ब्यावर है ट्रांजिट पोइंट, चार जिलों की सरहद को जोडने वाले कई मार्ग

– चितोडगढ एवं मध्यप्रदेश की ओर से आने वाले तस्कर, ब्यावर से गुजरते है, नाकाबंदी होने पर भागने के लिए मिल जाते है विकल्प, इस बार हर मार्ग पर नाकाबंदी होने के बावजूद भागने में सफल रहे आरोपित

<p>ब्यावर है ट्रांजिट पोइंट, चार जिलों की सरहद को जोडने वाले कई मार्ग</p>
ब्यावर. मालवा की ओर से आने वाले तस्करों के लिए सालों से ब्यावर ट्रांजिट पोइंट रहा है। ब्यावर चार जिलों की सरहद को जोडता है। मेवाड व मारवाड को जोडने वाला सेंटर पोइंट के रुप में ब्यावर रहा है। ऐसे में मालवा से आने वाले तस्कर मारवाड की ओर जाने के लिए ब्यावर तक आते है। ब्यावर के आस-पास पहाडी क्षेत्र से अलग-अलग मुख्य मार्गो को जोडने वाली कई मार्ग है। ऐसे में तस्कर पुलिस से बचने के लिए इन छोटे रास्तों का सहारा लेते है। ऐसा ही पुलिस पर फायरिंग कर भागने वाले तस्करों के मामले में भी हुआ। भीलवाडा जिले के रायला व कोटडी में पुलिस पर फायरिग करने के बाद तस्कर ब्यावर की ओर ही भागे। तस्करों के रुट के अनुरुप ही पुलिस ने नाकाबंदी कर दी। रावला का बाडिया में आरोपितों का पुलिस से सामना भी हुआ लेकिन आरोपित पहाडियों का सहारा लेकर पुलिस से बचने में सफल रहे। तस्करी करने वालों का संबंध मालवा से लेकर मारवाड तक रहा है। मालवा में प्रदेश से जुडे चितौडगढ सहित अन्य क्षेत्र आते है तो मध्यप्रदेश का क्षेत्र भी आता है। तस्कर मालवा से लाने वाली खेप को मारवाड लेकर जाते है। इस दौरान तस्कर पुलिस से बचने के लिए रास्ते बदलते रहते है। पुलिस के आने का संदेह होने पर आरोपित छोटे रास्तों का सहारा लेते हुए राजमार्ग पकड लेते है। राजमार्ग से होते हुए भी पुलिस की नाकाबंदी का अंदेशा होने पर तस्कर फिर छोटे रास्तों की ओर रुख करते हुए बच निकलते है।पुलिस के अलर्ट होने तक आरोपित तलाश लेते है विकल्पमालवा की ओर से आने वाले तस्कर भीलवाड होते हुए ब्यावर की ओर आते है। इस दौरान पुलिस को सूचना मिलने पर नाकाबंदी की जाती है। ब्यावर से दस से बीस किलोमीटर के दायरे में पाली, राजसमंद एवं भीलवाडा जिले की सरहद होने से आपस में समन्वय करने तक तस्कर बच निकलने का विकल्प तलाश लेते है। ऐसा ही रविवार तडके भी हुआ। रायला व कोटडी थाना पुलिस पर हमला करने के बाद तस्कर ब्यावर की ओर भागे तो पुलिस ने सभी मुख्य मार्गो पर नाकाबंदी कर दी। इससे पुलिस व तस्करों का रावला का बाडिया में नाकाबंदी के दौरानप आमना-सामना भी हो गया। तस्करों ने पुलिस नाकाबंदी को देखकर वापस कार को पीछे घूमाकर भगा दिया। राजसमन्द जिले के भीम उपखंड के डूंगरखेडा गांव के जंगलों का सहारा लेकर भाग गए। इस दौरान ही अगर आस-पास के गांवों के अंदरूनी मार्गो की ओर तक पुलिस के पहुंचने तक आरोपितों को भागने का समय मिल गया।
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