पूरे गांव में एक ही हैंडपम्प…

एक हैंडपम्प के भरोसे एक हजार की आबादीग्राम भोजपुरा का मामला -उच्च जलाशय का निर्माण हुआ लेकिन एक बार भी नहीं भरा पानी, शिवनाथपुरा से लाते है पानी, हैंडपम्प का पानी भी भारी

<p>पूरे गांव में एक ही हैंडपम्प&#8230;</p>
ब्यावर. केसरपुरा बाइपास से पहले से बसे गांव भोजपुरा की करीब एक हजार की आबादी एक हैंडपम्प के भरोसे है। इस हैंडपम्प पर पानी भरने के लिए दिनभर लोगों की आवाजाही रहती है। इसका पानी भी भारी होने से लोगों को शिवनाथपुरा गांव से पानी लाना पड़ रहा है। जवाजा बीसलपुर परियोजना शुरु होने के बावजूद इस गांव तक पानी की सुविधा नहीं पहुंच सकी है। गांव में सालों पहले एक उच्च जलाशय का निर्माण भी किया गया लेकिन इसमें एक बार भी पानी नहीं भरा। ऐसे में ग्रामीणों को पेयजल के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों पानी की आपूर्ति के टैंकर से पानी मंगवाने को मजबूर है। ग्राम भोजपुरा में करीब एक हजार से अधिक की आबादी है। यह गांव शहर से महज सात-आठ किलोमीटर ही दूर है। इस गांव में अब तक पानी की सप्लाई नहीं पहुंच सकी है। जबकि यहां से होकर जवाजा बीसलपुर परियोजना का पानी आगे गांवों तक पहुंच रहा है। इस गांव तक पानी नहीं पहुंच पाने से पीने के पानी के लिए पडौस के ही गांव शिवनाथपुरा में जाना पड़ता है। ग्रामीण वहां से पानी लेकर आते है। इसके अलावा गांव में एक हैंडपम्प लगा है। इस पर भी दिनभर पानी भरने वालों की आवाजाही लगी रहती है। दस साल गुजरे अब भी गांव प्यासेफ्लोराइडयुक्त पानी से ग्रामीणों को निजात दिलाने के लिए करीब दस साल पहले जवाजा बीसलपुर परियोजना को स्वीकृति दी गई। इस परियोजना के समय पूरा होने वाला है। अब तक यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी है। अब कई गांवों तक पानी ही नहीं पहुंच सका है। जबकि इस परियोजना का आखिरी छोर टॉडगढ़ व मालातों की बैर के अलावा भालिया क्षेत्र की ग्राम पंचायतें है। ऐसे में ब्यावर के आस-पास के गांवों में पानी नहीं पहुंच सका है तो दूरदराज के गांवों तक परियोजना की अवधि पूरी होने तक पानी पहुंच पाना मुश्किल है।
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