फीस नहीं तो ऑनलाइन क्लास नहीं

– नया पैंतरा : दिसंबर से नहीं कर सकेंगे लॉगिन

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-निजी स्कूल संघ ने चेताया
-अभिभावकों ने जताई आपत्ति, शिक्षा विभाग मौन

बेंगलूरु. स्कूल फीस का मामला उलझता जा रहा है। सरकार की खामोशी के बीच फीस वसूली के लिए निजी स्कूल अब नया पैंतरा अपना रहे हैं। निजी स्कूलों के संगठन ने चेतावनी दी है कि फीस नहीं जमा कराने पर अगले महीने से बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। आठ महीने से स्कूल बंद होने और कुछ घंटे की वर्चुअल पढ़ाई के बावजूद पूरी ट्यूशन के साथ ही एडमिशन व डेवलपमेंट फीस वूसली का अभिभावक विरोध कर रहे हैं। अभिभावकों निजी स्कूलों के शुल्क में कटौती की मांग कर रहे हैं।

आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ इंग्लिश मीडियम स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) ने चेताया है कि जिन अभिभावकों ने फीस जमा नहीं कराया है उनके बच्चे दिसंबर से ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेंगे। हालांकि, शिक्षा विभाग इस पर मौन है। दूसरी छमाही के स्कूल की वसूली के लिए स्कूलों ने दबाव बढ़ाना शुरु कर दिया है।

केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार ने कहा कि ज्यादातर स्कूल संचालकों के पास अब फंड नहीं हैं। वेतन के अभाव में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करना संभव नहीं हैं। सरकार को चाहिए कि स्कूल संचालकों के हित में अभिभावकों को फीस फीस जमा करने के निर्देश दे। लेकिन बार-बार अपील के बावजूद प्रदेश सरकार फीस के मुद्दे को नजरअंदाज कर रही है। हालांकि, प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पहले छमाही की फीस वसूलने की इजाजत दे रखी है। लेकिन, संघ का दावा है कि 30 फीसदी से भी कम अभिभावकों ने ही फीस का भुगतान किया है।

शशिकुमार ने कहा कि फीस नहीं मिलने के बावजूद स्कूल ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं पर अब ये संभव नहीं है। स्कूल संचालक मजबूर हैं। फीस नहीं देने वाले अभिभावकों के बच्चे दिसंबर से ऑनलाइन कक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे। कई अभिभावकों ने केएएमएस के निर्णय पर आपत्ति जताई है। अभिभावक संघ ने साफ किया है कि ऑफलाइन कक्षा शुरू होने के बाद ही वे पूरी फीस का भुगतान करने की स्थिति में होंगे।

आम दिनों से भी कम खर्च
अभिभावक विक्रम सी. ने कहा कि स्कूल प्रबंधन और ऑनलाइन शिक्षा में आम दिनों से भी कम खर्च है। स्कूल संचालकों को फीस कम करनी चाहिए। कोरोना महामारी ने सभी की कमर तोड़ रखी है। केएएमएस फीस की समीक्षा करे और अभिभावकों से उतना ही ले जिससे शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को वेतन मिल सके। एक अन्य अभिभावक ने कहा कि कोरोना काल में काम-धंधे बंद हैं, रोजगार ठप पड़े हैं, कई लोग नौकरी से हाथ धो चुके हैं। शिक्षण संस्थानों के संचालक फीस जमा करने का दबाव डाल रहे हैं। अब तो बच्चे भी तनावग्रस्त हो रहे हैं।

पहले से ही लॉगिन ब्लॉक
आधी फीस जमा कर चुके हैं। ऑनलाइन लॉगिन पहले से ही ब्लॉक है। स्कूल प्रबंधन फीस का विवरण देने के लिए तैयार नहीं है। कई स्कूल संचालकों ने किश्तों में फीस लेने की पेशकश तक ठुकरा दी है।
-जगमीत सिंह, अभिभावक

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