एक वक्त था जब जिले में बाढ़ आती थी तो प्रशासन की एक आवाज पर बस्ती जिले के बहादुरपुर ब्लॉक अन्तर्गत महुआ घाट गांव से बाढ़ पीड़ीतों की मदद के लिये लोग नावें लेकर निकल जाते थे। तब गांव के तकरीबन हर घर में नावें हुआ करती थीं और बाढ़ आने पर न सिर्फ अपने इलाके बल्कि जिले के अन्य क्षेत्रों के लिये भी यह गांव मददगार साबित होता था। पर एक समय जो गांव दूसरों का मददगार था आज वही मदद की गुहार लगाने को मजबूर है। महुआ घाट गांव उफनाई कुआनो की बाढ़ से बेहाल है और मदद का मोहताज बना हुआ र्है।
दरअसल बहादुरपुर ब्लॉक के महुआ घाट की आबादी लगभग 300 होगी, यहां 70 से 75 घर हैं। यहां के लोगों का जीवन यापन मजदूरी और खेतीबारी पर ही निर्भर है। यहां बाढ़ का आना कोई नई बात नहीं। पर बाढ़ से जो परेशानी आज है पहले हालात ऐसे नहीं थे। आज से 20 साल पहले महुआ घाट के लगभग हर घर में नाव हुआ करती थी। प्रशासन का निर्देश मिलते ही गांव के लोग नावें लेकर मदद को पहुंच जाया करते थे। धीरे धीरे पुल बने तो नावें गायब होती गयीं। आज हालात ऐसे बदले हैं कि कभी मदद करने वाले इस गांव के सामने आज बाढ़ के चलते रोजी रोटी का संकट मुंह फैलाए खड़ा है। गांव के लोग जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकनि उनका आरोप है कि उन्हें प्रशासनकि मदद अब तक नहीं मिली है।
पत्रिका की टीम नग गांव पहुंचकर हालात का जायजा लिया तो ग्रामीणों ने अपना दर्द खुल के बयां किया। गांव के दिलीप ने बताया कि लगभग 25 घर पानी से पूरी तरह घिर गए हैं, जिसके चलते लोगों को दूसरों के यहां शरण लेनी पड़ी है। राम अचल का कहना था किग्रा इस बार अब तक लगभग 250 बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है, जिसके चलते उन लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। गांव के हालात ऐसे हैं कि हर तरफ जल जमाव और कीचड़ फैला हुआ है। बाढ़ का पानी जमा होने से जहरीले जीव जन्तु और कीड़े मकोड़े नकिल रहे है। गांव में आज भी शौचालय नहीं बने हैं, लेकनि जहरीले जीव जन्तु निकलने के चलते शौच तक जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों और महिलाओं को ज्यादा दिकक्तों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण हरिप्रसाद ने बताया कि उनका गांव विकास से कोसो दूर है। एक समय था जब जिले में बाढ़ आती थी तो गांव के वो सारे लोग जिनके पास नाव थी वो प्रशासन के साथ मिलकर लोगों की मदद करते थे। जब तक बाढ़ रहती थी लोग घरों से दूर रहते थे, जबकि नाव का पैसा भी समय से नही मिलता था। पर आज हालात ऐसे हैं कि हम खुद बाढ़ की परेशानी झेल रहे हैं, लेकनि प्रशासन का कोई अध्शकिारी या कर्मचारी हमारी सुधि लेने तक नहीं आया। भागीरथ ने दावा किया कि गांव में विकास कार्य नाम मात्र हुए हैं। बाढ़ और जल जमाव से पूरा गांव जूझ रहा है, लेकिन यहां छिड़काव तक नहीं कराया गया है। उनका कहना है कि गांव से बाहर जाने का रास्ता अभी खुला हुआ है तो ग्रामीण बाहर नकिलकर मेहनत मजदूरी कर किसी तरह से पेट पाल रहे हैं।
उधर इस बाबत जब बस्ती मंडल के कमिश्नर अनिल सागर से बात की गयी कि तो उन्होंने बाढ़ राहत और बचाव के दावे किये। उन्होंने कहा कि हमारी टीम लगातार बाढ़ क्षेत्र का दौरा कर रही है। लगभग 3.30 लाख क्यूसेक पानी पास कराया गया है, लेकिन न कहीं कटान हुई और न ही बांध टूटा। सरयू, कुआनो और राप्ती नदी में पानी बढ़ने की वजह से समस्या आ रही है जिस को लेकर निर्देश जारी किये गए हैं। उन्होंने दावा किया किया कि जो भी बाढ़ पीड़ित है उन तक प्रशासन की मदद पहुंच रही है, और जहां नहीं पहुंची है वहां इसकी व्यवस्था करने की कोशिशि की जा रही है।