भरतपुर

मरता, क्या नहीं करता की तर्ज पर हो रही इलाज के नाम पर लूट

-राजस्थान पत्रिका के खुलासा करने के बाद विपक्ष ने भी खोला मोर्चा, भाजपा का आरोप…अधिकारियों के रिश्तेदारों का हुआ था इलाज इसलिए की मेहरबानी

भरतपुरMay 10, 2021 / 04:22 pm

Meghshyam Parashar

मरता, क्या नहीं करता की तर्ज पर हो रही इलाज के नाम पर लूट

भरतपुर. ‘मरता, क्या नहीं करता यह विकट हालातों में मरीज की मजबूरी बन गई है, लेकिन ‘अपनों की सांसों की सलामती के लिए सरकारी कायदे कुर्बान किए जा रहे हैं। निजी अस्पताल में मची लूट को लेकर तीमारदार भी ‘साहब के पास लूट पर अंकुश लगाने की फरियाद लेकर पहुंचे, लेकिन उनकी आवाज दबकर रह गई। मिलीभगत के खेल पर अब विपक्ष ने भी सवाल उठाए हैं। करीब एक माह पहले जिंदल हॉस्पिटल पहुंचे वेंटीलेटर की किराया राशि भी पत्रिका के सवाल उठाने के बाद तय हुई है। इससे तय है कि यह खेल किस स्तर पर चल रहा है। क्योंकि किराया तय करने में ही अधिकारियों ने इतने दिन तक इंतजार किया।
जिंदल हॉस्पिटल में पांच वेंटीलेटर पहले ही पहुंच गए थे। इसकी वजह यहां अधिकारियों के परिजनों का उपचार होना भी बताया जा रहा है। बताते हैं कि संभवतया यह वेंटीलेटर उनकी सेवा में ही पहुंचे थे। हॉस्पिटल में दूसरी मंजिल पर भर्ती रहीं साहब की परिजन को देखने के लिए साहब प्रतिदिन सुबह-शाम पहुंच रहे थे। कई बार एक पुलिस अधिकारी भी साहब के साथ पहुंचीं। दो अन्य अधिकारियों के परिजनों ने भी यहां खूब चंदन घिसा। सूत्रों का दावा है कि इसी उपकार के चलते सरकारी वेंटीलेटर निजी सेवा में समर्पित हैं। पत्रिका के जरिए मामला प्रकाश में आने के बाद इनकी किराया राशि तय की गई, जो बाजार रेट से काफी कम है। अब अस्पताल संचालक ने इस किराया राशि को भी मरीज के बिल में जोडऩा शुरू कर दिया है। बात यहां पर ही खत्म नहीं होती कि मरीज की कैटेगरी के हिसाब से यहां चार्ज वसूला जा रहा है। कागजों में नौ हजार रुपए प्रतिदिन व दो हजार रुपए सरकारी किराया राशि है, जबकि रसूख वाले मरीज को 15 से 20 हजार रुपए और सामान्य मरीजों से दोगुना तक शुल्क वसूला गया है। चूंकि यहां नोएडा, दिल्ली के अलावा स्थानीय मरीज भी भर्ती हुए थे। उनसे बात करने पर इस बात का खुलासा हुआ है।
केस नंबर: एक

प्रतिदिन वसूले 20 हजार

शहर निवासी आराधना अग्रवाल जिंदल हॉस्पिटल में भर्ती हुईं। आराधना बीमा पॉलिसी में कवर थीं, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन ने इससे मानने से इनकार करते हुए कैशलेश देने से मना कर दिया। इसकी एवज में मरीज से प्रतिदिन 20 हजार रुपए का चार्ज वसूल किया गया। कोरोना पॉजिटिव आराधना को सात हजार रुपए में बेड एवं 1500 रुपए ऑक्सीजन तथा दवा का चार्ज अलग से देना बताया गया, लेकिन इसके उलट बिल में नौ हजार रुपए बेड एवं तीन हजार रुपए ऑक्सीजन के प्रतिदिन वसूल किए गए। खास बात यह है कि हॉस्पिटल ने सरकारी आदेश को मानने से कतई इनकार कर दिया। आराधना से नौ दिन का एक लाख 33 हजार रुपए का चार्ज वसूला गया, जबकि उन्हें सिर्फ ऑक्सीजन लगी थी। दवाओं का चार्ज अलग से वसूला गया।
केस नंबर: दो
पांच दिन के वसूले डेढ़ लाख रुपए

