स्थिति यह है कि एक किसान बाजरा लेने की तैयार कर रहा है तो दूसरा पड़ौसी किसान अभी बारिश का इंतजार। जिले में इस बार मानसून अपेक्षाकृत मेहरबान रहा। मई के आखिरी पखवाड़े से ही बारिश का दौर शुरू हुआ था। हालांकि वह बारिश मानसून पहले की थी। इस बारिश के बाद पन्द्रह-बीस दिन में बारिश होने पर ही फसलों को संजीवनी मिलती है अन्यथा फसल जलने का खतरा रहता है।
इसके चलते जिले के अधिकांश धरतीपुत्रों ने खतरा मोल नहीं लिया। दूसरी ओर जिन्होंने यह जुआ खेला था उनका सफल हो गया। क्योंकि जून में भी बारिश हुई जबकि जुलाई-अगस्त में पर्याप्त मेह बरसा। इतना ही नहीं अभी सितम्बर में भी बारिश का दौर चल रहा है। एेसे में ज्येठ का बाजरा अब पककर तैयार हो चुका है। जिले में एेसे सैकड़ों किसान है जो ज्येठ में बोए बाजरे की कटाई में जुटे हुए हैं।
एक बारिश और का इंतजार- इधर जिन किसानों ने जून-जुलाई में बारिश के बाद बुवाई शुरू की थी, उनके खेतों में अब फसलें तैयार हो रही है। किसी खेत में फसल पर फूल लग रहे हैं तो कहीं बाजरे पर अब सिट्टा लगा है। वहीं, आधी फसल तो अब तक तैयार भी नहीं हुई है। एेसे में इन किसानों को अब नवम्बर में ही अपनी मेहनत का फल मिलेगा । स्थिति यह है कि किसानों के अनुसार अभी एक और बारिश का इंतजार है जिससे कि जो फसल बड़ी नहीं हुई है उसे संजीवनी मिल सके।
मतीरा-काचरा भी भरपूर- पहली बारिश में बुवाई कर चुके किसानों के खेतों में काचरा व मतीरा भी तैयार हो चुके हैं। वहीं ग्वारफली, टिड्डी की सब्जियां भी मिलने लगी है। एेसे में शहर के बाजार से लेकर गांवों में देसी काजरा, मतीरा मिलने लगा है।
फसलें बोई फसल तैयार- पहले बोई गई फसल अब तैयार है। लोग बाजरे की कटाई में जुटे हुए हैं। बाद में बोई फसलों को अभी भी एक बारिश का इंतजार है।- रतनसिंह, हापों की ढाणी
कटाई में जुटे हुए- ज्येष्ठ माह की बुवाई का बाजरा तैयार हो चुका है। किसान अब कटाई कर रहे हैं।- कानसिंह राजपुरोहित, बीसू