पिता का पैर टूटा, मां ने संभाली घर की कमान और दोनों बेटियों को बनाया काबिल

एक बेटी बैंक अधिकारी बनी तो दूसरी इंजीनियर

<p>पिता का पैर टूटा, मां ने संभाली घर की कमान और दोनों बेटियों को बनाया काबिल</p>
भरतपुर. गोपालगढ़ मोहल्ला में स्थित सूरजपोल गेट निवासी बीना सिंह के परिवार कहानी भी मां की ममता और त्याग को बयां कर रही है। दोनों बेटी व बेटे के जीवन यापन से लेकर उन्हें काबिल बनाने तक मां बीना सिंह जिस तरह संघर्ष किया है, वह आज हर किसी के लिए प्रेरणा बन चुका है।
कीर्ति सिंह पुत्री योगेश सिंह (29) ने बताया कि उनके परिवार में दो बहन एवं एक भाई है। पिताजी सिमको फैक्ट्री में सामान्य पद पर कार्य करते थे। परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी पिताजी की आमदनी पर ही निर्भर थी, परन्तु सिमको फैक्ट्री के बन्द हो जाने के बाद पिताजी बेरोजगार हो गए और परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर हो गया, लेकिन मां बीना सिंह मोहल्ले के आसपास के लोगों के सिलाई के ऑर्डर लेकर सिलाई का कार्य करती थीं, सिलाई के कार्य से प्राप्त आमदनी से हमारे परिवार का खर्च चलने लगा तथा पिताजी को भी डिस के काम की दुकान खुलवा दी। इससे परिवार को चलाने में हम दो बहन और भाई को पढ़ाने में काफी मदद मिलती थी, लेकिन एक दिन डिस का कार्य करते हुए छत से गिरने के कारण पिताजी का पैर टूट गया और वह पूर्णरूप से लाचार हो गए और उनकी आमदनी भी बन्द हो गई। ऐसी विषम परिस्थितियों में मां ने ही दिन-रात सिलाई के कार्य की मेहनत से पिताजी का इलाज कराया एवं मुझे एमबीए की डिग्री को पूर्ण करने के लिए हौसला दिलवाती रहीं एवं नौकरी के लिए कम्पटीशन की तैयारी के लिए आगरा कोचिंग करने में भी सहयोग दिया।
पहले नौकरी की और फिर खुद का काम खोला

परिवार के जीवन-यापन के लिए अतिरिक्त आमदनी की आवश्यकता होने के कारण बीना लुपिन संस्था में सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षिका के रूप आठ हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी करती थीं तथा शाम को घर आने के बाद भरतपुर शहर के आसपास की फैक्ट्री एवं थोक दुकानदारों से सिलाई के ऑर्डर लाकर स्कूल की यूनिफॉर्म तैयार करती थी, बीना की अतिरिक्त आमदनी से छोटी बेटी वर्षा भरतपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री दिलवाकर प्राइवेट नौकरी कर रही है। बेटे को ग्रेजुएशन के साथ-साथ कम्प्यूटर एनीमेशन का कोर्स भी कराया और वह वर्तमान में रेल्वे की परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
बेटी बोली: मां ने सिखाया कोई भी काम छोटा नहीं होता

कीर्ति सिंह बैंक ऑफ इण्डिया जयपुर में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत ँहैं तथा बहन को भी इंजीनियर बनाया। मां नगर निगम से ऑर्डर लेकर मास्क बनाने का कार्य कर उसकी अतिरिक्त आमदनी से सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए कोचिंग करा रहीं है। इन विषम परिस्थितियों में मैंने मां को कभी भी परेशान होते हुए नही देखा, वह हर समस्या का सहजता के साथ सामना करती रहीं और हम सभी भाई-बहनों को भी यह प्रेरणा देतीं रहीं कि कोई भी कार्य छोटा नहीं होता है तथा वह सिलाई का कार्य स्वयं ही करती रहती थी। हमको कभी भी पढाई छोड़कर हाथ बंटाने के लिए भी नहीं कहा।
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