अंबेडकर को समझने की जरूरत
रंजीत बहादुर ने अंबेडकर को लेकर कहा कि बसपा के लोगों को उन्हें समझने की जरूरत है। उन्हों कहा कि अंबेडकर भले ही सालकर जाति के रहे हों, लेकिन इनके जो गुरु थे वो पंडित महादेव अंबेडकर थे। उन्होंने इनकी विद्वता को देखकर अपना प्रिय शिष्य बनाया और उन्होंने अपना अंबेडकर नाम इनको दिया। रंजीत ने कहा कि अंबेडकर ब्राह्मण होते हैं। महाराष्ट्र के ब्राह्मणों के नाम के आगे कर लगा रहता है, जैसे शिरोडकर, तेंदुलकर। कर का मतलब हाथ से होता है।इसलिए जनेऊ हमारे कंधे पर रहता है। इसलिए जनेऊ को भी कर कहते हैं। इसलिए अपने कर्मों के आधार पर अंबेडकर खुद ब्राह्मण हो गए थे। मैं इनको ब्राह्मण मानता हूं। फिर भी अंबेडकरवादी आज ब्राह्मणों को गाली देते हैं। रंजीत ने कहा कि अंबेडकर से बड़ा राष्ट्रधर्म को मानने वाले राष्ट्र प्रेमी कोई दूसरा नहीं हो सकता।
मायावती को लेनी चाहिये भाजपा की सदस्यता
रंजीत ने कहा कि ओवैसी के दादा अंबेडकर को मुसलमान बनाना चाहते थे, लेकिन वो नहीं बने। अंबेडकर हमेशा देश के बंटवारे के विरोधी थे। लेकिन जब बंटवारा हो गया तो अंबेडकर ने कहा था कि यहां का सारा मुसलमान पकिस्तान चला जाए और पाकिस्तान के सारा हिन्दू वापस अपने देश आ जाए। क्योंकि अंबेडकर के मानना था कि मुसलमान कभी भी मानवता का शुभचिंतक नहीं हो सकता। मुसलमान केवल मुसलमानों का ही भला चाहता है। उस आधार पर अंबेडकरवादियों को भाजपा के साथ आना चाहिए। इस आधार पर मायावती को अपने सभी लोगों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लें। क्योंकि हिंदुओं को तोड़ने से कोई लाभ नहीं मिलेगा और हिन्दू टूटने वाला भी नहीं है। आज यह लोग बौद्ध के नाम पर हमारे सनातन धर्म को तोड़ना चाहते हैं। जबकि बौद्ध एक संस्कार है, और वह हिंदुओं की तरह ही है। इसलिए बहुत भी सनातन धर्म से अलग नहीं हो सकते।