जिस नदी का पानी पिया था द्रोणाचार्य ने वह सूख गयी, आज के भगीरथ बने धर्मपाल-पीलीया का पीलिया अब होगा दूर

लॉकडाउन में दर्जनों लोग भरी दोपहरी नदी में फावड़ा चला रहे हैं। सभी का संकल्प है इस बारिश पीलीया फिर लबालब हो जाए। इसे पुनर्जीवन मिल जाए।

<p>जिस नदी का पानी पिया था द्रोणाचार्य ने वह सूख गयी, आज के भगीरथ बने धर्मपाल-पीलीया का पीलिया अब होगा दूर,जिस नदी का पानी पिया था द्रोणाचार्य ने वह सूख गयी, आज के भगीरथ बने धर्मपाल-पीलीया का पीलिया अब होगा दूर,जिस नदी का पानी पिया था द्रोणाचार्य ने वह सूख गयी, आज के भगीरथ बने धर्मपाल-पीलीया का पीलिया अब होगा दूर</p>
बरेली. बरेली में कभी एक नदी बहती थी। नाम था पीलीया। उसे पीलिया हो गया। वह सूख गयी। अंतत: मर गयी। नदी का पानी सूख गया। कहते हैं इसी नदी का पानी पीकर महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन, भीम आदि को रणकौशल सिखाया था। अब प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री और आंवला के विधायक धर्मपाल अपना धर्म निभा रहे हैं। वे आज के भगीरथ की भूमिका में हैं। सूख चुकी नदी को फिर से जिंदा करने के प्रयास में जुटे हैं। लॉकडाउन में दर्जनों लोग भरी दोपहरी नदी में फावड़ा चला रहे हैं। सभी का संकल्प है इस बारिश पीलीया फिर लबालब हो जाए। इसे पुनर्जीवन मिल जाए।
11 किलोमीटर लंबी नदी

आंवला विधानसभा में एक नहर है नाम है छुइया। बताया जाता है कि यह नहर महाभारतकालीन लीलौर झील से निकलती है। आगे चलकर यह सोना, पलथा, केसरपुर, कल्याणपुर होते हुए आलमपुर कोर्ट पहुंचती है। यहां यह पीलिया नदी का रूप ले लेती है। लेकिन यह ऐतिहासिक नदी अब बरसाती नाला बनकर रह गयी है। इसमें साल भर पानी नहीं रहता। इसीलिए पूर्व मंत्री धर्मपाल ने दो साल पहले इस नदी को फिर से सदानीरा बनाने का संकल्प लिया। नदी तट का अतिक्रमण हटाया गया। फिर शुरू हुई इसकी खुदाई।11 किलोमीटर लंबी नदी की खुदाई के लिए लोगों ने संकल्प लिया और 7 किलोमीटर की खुदाई श्रमदान से करने का निर्णय हुआ। अब ग्रामीणों के संकल्प के बाद बाकी के चार किलोमीटर की खुदाई जिला प्रशासन ने करवाने का फैसला लिया है। इसे मनरेगा मजदूरों से खुदवाया जाएगा। ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सके।
जिस नदी का पानी पिया था द्रोणाचार्य ने वह सूख गयी, आज के भगीरथ बने धर्मपाल-पीलीया का पीलिया अब होगा दूर
गांव में ही लगा टेंट

ऐतिहासिक पीलिया नदी को पुनर्जीवित करने की शुरुआत दो साल पहले हुई थी। जब पत्रिका सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने इस नदी को पुनर्जीवित करने मांग की थी। इसी समय प्रदेश सरकार ने भी प्रदेश की विलुप्त नदियों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया था। तब गोमती नदी के उद्गम क्षेत्र पीलीभीत से इस अभियान की शुरुआत हुई थी। सरकार की प्राथमिकता में यह आज भी है। इसी क्रम में विधायक धर्मपाल ने खुद फावड़ा उठाया और जुट गए नदी की खुदाई में। उनके साथगांव के लोगों ने हाथ में फावड़ा उठा लिया। ग्रामीणों के साथ मिलकर नदी की खुदाई शुरू हो गयी। गुरु द्रोणाचार्य के गांव गुरगामा में दर्जनों ग्रामीण जुटे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सभी ने खुदाई की। देखते ही देखते एक किमी तक की खुदाई हो गयी। आलमपुर कोर्ट से आगे चलकर पीलिया नदी अरिल नदी में मिल जाती है। विधायक का कहना है कि इस नदी को जीवित करके जनता को सौंपने का संकल्प लिया गया है। अगले 15 दिनों तक ग्रामीणों के साथ मिलकर वह नदी की खुदाई करेंगे। इसके लिए गांव में ही टेंट लगा दिया गया है। सब वहीं रहेंगे।
जिस नदी का पानी पिया था द्रोणाचार्य ने वह सूख गयी, आज के भगीरथ बने धर्मपाल-पीलीया का पीलिया अब होगा दूर
40 ग्राम पंचायतों को फायदा
पीलीया नदी के पुनर्जीवित होने के बाद इसका फायदा 40 ग्राम पंचायत के लोगों को मिलेगा। इस नदी से 2 हजार बीघा कृषि योग्य भूमि की सिंचाई हो सकेगी साथ ही इलाके का भूगर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा। नदी की खुदाई में ग्रामीण श्रमदान करेंगे साथ ही इस नदी की खुदाई से 5500 श्रमिकों को काम भी मिल सकेगा। नदी की काफी जमीन पर मौजूदा समय में खेत भी हैं लेकिन अब ग्रामीण इस नदी की खुदाई को तैयार हैं।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.