर भी किसानों के मंडी में कम आने को माना जा रहा है। इसलिए कोविड-19 को देखते हुए राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद का कार्य एक मई से क्रय-विक्रय सहकारी समिति व ग्राम सेवा सहकारी समितियों को दिया है। इसके लिए जिले में 31 केंद्र बनाए हैं, जहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के तहत ऑनलाइन रजिस्टर्ड किसानों से 4425 रुपए समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद जारी है। इसमें एक मई से अब तक 10 हजार 758 किसानों ने 2 लाख 62 हजार 655 क्विंटल सरसों 4425 रुपए क्विंटल के समर्थन मूल्य पर सरकार को बेची है।
व्यापार मंडल नई मंडी के मंत्री अमित गोयल ने बताया कि मंडी भाव लगभग 4400 रुपए है और एक प्रतिशत टैक्स से किसान को 44 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा। इसलिए किसान समर्थन मूल्य 4425 रुपए या उत्तर प्रदेश में बिना लैब जांच और टैक्स के बेचने का रुख कर रहे हैं। फिलहाल मंडी में 50 से 100 किसान सरसों बेचने आ रहे हैं, जिससे पहले जैसी ढेरियां नजर नहीं आ रहीं।
जबकि, पिछले वर्ष मंडी में 250 से 300 किसान प्रतिदिन 50 किलो के 5000 से 5500 कट्टों में भरी सरसों बेचने आते थे। लेकिन, अब नहीं आ रहे। प्रभारी मंडी यार्ड शैलेंद्र गोयल का कहना है कि सरसों मंडी में सरसों की खरीद जारी है। गत वर्ष और इस वर्ष अब तक औसत देखा जाए तो 2 लाख 22 हजार क्विंटल से अधिक सरसों किसानों ने मंडी में बेची है। कल्याण कोष टैक्स का प्रभाव किसानों पर नहीं है। यहां खरीद चल रही है।
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