राजनीति की पहली सीढ़ी पर ही अटकी छात्रों की चढ़ाई

– छात्रसंघ चुनाव पर कोरोना का छाया, अब तक नहीं कोई हलचल
– अगस्त में होते चुनाव, छात्र नेताओं की रहती पूरे साल नजर
– राजनीति की पहली सीढ़ी है छात्रसंघ चुनाव
 

<p>राजनीति की पहली सीढ़ी पर ही अटकी छात्रों की चढ़ाई</p>
बाड़मेर. राजनीति की पहली सीढ़ी पर ही छात्रों की चढ़ाई कोरोना ने रोक दी है। पिछले साल से छात्रसंघ चुनावों का इंतजार कर रहे और दावेदारी जता रहे छात्रनेताओं के उम्मीदों पर हाल फिलहाल पानी फिर गया है। अमूमन अगस्त में चुनाव होते हैं जिसकी सुगबुगाहट जून के आखिरी सप्ताह में नवप्रवेशी छात्रों के आगमन पर हो जाती है, लेकिन इस बार एेसा नहीं हुआ। अब तक ना तो कॉलेज शुरू हुए हैं और ना ही छात्रसंघ चुनावों को लेकर हलचल। २१ सितम्बर से स्कू ल, कॉलेज खुलने की सूचना के बाद जरूर थोड़ी खुशी है, लेकिन उम्मीद अभी भी चुनावी आदेशों के इंतजार में अटकी हुई है। छात्रसंघ चुनावों पर न केवल छात्रों की राजनीति दलों की भी नजर रहती है। अमूमन छात्रसंघ चुनाव में बड़ी पार्टियों से जुड़े छात्रसंघों की प्रतिष्ठा दांव पर रहती है। एेसे में पूरे साल ही छात्रों की नजर इस पर रहती है। विशेषकर सत्र शुरू होते ही चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो जाती है। इस बार भी मार्च तक मामला ठीकठाक चला और महाविद्यालय के विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे।
छात्रराजनीति में भाग्य अजमाने को इच्छुक उम्मीदवार व उनके समर्थक जून का इंतजार कर थे जब नया सत्र शुरू होता है। इसी बीच कोरोना महामारी फैल गई। देश में २२ मार्च से पहले जनता कफ्र्यू और बाद में लॉकडाउन लग गया। इसके चलते परीक्षाएं भी स्थगित हो गई तो नया सत्र भी शुरू नहीं हो पाया। जून से अब तक इंतजार- जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ा वैसे-वैसे छात्रनेताओं का इंतजार भी बढ़ता गया। हालांकि २२ मई के बाद अनलॉकडाउन शुरू हो गया, लेकिन कॉलेज व स्कू ल बंद रही रहे। इस पर कॉलेज में सूनापन छाया रहा। अब जबकि सितम्बर का दूसरा सप्ताह खत्म होने को है फिर भी कॉलेज में छात्रों की आवाजाही और पढ़ाई बंद है। इसका असर चुनाव पर भी पड़ रहा है और अभी तक चुनावी हलचल शुरू हुई है ना ही कोई घोषणा।
पंचायतराज चुनाव घोषणा से बढ़ी आस- कोरोना अनलॉकडाउन के बीच हाल ही में सरकार ने पंचायतीराज चुनाव करवाने का एेलान किया है। इसके बाद छात्रराजनीति में सक्रिय नेता भी सोच रहे हैं कि आने वाले दिनों में कॉलेज शुरू होंगे और चुनावी घोषणा हो सकती है।
बाड़मेर के कई नेता छात्र राजनीति से- बाड़मेर के कई नेता छात्र राजनीति से आए हैं। हालांकि बाड़मेर कॉलेज से कोई छात्रनेता राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाया है। बाड़मेर के हरीश चौधरी ने राजनीति सफर की शुरुआत जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से की और वर्तमान में वे राजस्व मंत्री है। शिव के विधायक रह चुके डॉ. जालमङ्क्षसह रावलोत पर भी जेएनवी विश्वविद्यालय जोधपुर के चुनाव से राजनीति में आए हैं। बाड़मेर छात्रसंघ चुनाव जीते नेता जिले में विभिन्न पार्टियों में पदाधिकारी या पंचायतराज में चुनाव जीते जरूर है।
चुनाव की हो घोषणा- अब जबकि प्रदेश में पंचायतराज चुनाव हो रहे हैं तो फिर छात्रसंघ चुनाव भी होने चाहिए। सरकार जल्द ही कॉलेज शुरू करवा इसकी घोषणा करे।- प्रवीणङ्क्षसह मीठड़ी, छात्रनेता

चुनावों का इंतजार- छात्रसंघ चुनावों का पूरे साल इंतजार रहता है। इस बार कोरोना के चलते अब तक चुनावों की घोषणा नहीं हुई है। सरकार कॉलेज में पढ़ाई शुरू करने के साथ चुनावों की घोषणा भी करे।- चेतन भाम्भू, छात्रनेता जल्द हो चुनाव- अब जबकि बाजार खुल रहे हैं। आवाजाही शुरू हो गई है तो फिर कॉलेज की पढ़ाई और चुनावों पर से भी रोक हटे। सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य नियमों का पालन करते हुए चुनाव करवाए जा सकते हैं।- नरपत मेघवाल, छात्रनेता
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