चुनाव से पहले ही इस जिले में शुरू हुई टिकट के लिए जोर आजमाइश, समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा संकट

बाराबंकी में राईन समाज जो पिछड़े मुसलमानों की श्रेणी में आता है, उसने अपनी एक बैठक कर जिले की कम से कम एक विधानसभा से अपनी बिरादरी के लिए टिकट का दावा ठोंक दिया।

<p>चुनाव से पहले ही इस जिले में शुरू हुई टिकट के लिए जोर आजमाइश, समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा संकट</p>
बाराबंकी. साल 2017 के चुनाव से पहले परिवार में चली उठापटक ने समाजवादी पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। अब जब 2022 का चुनाव नजदीक आ रहा है तो पार्टी में टिकट के दावेदारों में आपसी खींचतान शुरू हो गई है और वह अपनी वफादारी के बदले विधानसभा के टिकट की मांग कर रहे हैं। बाराबंकी में राईन समाज जो पिछड़े मुसलमानों की श्रेणी में आता है, उसने अपनी एक बैठक कर जिले की कम से कम एक विधानसभा से अपनी बिरादरी के लिए टिकट का दावा ठोंक दिया। इस बिरादरी ने अपनी बड़ी संख्या के बल पर टिकट की मांग कर बड़े-बड़ों की चिंता बढ़ा दी है।
टिकट के लिये दावेदारी

बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर लोगों की चहल पहल देखी गयी। यह चहल पहल पिछड़े मुसलमानों की थी, जिसे राईन समाज कहा जाता है। जनपद में इनकी संख्या आम मुसलमानों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। इस समाज की यही शिकायत है कि 80 प्रतिशत उनकी बिरादरी पर 20 फीसदी अगड़े मुसलमान फायदा ले रहे हैं और वह लोग अब तक सिर्फ दरी बिछाने, संख्या बढ़ाने और आंदोलन करने का काम ही करते आये हैं। अब यह मुसलमान समाजवादी पार्टी से अपना हक मांगने लगे है और राजनीति में भी अपनी भागीदारी चाहते हैं। विधानसभा और लोकसभा में अपना प्रतिनिधित्व चाहते हैं।
राजनीति में आना जरूरी

इस समाज के अगवाकर बनकर उभरे जीशान असलम ने कहा कि हमारे समाज का तब तक भला नहीं हो सकता, जब तक उनके लोगों की राजनीति में भागीदारी नहीं होगी। अब तक राईन समाज समाजवादी पार्टी में निष्ठापूर्वक कार्य करता आया है और पार्टी में वह सिर्फ दरी बिछाने, आन्दोलन को धार देने और संख्या बल दिखाने का काम करता आया है। लेकिन उनके समाज का कोई भला नहीं हुआ है और यह भला तब तक नहीं होगा जब तक उनके समाज के लोग सांसद, विधायक नहीं बनेंगे। इसलिए हम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मांग करते हैं कि उनके समाज के युवाओं को राजनीति में अवसर दें और 2022 में कुर्सी विधानसभा से चुनाव का टिकट दें।
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