कारोबार ठप होने से बिगडऩे लगे हालात, मंडी में बेबस बिहार के मजदूर

राज्य सरकार ने गत 5 मई को किसान कल्याण कोष के नाम से दो प्रतिशत कर लगाने के विरोध में व्यापारियों ने 7 मई से मंडी में हड़ताल की हुई है। ऐसे में गत सात दिनों से जिंस की खरीद-फरोख्त नहीं हो रही।

<p>कारोबार ठप होने से बिगडऩे लगे हालात, मंडी में बेबस बिहार के मजदूर</p>

किसान न तो कर्ज चुका पा रहे, न खरीफ की व्यवस्था बारां जिले की कृषि उपज मंडियों में व्यापारियों की हड़ताल के चलते कारोबार ठप हो जाने से किसानों व हम्मालो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं मंडी में कार्य करने वाले बिहार के मजदूर भी अब काम नहीं मिलने से अपने राज्य में पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन से गुहार लगाने लगे हैं।

राज्य सरकार ने गत ५ मई को किसान कल्याण कोष के नाम से दो प्रतिशत कर लगाने के विरोध में व्यापारियों ने ७ मई से मंडी में हड़ताल की हुई है। ऐसे में गत सात दिनों से जिंस की खरीद-फरोख्त नहीं हो रही। इससे किसानो को घर में रखी जिंस बेचने का मौका नहीं मिल रहा तो मंडी में काम करने वाले सैंकड़ों श्रमिकों व मजदूरी छिन गई। हम्मालों ने बताया कि मंडी बंद होने से वापस आर्थिक तंगी को झेलना पड़ रहा है। मंडी खुलने के बारे में १५ मई के बाद ही निर्णय होगा, ऐसे में फिलहाल इंतजार कर रहे हैं। बाद में मंडी नहीं खुली तो वे रोजी-रोटी के लिए संघर्ष को विवश होंगे।

वापस भेज दो हमारे घर
बारां मंडी में खरीफ व रबी के सीजन के दौरान बड़ी संख्या में बिहार से मजदूर आते हैं। इन्हें भरपूर काम मिलता है तथा वे चार, पांच की अवधि में परिवार पालने का बंदोबस्त कर वापस लौट जाते हैं। अब यह सभी मजदूर वापस अपने राज्य में लौटना चाहते हैं। इनका कहना है कि मजदूरी नहीं मिलने से खुद के रहने, खाने व पीने का बंदोबसत भारी पड़ रहा है।

सरकार का कर लगाना अनुचित
किसान महापंचायत के प्रदेश संयोजक सत्यनारायण सिंह ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि सरकार का कृषक कल्याण कोष के नाम पर शुल्क लगाना व व्यापारियोंं द्वारा मंडी बंद करने का निर्णय अनुचित है। इससे किसानों के समक्ष आर्थिक संकट गहराने लगा है। किसान कर्ज का चुकारा भी नहीं कर पा रहे। ग्रामीण क्षेत्र में व्यापारी किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर औने पौने दामों पर माल खरीद रहे हैंं। उन्होंने मंडी कारोबार शुरू कराने के लिए सरकार से शीघ्र उचित निर्णय करने की मांग भी की है।

बारां जिले को कम मिली राहत
बारां भारतीय खाद्य निगम ने कोटा संभाग में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद का कोटा बढ़ाया है, लेकिन संभाग में सर्वाधिक गेहूं की बुवाई वाले बारां जिले में महज २३ हजार मीट्रिक टन गेहूं की ओर खरीद करने का निर्णय किया गया है। यह कोटा व बूंदी जिले से कम है। पूर्व में जिले में ५५ हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जबकि जिले में १ लाख ७८ हजार अधिक हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी तथा कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले में पौने नौ लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। ऐसे में समर्थन मूल्य पर महज ७८ हजार मीट्रिक गेहूं की खरीद होगी। इससे कुछ ही किसानों को गेहूं का समर्थन मूल्य मिलेगा तथा अधिकांश किसानों को औने-पौने दामों पर गेहूं बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जिला कलेक्टर इंद्र सिंह राव ने बताया कि लॉक डाउन में किसानों की स्थिति मे सुधार करने के लिए जो समर्थन मूल्य पर इस वर्ष का खरीद का लक्ष्य मिला हुआ था।उसे बढ़ाने के लिए करीब 3 दिन पूर्व उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया था। जिसके तहत अब 23 हजार मीट्रिक टन की और खरीद के आदेश मिले हैं। अब तक जिले में ३३ हजार मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीद की जा चुकी है।

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