मगर चंद वर्ष पहले ऐसी स्थिति नहीं थी, कुछ क्षेत्रों और सीमित वर्ग के अलावा यहां भाजपा का कोई नामलेवा भी नहीं था। अब हालात बदल चुके हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा चौथी बार भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
भाजपा ने उप चुनाव में 15 में से 12 सीटें जीतकर साबित कर दिया है कि कर्नाटक में अब उसकी जड़ें और जमीन दोनों मजबूत हैं। जानकारों के अनुसार भाजपा के कर्नाटक में पैर जमाने के कुछ अहम पहलुओं में एक यह भी है कि जनता दल-एस (जेडीएस) के नेताओं ने इस पार्टी को जगह बनाने का मौका दिया।
2006 कांग्रेस की धरम सिंह सरकार से समर्थन वापस लेकर एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में जद-एस के कई विधायक भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने को राजी हो गए। इस तरह पहली बार भाजपा कर्नाटक की सत्ता में भागीदार बनी। 6 फरवरी 2006 वह दिन था जब कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने और भाजपा सरकार को समर्थन दे रही थी। वह दिन है और आज का दिन कि भाजपा दिनोंदिन कर्नाटक में जनाधार बढ़ाती गई।
अब जनता दल-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बड़े पुत्र और पार्टी के वरिष्ठ नेता एचडी रेवण्णा ने भी स्वीकार किया है कि 2006 में एचडी कुमारस्वामी ने भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने की ऐतिहासिक भूल की थी, जिसके कारण से ही कर्नाटक में भाजपा जड़ें मजबूत हुई हैं। इसका जद-एस को हमेशा खेद रहेगा।
2023 में अपने दम पर सरकार बनाएगा जेडीएस : रेवण्णा
बीते रोज रेवण्णाा ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों राष्ट्रीय दल यह दोनों राष्ट्रीय दल जद-एस के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। जद-एस चुनौती का सामना करने को तैयार है।
बीते रोज रेवण्णाा ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों राष्ट्रीय दल यह दोनों राष्ट्रीय दल जद-एस के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। जद-एस चुनौती का सामना करने को तैयार है।
जनता दल-एस में नेतृत्व की कोई कमी नहीं है। जनता दल में प्रशिक्षित कई नेता आज कांग्रेस तथा भाजपा में शामिल हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता दल-एस अपने बलबूते पर सत्ता में वापसी करेगा।
उन्होंने कहा कि उपचुनाव में जद-एस को हराने के लिए कांग्रेस तथा भाजपा के बीच परोक्ष गठबंधन हुआ।