इसके पीछे कारण यह भी था कि छात्रसंघ चुनाव में उन विद्यार्थियों ने भी वोट डाला है, जिन्होंने पहली बार उच्च शिक्षा की दहलीज पार की और आने वाले विधानसभा चुनाव में भी पहली बार वोट डालेंगे। बांसवाड़ा में भाजपा को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की चारों कॉलेजों में हार ने एक ‘झटका’ सा दे दिया है। जिले का सबसे बड़ा गोविंद गुरु कॉलेज उसके हाथ से निकल गया। परिषद जिले के चार कॉलेजों में से मात्र कुशलगढ़ में महासचिव का पद जीत पाई। इसमें भी जीत का अंतर मात्र एक वोट का ही रहा। वहीं कांगे्रस के लिए घाटोल विधानसभा क्षेत्र में आने वाले गनोड़ा संस्कृत कॉलेज के परिणाम के बाद गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। पूर्व संसदीय सचिव नानालाल निनामा और शांतिलाल निनामा के साथ दो बार अलग-अलग निकाले गए विजयी जुलूस ने साफ जाहिर कर दिया कि यहां कांगे्रस में सब कुछ ठीक नहीं है।
यहां दोनों का सूपड़ा साफ
वागड़ के ही डूंगरपुर में चार कॉलेजों में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने एबीवीपी और एनएसयूआई का सूपड़ा साफ कर दिया है। जिला मुख्यालय के दोनों कॉलेज एसबीपी और वीकेबी कॉलेज में मोर्चा के प्रत्याशियों के सामने एनएसयूआई दूसरे स्थान पर भी नहीं रह पाया। डूंगरपुर में एनएसयूआई विगत कुछ वर्षों से कमजोर साबित हो रही है। पिछली बार भी उन्होंने स्टूडेंट फैडरेशन ऑफ इंडिया के साथ गठजोड़ किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। वहीं विद्यार्थी परिषद ने इस बार भी जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पाई है। ऐसे में छात्रसंघ के परिणाम दोनों जिलों में राजनीतिक दलों को नए युवा मतदाता के मद्देनजर चुनावी रणनीति बनाने के लिए मशक्कत करा सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वागड़ की नौ में से आठ सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। कांगे्रस एक ही सीट जीत पाई थी।
वागड़ के ही डूंगरपुर में चार कॉलेजों में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने एबीवीपी और एनएसयूआई का सूपड़ा साफ कर दिया है। जिला मुख्यालय के दोनों कॉलेज एसबीपी और वीकेबी कॉलेज में मोर्चा के प्रत्याशियों के सामने एनएसयूआई दूसरे स्थान पर भी नहीं रह पाया। डूंगरपुर में एनएसयूआई विगत कुछ वर्षों से कमजोर साबित हो रही है। पिछली बार भी उन्होंने स्टूडेंट फैडरेशन ऑफ इंडिया के साथ गठजोड़ किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। वहीं विद्यार्थी परिषद ने इस बार भी जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पाई है। ऐसे में छात्रसंघ के परिणाम दोनों जिलों में राजनीतिक दलों को नए युवा मतदाता के मद्देनजर चुनावी रणनीति बनाने के लिए मशक्कत करा सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वागड़ की नौ में से आठ सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। कांगे्रस एक ही सीट जीत पाई थी।