क्षेत्र कांखी, पंऊ , कुंडल, पादरू क्षेत्र में कई जगह जीएलआर सालों से पानी की आपूर्ति के अभाव में सूखे हुए हैं। लम्बे समय से यह स्थिति होने के बावजूद जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे और आमजन महंगा पानी खरीद प्यास बुझाने का मजबूर है वहीं, मवेशियों को पीने को पानी नहीं मिल रहा।
गर्मी की दस्तक के साथ ही सिवाना उपखंड क्षेत्र में पेयजल संकट मुख्य समस्या के रूप में उभरकर सामने आ रही है। गांवों में तालाब सूख चुके हैं तो बेरों का पानी भी रीत गया है। एेसे में लोगों के प्यास बुझाने का एक मात्र साध्रन सरकारी योजनाओं के तहत बने जीएलआर ही है लेकिन क्षेत्र में जीएलआर की स्थिति भी काफी खराब है। क्षेत्र के गांव-ढाणियों में लाखों रुपए खर्च कर बनाए जीएलआर सूखे हुए हैं नतीजन स्थानीय बाशिंदें पीने के पानी को तरस रहे हैं।
एेसे में लोग पेयजल के लिए हजारों रुपए खर्च कर टैंकर डलवाने को मजबूर है तो आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबका पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। हलक तर के लिए भटक रहे मवेशी- पानी की आपूर्ति नहीं होने से मवेशियों की हालत खराब है। वे कभी सूखे तालाब तो कभी जीएलआर व पशुखेळी पर पहुंच रहे हैं, लेकिन वहां भी पानी नसीब नहीं हो रहा। बेआसरा पशुओं को तो पानी नसीब नहीं होने से जान पर बन आती है।
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर- उपखण्ड क्षेत्र के गांवों मे मीठे पानी के लिए लगाए आरओ प्लांट खराब व बंद है। कुओं व बेरों का पानी फ्लोराइडयुक्त होने से पीने योग्य नहीं है। बावजूद इसके प्यासे लोग उक्त पानी को पीकर प्यास बुझा रहे हैं।
एक ओर सरकार हर गांव , हर घर पानी मुहैया करवाने के दावे कर रही है, लेकिन उपखंड क्षेत्र सिवाना के कइ्र गांव व ढाणियां में जीएलआर सूखे हुए हैं। प्यास बुझानें को बेआसरापशु भटक रहे हैं। – सवाई सिंह राठौड़, पशुपालक,
सरकार ने लाखों रुपया खर्च कर शुद्ध व मीठा पानी पिलाने के लिए आरओ प्लांट लगाए लेकिन देखरेख के अभाव मे मशीनें खराब हो रही है। तो कहीं बिजली कनेक्शन कटा हुआ है।- उत्तम श्रीमाली, पादरू