पति करता था मजदूरी, आठवीं पास लक्ष्मी ने संभाली घर की कमान

-दंपती ने मिलकर पाया मुकाम

<p>पति करता था मजदूरी, आठवीं पास लक्ष्मी ने संभाली घर की कमान</p>
भरतपुर. लक्ष्मी भी उन्हीं स्वावलंबी व मेहनती महिलाओं में से एक है, जिन्होंने समाज के ताने सुनने के बाद भी मेहनत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मेहनत के दम पर एक दिन परिवार की आर्थिक हालत सुधारने में मुकाम हासिल किया। उनके पति ने भी इस मुहिम भरपूर योगदान दिया। पति मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे, लेकिन उससे गुजारा करना मुश्किल हो रहा था। एक दिन पत्नी लक्ष्मी ने आठवीं पास होने के बाद भी कोई खुद का रोजगार करने का निर्णय लिया। पति नेमीचंद सैनी का हौंसला बढाते हुए पूरा योगदान दिया।
पहाड़ी के गांव सतवाड़ी निवासी लक्ष्मी सैनी पत्नी नेमीचंद का परिवार बहुत ही गरीब था। नेमीचंद मजदूरी का कार्य करते थे। उनके परिवार में पांच सदस्य हैं। इनमें दो बच्चे भी हैं। एक संस्था से 25 हजार रुपए ऋण लेकर स्वयं के 50 हजार रुपए लगाकर जनरल स्टोर की दुकान खोली। सच्ची लगन व मेहनत से काम गति पकड़ गया। इनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव शुरू हो गया। साथ में इन्होंने सब्जी बेचने का कार्य प्रारंभ कर दिया। लक्ष्मी की आमदनी में निरंतर बदलाव आया तो एक संस्था के सहयोग से 50 हजार रुपए ऋण एचएफएचआई लेकर एवं स्वयं के दो लाख रुपए लगाकर मकान व रोड पर दो दुकान मय शौचालय का निर्माण किया गया। लक्ष्मी के बच्चे स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। आर्थिक बदलाव के कारण उक्त महिला गांव में प्रेरणा स्त्रोत का उदाहरण बन गया है। वर्तमान में 15 हजार से 20 हजार रुपए प्रतिमाह आय है।
महिलाओं को पसंद आ रहे लघु व कुटीर उद्योग

बताते हैं कि जिले के ग्रामीण इलाकों में ऐसी सैकड़ों महिलाओं ने सिलाई का काम सीखकर सफलता की कहानी लिखी है। आज भी परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में ये महिलाएं सफल साबित हुई हैं। हालांकि जानकार यह भी बताते हैं कि अभी भी कुछ इलाकों में योजनाओं की जानकारी के अभाव में महिलाएं उनका लाभ नहीं उठा पाती है। इससे वह अपने हुनर का प्रदर्शन नहीं कर पाती है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं को भी इनकी सफलता की कहानियों से प्रेरणा लेकर हुनर का प्रदर्शन करना चाहिए।
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