Ground Report: सरयू का उफान बढ़ा रहा लोगों में दहशत, पिछली बाढ़ का मंज़र याद कर सहमे लोग

बस्ती में सरयू का उफान देखकर लोग डरे हुए हैं।

<p>सरयू की बाढ़ बस्ती </p>

बस्ती से सतीश श्रीवास्तव ग्राउंड रिपोर्ट…

 

सरयु नदी में आए उफान से बस्ती के लोग दहशत में हैं। नदी का जलस्तर पिछले दिनों से जिस तरह से बढ़ रहा है उससे यहां नदी के आसपास और प्रभावित क्षेत्र में दहशत का माहौल है। सोमवार को डेंजर लेवल पार करने के बाद हालांकि अब पानी का बहाव थोड़ा कम भले हुआ हो, लेकिन खतरा बरकरार है। कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुस चुका है तो जलस्तर बढ़ने से कहीं कहीं उल्टा बहाव भी हो रहा है। हालांकि अधिकारी हर बार की तरह इस बार भी तैयारी होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को पिछले अनुभव से इन दावों को शक की नज़रों से देख रहे हैं।

 

इस बार सरयू नदी का जलस्तर डराने वाली तेजी से बढ़ा है। बन्धा और दरिया के बीच बसे दर्जनों गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। तटवर्ती गांव के लोगों की रातों की नींद गायब हो गई है। केंद्रीय जल आयोग अयोध्या ने सोमवार की शाम ही सरयू का जलस्तर खतरे के निशान से 12 मीटर ऊपर 92.90 बता दिया था।

 

कटरिया–चांदपुर बंधे के ठोकर नंबर एक के पास पानी का घुमाव यानी उल्टा बहाव होने से लगभग सौ मीटर क्षेत्रफल में अधिक दबाव बना हुआ है। सुविखा बाबू से कटरिया, बंजरिया सूबी, विशुनदासपुर, खजांचीपुर, गौरा, दिलाशपुरा, दलपतपुर में खेती की भूमि फसलों के साथ कटकर नदी में विलीन हो रही हैं। रुक-रुककर हो रहे कटान से बेशकीमती ज़मीनें सरयू में समा रही हैं। अति संवेदनशील कटरिया-चांदपुर व गौरा-सैफाबाद तटबंध के पारा व मटिहा में ठोकरों पर पानी का दबाव बढ़ गया है। विशुनदासपुर का पुरवा, खजांचीपुर, दिलाशपुर का पुरवा व अशोकपुर के कई छोटे छोटे पुरवे बाढ़ के पानी से घिरकर टापू बन गए। जल स्तर लगातार बढ़ रहा है यहां खाने के साथ पशुओं के चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गई है।

 

रामपुर कलवारी तटबंध पर रामपुर से लेकर टेगरिहा राजा तक दर्जनभर रेनकट बने हुए हैं। कट इतने बड़े हैं कि तटबंध पर पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। तटबंध की सुरक्षा के लिए बनी निगरानी चौकी पर ताला लटक रहा है। जलस्तर बढ़ने से पिपरपाती, चकिया, बैसिया, मटियरिया व कुदरहा गांवों की सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ की जद में आ गई है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि हर साल जून माह में तटबंध के रेनकट भर दिया जाता था, लेकिन इस बार ऐसे नहीं हुआ हो सकता है अधिकारी रेन कट भरने के नाम पर कागजी कार्रवाई कर चुके हो मौके पर भले ही काम नहीं हुआ है। बाढ़ खंड अधिकारी मान रहे हैं कि कोई खतरा नहीं है बंधे की सुरक्षा को लेकर जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं।

 

जलस्तर जिस गति से बढ़ रहा है उसे देखकर लग रहा है कि बुधवार रात तक काफी गांव जलमग्न हो जाएंगे। किशुनपुर-मोजपुर रिंगबांध तक पानी पहुंच चुका है। टकटकवा गांव की सुरक्षा के लिए बनाए गए रिंगबांध पर पानी का दबाव बढ़ गया है। तटबंध विहीन गांव के लिए कटान समस्या बनी हुई है। कल्याणपुर, भरथापुर, बाघानाला, चांदपुर, फूलडीह, रिधौरा, लम्ती, रानीपुर, कठवनिया में बाढ़ का पानी धान के खेतों में तेजी से बढ़ रहा है।

 

कल्याणपुर के ग्रामीणों को प्रशासन पहले ही गांवों से बाहर कर चुका है। उन्हें जबरिया निकला जा रहा था जिसको लेकर काफी नोक झोंक भी हुई थी। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा के समझाने पर गांव वाले माने थे। यहां स्थित सरकारी विद्यालय का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। यह कब सरयू में समा जाय कुछ कहा नहीं जा सकता। कल्याणपुर पड़ाव स्थित 12 हेक्टेयर डोंगरा रेजीमेंट (सेना) की जमीन भी पूरी तरह से डूब गई है।

 

बाढ़ खंड के जिम्मेदार कटान रोकने की कोशिश कागजों में ज्यादा हकीकत में कम कर रहे है। अब सरयू नदी का पानी रिहायशी इलाकों व रास्तों पर भरने लगा है। भरथापुर से बाघानाला व फूलडीह को जाने वाला मार्ग जलमग्न हो चुका है। बाघानाला भरथापुर में निर्माणाधीन डैंपनर डूब चुके हैं। कुल मिलाकर स्थिति ये है कि हर साल जब नदियां अपनी हदें तोड़कर आबादी और खेती की ओर पहुंचकर तबाही मचाना शुरू करती हैं तब जिम्मेदारों की नींद टूटती है, फाइलें खंगाली जाने लगती हैं और काग़ज़ों पर राहत और बचाव के बड़े बड़े मंसूबे बनने लगते हैं। लेकिन यह सब काग़ज़ों तक सीमित होता है और बाढ़ का पानी उतरते ही फिर जिम्मेदार गहरी नींद में चले जाते हैं। इस बार भी सूरत ए हाल पहले से जुदा नहीं।

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