कोरोना काल में निजी अस्पतालों की मनमानी चरम पर है, लेकिन प्रशासन इस पर अंकुश लगाता नजर नहीं आ रहा। शहर के एक मरीज के परिजन ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनकी मां कोरोना पॉजिटिव थीं। ऐसे में उन्हें जिंदल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। पांच दिन के उपचार के बाद उनकी मौत हो गई। उन्हें वेंटीलेटर पर भी रखा गया था। हॉस्पिटल ने उनसे वेंटीलेटर एवं ऑक्सीजन सहित अन्य चार्जेज 30 हजार रुपए प्रतिदिन वसूला गया। इसमें ऑक्सीजन, बेड एवं वेंटीलेटर के अलग-अलग दाम वसूले गए। पांच दिन में अस्पताल ने उनसे डेढ़ लाख रुपए वसूल किए, जबकि इस अस्पताल में सरकारी वेंटीलेटर लगे हैं, जो महज दो हजार रुपए प्रतिदिन के किराये पर हैं।
ऐसे बढ़ा रहे निजी अस्पताल रेट

कोरोना काल में मानवता दिखाने के बजाय निजी अस्पताल संचालक खुली लूट पर उतरे नजर आ रहे हैं। सामान्य दिनों में आईसीयू बेड की रेट पांच हजार एवं ऑक्सीजन की कीमत 1100 रुपए थी, जो कोरोना के मरीजों के बढ़ते ही सात हजार एवं 1500 रुपए कर दी गई। केसों में लगातार इजाफा देख निजी अस्पतालों ने इसे मौके के रूप में लेना शुरू कर दिया। अब आईसीयू बेड की कीमत 9 हजार एवं ऑक्सीजन की कीमत तीन हजार रुपए ली जा रही है। ऐसे में लोगों का इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है। सरकारी स्तर पर जहां सिटी स्केन की रेट बहुत कम हैं। वहीं निजी अस्पताल इसके 5 हजार रुपए वसूल कर रहे हैं।
एक ही नहीं बल्कि तमाम अस्पताल कूट रहे चांदी

यह सिर्फ किसी एक निजी अस्पताल का मामला नहीं है। जब आरबीएम अस्पताल में बेड फुल होने की बात कहकर मरीज को लौटा दिया जाता है तो निजी अस्पताल ही उनका सहारा बनता है। ऐसे में सिर्फ एक ही नहीं बल्कि ज्यादातर निजी अस्पताल इसी तरह चांदी कूट रहे हैं। सरकूलर रोड पर ही कन्नी गुर्जर चौराहे के पास कुछ माह पहले खुले नए निजी अस्पताल में तो आए दिन इस तरह की लूट के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन शिकायतों के बाद भी अधिकारी मिलीभगत के चलते कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।
कीमत एक नजर में

9 हजार – आईसीयू बेड
3 हजार – ऑक्सीजन
5 हजार – सिटी स्केन
30 हजार रुपए प्रतिदिन खर्चा

अप्रेल में दिए वेंटीलेटर, मई में मांगा किराया

आरबीएम चिकित्सालय प्रशासन ने जिंदल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को किराया जमा कराने के अब 7 मई को पत्र लिखा है। इसमें हॉस्पिटल को किराया जमा कराने को कहा गया है, जबकि वेंटीलेटर हॉस्पिटल को अप्रेल माह में ही दे दिए गए थे। अस्पताल को यह वेंटीलेटर संक्रमण की स्थिति में मरीजों के हित को देखते हुए चिकित्सकीय कमेटी की अनुशंसा पर जिला कलक्टर के अनुमोदन के बाद आम आदमी की जीवन रक्षा के लिए प्रति वेंटीलेटर किराया 2 हजार प्रतिदिन की दर निर्धारित की गई। अस्पताल को 27 अप्रेल को 5 वेंटीलेटर एवं 6 मई को 5 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए गए हैं। इनका किराया राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी में जमा कराएं। खास बात यह है कि 2 हजार रुपए वेंटीलेटर का किराया बहुत कम है। इस पर भी आपत्ति हो चुकी है, लेकिन सब अनदेखी की जा रही है। चिकित्सा सूत्रों के अनुसार एक वेंटीलेटर का प्रतिदिन का किराया 5 से 7 हजार रुपए तक होना चाहिए।
अब प्रदीप हॉस्पिटल ने मांगे वेंटीलेटर

