साढ़े चार साल का आयुष शनिवार सुबह घर पर खेल रहा था। अचानक उसके नाक व मुंह से खून आने लगा। परिजन उसे जनाना अस्पताल लेकर पहुंचे। परिजनों ने बताया कि अस्पताल में नीचे मिले चिकित्सक ने तुरंत इमरजेंसी ले जाने के लिए कहा। इस पर हम बालक को ऊपर लेकर गए, लेकिन दस मिनट तक गेट खटखटाने के बाद भी गेट नहीं खोला गया।
आरोप है कि हम बाहर चिल्लाते रहे और अंदर कमरे में चार चिकित्साकर्मी हीटर पर हाथ सेंकते रहे। इसके बाद चिकित्सक भी हीटर तापने चले गए। परिजनों ने आरोप लगाया कि हम बीमार बच्चे को लेकर करीब आधे से पौन घंटे तक लेकर घूमते रहे, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते बालक की मौत हो गई।
दावा: तुरंत शुरू किया उपचार
उधर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को बताया कि बच्चे का तुरंत उपचार शुरू किया। बच्चे की धड़कन बंद थीं। बच्चे को ऑक्सीजन लगाकर सीपीआर तुरंत चालू की। बच्चे की स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में उसे बचा नहीं सके।