प्रोफेसर ने जिला कलक्टर के विरुद्ध किया क्षतिपूर्ति का वाद दायर

-पंचायत चुनाव के दौरान निलंबित हुए थे प्रोफेसर

<p>प्रोफेसर ने जिला कलक्टर के विरुद्ध किया क्षतिपूर्ति का वाद दायर</p>
भरतपुर. एमएसजे कॉलेज के प्रोफेसर अरविंद कुमार वर्मा ने जिला कलक्टर के विरुद्ध आदेश 7 नियम 1 सिविल प्रक्रिया संहिता ए 1908 के तहत पांच लाख एक सौ रुपए की क्षतिपूर्ति का वाद किया है। इसके लिए 33 हजार 400 रुपए की कोर्ट फीस जमा कराई गई है। यह दावा जरिए अधिवक्ता देवेन्द्र पाल सिंह की ओर से जिला जज एवं सत्र न्यायधीश की अदालत में पेश किया गया। इसमें दो नवम्बर की तलबी जारी की गई है।
प्रो. अरविन्द वर्मा ने बताया कि पंचायत चुनाव 2020 के दौरान एक साधारण प्रकृति के वाट्सअप मैसेज पर जिला कलक्टर ने व्यक्तिगत तानाशाही में नियमों की घोर अवहेलना करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए उन्हें 16 जनवरी 2020 को जिला कलक्टर की हैसियत से निलंबित कर दिया था। जबकि प्रो. वर्मा निलंबन से पूर्व ही जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से कार्यमुक्त कर दिए गए थे। यही नहीं जिला कलक्टर को सेवा नियमों के मुताबिक किसी भी अन्य विभाग में कार्यरत कर्मचारी या अधिकारी को निलंबित करने का अधिकार ही प्राप्त नहीं है। जिला कलक्टर ने चुनाव आचार संहिता की समाप्ति 30 जनवरी 2020 के बाद सात फरवरी 2020 को जिला निर्वाचन अधिकारी की हैसियत से 17 सीसी में चार्जशीट जारी कर दी। एक दूसरी चार्ज शीट खुद जिला कलक्टर ने स्वयं के साथ दुव्र्यवहार और धमकी की प्रो. वर्मा के विरुद्ध जारी कर दी। इस मामले में उन्होंने खुद के साथ हुए अपराध में खुद ही आरोप जारी कर दिए जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के भी विरुद्ध है। उनका मुख्यालय भी बदल दिया गया और चूंकि यह तानाशाही पूर्ण कार्यवाही थी। इसलिए जिला कलक्टर महोदय ने न तो निलंबन की अनुमति प्रो. वर्मा के मूल विभाग से ली और न ही इसकी अनुमति राज्य निर्वाचन योग से ही ली गई। इस अवैध और मनमर्जी की कार्यवाही से प्रो. वर्मा को पांच लाख रुपए की क्षति हुई है। अत: इसकी वसूली जिला कलेक्टर की व्यक्तिगत हैसियत से की जानी चाहिए।
राजस्थान जन सांस्कृतिक परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी

भरतपुर. राजस्थान जन सांस्कृतिक परिषद की मासिक बैठक का आयोजन ज्ञान गंगा मदर्स स्कूल बजरंग नगर के प्रांगण में की गई। इसकी अध्यक्षता डॉ. सुरेश चतुर्वेदी ने की। मुख्य अतिथि नरेन्द्र निर्मल थे। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र अनुरागी प्रान्तीय सचिव रहे।सरस्वती वंदना मृदुला गौड़ ने की। अमर सिंह विद्रोही ने ‘सच्चे दिल से कहीं पुकारो वह दिल की धड़कन सुनता है, राजेन्द्र अनुरागी ने ‘चल रे अब मस्त फकीरा, बिना रुके ही चलते जाना तुम्हें अकेला चलना होगा कहीं न पथ में रुक जाना, नरेन्द्र निर्मल ने ‘बेखुदी की राह में कतरा समुन्दर हो गया पी गया जो प्रेम प्याला वो कलन्दर हो गया, छीतर सिंह ने ‘अर्जुन समय को पहचान जंग में कौन तुम्हारे हैं, डॉ. सुरेश चतुर्वेदी ने ‘जला रहे रावण का पुतला क्या रावण मर जाता है घर घर रावण, घर घर लंका ऐसा उतर आता है, मृदुला गौड़ ने ‘मेरे देश में ये क्या हो रहा है क्यूं मजदूर किसान रो रहा है, रेणुदीप रुस्वा ने ‘फिर तो हर दिल का प्रीतम यही तिरंगा हो, नेकराम नेक ने ‘मर मर कर भी न मरा रावण मार-मार कर राम पके । गोष्ठी में चन्द्रभान फौजदार, अशोक जोशी, नगेन्द्र सक्सेना, संजय अग्रवाल आदि ने हिस्सा लिया। राजेन्द्र अनुरागी ने साझा काव्य संग्रह संकल्प के प्रकाशन पर प्रकाश डाला।
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