आरबीएम चिकित्सालय प्रशासन के अनुसार जिंदल हॉस्पिटल के बाद अब प्रदीप हॉस्पिटल ने भी वेंटीलेटर की डिमांड की है। अब इस पर चिकित्सालय प्रशासन मंथन कर रहा है।
कलक्टर के पास मेल के जरिए यह पहुंची शिकायत

शहर निवासी आयुषी बंसल ने जिला कलक्टर को जिंदल हॉस्पिटल की ओर से ली जा रही अधिक राशि को लेकर मेल के जरिए शिकायत भेजी है। इसमें आरोप है कि जिंदल अस्पताल वर्तमान महामारी की स्थिति का लाभ उठा रहा है। ताकि इन कठिन समय के बीच अत्यधिक लाभ अर्जित किया जा सके। मेरी मां पिछले 8 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। राजस्थान सरकार ने निजी अस्पतालों में कोविड-19 के उपचार के लिए वेंटिलेटर समर्थन के बिना आईसीयू बिस्तर के लिए 8250 प्रति दिन (सब कुछ सहित) तय किया है, लेकिन हमसे प्रति दिन लगभग 20 हजार चार्ज किए जाते हैं। आईआरडीएआई के दिशा-निर्देशों और सेवा अनुबंध समझौते (एसएलए) का उल्लंघन करते हुए मेरी बीमा पॉलिसी में कैशलेस सूची (आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस कैशलेस लिस्ट से नीचे सूचीबद्ध अस्पताल का उल्लेख करते हुए) में उल्लेख किए जाने के बावजूद कैशलेस उपचार से इनकार कर रहे हैं। असहाय और एक स्वास्थ्य आपातकाल के समय हमने 45 हजार रुपए जमा किए और नियमित अंतराल पर यही करते रहे कि मेरी मां के खाते को बंद करने से रोकने के लिए आवश्यक दिनचर्या परीक्षणों में बाधा उत्पन्न हो। आज यह बिल एक लाख 48 हजार रुपए है। वह लगातार कीमतों में वृद्धि कर रहे हैं, जो वे आसपास के क्षेत्र में उपलब्ध बेड के साथ एकमात्र अस्पताल होने का लाभ उठा रहे हैं।
सरकार नाकाम, मिलीभगत की हो जांच

-मैं दो माह से अस्पताल प्रशासन से बार-बार पूछ रही हूं कि वेंटीलेटर कहां लगाए हैं और कहां पर गए हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया है। जिंदल हॉस्पिटल हमेशा विवादों में रहा है, उसको अस्पताल प्रशासन ने दस वेंटीलेटर दिए हैं। बात करने पर कलक्टर का कहना है कि वह वेंटीलेटर कंडम थे, लेकिन वह बिल्कुल सही थे। उन वेंटीलेटर से जिंदल हॉस्पिटल 35 से 40 हजार रुपए पैकेज के रूप में वसूल रहा है। भरतपुर में दो-दो मंत्री होते हुए भी इस तरह की नाकामी देखने को मिल रही है। यह बिल्कुल गलत है। यह सब मिलीभगत से हुआ है। इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए। मैं राज्य सरकार से मांग करती हूं कि मामले की जांच कराकर सबके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
– रंजीता कोली, सांसद

-पीएम केयर रिलीफ फंड से आए वेंटीलेटरों को निजी अस्पताल को देकर उसे लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है। यह सब किसके इशारे पर हुआ है और कौन-कौन इसमें शामिल रहा है। इसकी जांच कराकर उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए। सीएम को खुद इस मामले में दखल देना चाहिए। कोरोनाकाल में लोगों की मदद करनी चाहिए, बल्कि भरतपुर में आम मरीजों का शोषण किया जा रहा है।
राजेंद्र सिंह राठौड़, उप नेता प्रतिपक्ष विधानसभा

-मैंने सीएम अशोक गहलोत को भी ट्विट कर इस मामले की शिकायत की है। भरतपुर में दो राज्यमंत्री होने के बाद भी चिकित्सा व्यवस्थाओं का चरमराना और निजी अस्पताल को लाभ पहुंचाने का मामला शर्मनाक है। दोषियों के खिलाफ एसीबी से जांच कराई जानी चाहिए।
भजनलाल शर्मा, प्रदेश महामंत्री भाजपा

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