दुकान खोलकर बैठे हैं, काम-धंधा तो सब चौपट

-व्यापारियों की पीड़ा, कोरोना के कारण आयोजनों पर रोक से नहीं हो रही बिक्री-मार्च के बाद से ही नहीं मंगवाया नया माल-पहले बकाया भी चुकानी पड़ रही है भारी-अधिकांश व्यापार में पिछले पांच महीनों में नहीं भेजा नया ऑर्डर

<p>दुकान खोलकर बैठे हैं, काम-धंधा तो सब चौपट</p>
बाड़मेर. कोरोना महामारी के बाद व्यापार चौपट हो गया है। कई महीनों तक दुकानें बद रही। इसके बाद जब अनलॉक का सिलसिला शुरू हुआ तो बाजार खुले। लेकिन दुकानदार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। स्थिति यह हो गई है कि दुकान खोलकर तो बैठे हैं, लेकिन काम-धंधा सब चौपट हो गया है। सुबह से शाम तक गिनती के ग्राहक आते हैं। कई बार तो पूरे दिन में कोई भी नहीं आता है।
कोरोना की मार से व्यापारी वर्ग बड़ा आहत है। दुकान खोलना जरूरी है कि और उम्मीद भी होती है कि ग्राहक आएंगे। इसलिए नियमित रूप से बाजार आते हैं, लेकिन शाम को यहां पर निराशा के साथ ही लौट रहे हैं। अधिकांश दुकानदारों की यही पीड़ा है कि कोरोना के कारण लोग बाजार में ही नहीं आते हैं। जो बहुत ही जरूरी होती है, उसी की खरीदारी करते हैं। इसलिए बाजार सूने है।
बड़े आयोजन नहीं होने से बाजार मंदा
कोराना महामारी के कारण किसी भी तरह के बड़े आयोजन पर पाबंदी के चलते बाजार मंदा है। बल्क में खरीददारी तो कोई कर ही नहीं रहा है। बस घर की जरूरतों का सामान खरीदा जाता है। व्यापारी बताते हैं कि केवल किराना के अलावा अन्य सामान की बिक्री नहीं के बराबर ही है।
मार्च के बाद नहीं मंगवाया नया माल
कोरोना महामारी से पहले बाजार में दुकानों में माल मंगवाया हुआ है जो अब तक चल रहा है। दुकानदार बताते हैं कि पहले तो माल बिक जाता था। लेकिन अब तो किसी भी सामान का देख लो स्टॉक पड़ा है। जब तक पुराना स्टॉक खत्म नहीं हो जाता है तो नया मंगवा कर क्या करेंगे। पहले का बकाया चल रह है। माल की बिक्री नहीं होगी तो पैसे कहां से चुकाएंगे।
बिक्री ही नहीं, मिठाई बनाकर क्या करें
महीने में कई दिन तो ऐसे ही बीत जाते हैं जब पूरे दिन में एक भी ग्राहक नहीं आता है। ऐसे में मिठाई बनाकर क्या करें, खराब होने का डर रहता है। कोरोना से पहले तो काम से फुर्सत ही नहीं थी, अब तो पूरे दिन में जैसे कोई काम ही नहीं है दुकान पर। सुबह जैसे आते हैं, वैसे ही शाम को चले जाते हैं। यह जरूर है कि शाम को लोग मिठाई-नमकीन के लिए आने शुरू होते हैं, लेकिन तब तक बाजार बंद करने का निर्धारित समय हो जाता है। कोरोना की मार से व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा है।
भरत सिंघल, मिठाई विक्रेता बाड़मेर
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शादियों में बम्पर बिक्री का इंतजार ही रह गया
कोरोना से पहले पूरे साल बिक्री होती थी। शादियों के सीजन में तो माल बार-बार मंगवाना पड़ता था। अब तो ऐसी स्थिति है कि माल काफी पड़ा है। शादियों की सीजन में जरूर बिक्री हुई लेकिन यह वैसी नहीं थी जो हमेशा होती रही है। लोगों ने जरूरत जितने ही कपड़े खरीदे। जबकि शादियों के घरों में बम्पर खरीददारी होती है। लेकिन इस बार खरीददार आए, लेकिन बहुत ही सीमित सीमा में खरीददारी करके गए। अब तो सीजन नहीं है, उम्मीद है कि दीपावली अच्छी निकलेगी।
मदनलाल, कपड़ा व्यापारी बाड़मेर
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हम मार्च में नया आर्डर दे देते थे। स्कूल खुलने से 10-15 दिन पहले ही बैग की बिक्री शुरू हो जाती थी। इसलिए माल मंगवा कर रख लेते थे। लेकिन कोरोना महामारी ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। स्कूलें बंद होने के कारण बैग की बिक्री मामूली हो रही है। इस बार तो हमने नए माल का ऑर्डर ही नहीं दिया। पहले का ही माल नहीं बिक रहा है। स्कूल बैग की बिक्री का ग्राफ गिरकर पिछले सालों के मुकाबले इस बार मात्र 10 फीसदी रह गया है। ऐसी स्थिति में व्यापार करना चुनौती बन गया है।
मनीष कुमार, बैग विक्रेता बाड़मेर
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