यह मामला बिहार के भोजपुर जिले के आरा का है। पटना के बिहटा निवासी रामदेव यहां रिक्शा चलाकर पैसे कमाता था। अब कोरोना काल में लोग घर से कम बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में उसकी कमाई पूरी तरह से चौपट हो गई। परेशान रिक्शा चालक को जब कुछ नहीं सूझा तो उसने मरना मुनासिब समझा, यानि वह कफन लपेटकर डिस टैंक रोड़ पर लेट गया और नाटक असली लगे इसके लिए माला भी डाल ली, पास में अगरबत्ती जला ली।
आने जाने वाले लोगों ने उस पर कुछ पैसे चढा दिए। खाने पीने का सामान खरीदने जितनी रकम इकट्ठा होने के बाद वह खड़ा हो गया। रामदेव का कहना है कि मजबूरी में उसे यह तरीका अपनाना पड़ा है, वह एक मेहनतकश है और पसीना बहाकर पैसा कमाने पर विश्वास रखता है। लेकिन काम नहीं होने पर जब भुखमरी की हालत हुई तो उसने परिवार का पेट पालने के लिए यह रास्ता अपनाया। यह घटना सरकार के गरीबों को राशन वितरण प्रणाली की पोल खोलती नजर आती है। ना जाने ऐसे कितने ही गरीब इस मुश्किल भरे वक्त में भोजन के लिए संघर्ष कर रहे होंगे।
(Coronavirus Cases In Bihar)…
गौरतलब है कि बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद एक बार फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया। 16 जुलाई से लागू हुआ लॉकडाउन 31 जुलाई तक चलेगा। फिलहाल बिहार में अभी तक 33,511 लोग संक्रमित हो चुके हैं, इनमें से 212 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।