पहले नौकरी की और फिर खुद का काम खोला परिवार के जीवन-यापन के लिए अतिरिक्त आमदनी की आवश्यकता होने के कारण बीना लुपिन संस्था में सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षिका के रूप आठ हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी करती थीं तथा शाम को घर आने के बाद भरतपुर शहर के आसपास की फैक्ट्री एवं थोक दुकानदारों से सिलाई के ऑर्डर लाकर स्कूल की यूनिफॉर्म तैयार करती थी, बीना की अतिरिक्त आमदनी से छोटी बेटी वर्षा भरतपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री दिलवाकर प्राइवेट नौकरी कर रही है। बेटे को ग्रेजुएशन के साथ-साथ कम्प्यूटर एनीमेशन का कोर्स भी कराया और वह वर्तमान में रेल्वे की परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
बेटी बोली: मां ने सिखाया कोई भी काम छोटा नहीं होता कीर्ति सिंह बैंक ऑफ इण्डिया जयपुर में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत ँहैं तथा बहन को भी इंजीनियर बनाया। मां नगर निगम से ऑर्डर लेकर मास्क बनाने का कार्य कर उसकी अतिरिक्त आमदनी से सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए कोचिंग करा रहीं है। इन विषम परिस्थितियों में मैंने मां को कभी भी परेशान होते हुए नही देखा, वह हर समस्या का सहजता के साथ सामना करती रहीं और हम सभी भाई-बहनों को भी यह प्रेरणा देतीं रहीं कि कोई भी कार्य छोटा नहीं होता है तथा वह सिलाई का कार्य स्वयं ही करती रहती थी। हमको कभी भी पढाई छोड़कर हाथ बंटाने के लिए भी नहीं कहा।