सेहत की कुंडली बताएगी हर नागरिक के स्वास्थ्य का गुण-दोष

त्वरित और प्रभावी चिकित्सा के लिए तैयार हो रहा हेल्थ रजिस्टरकोरोना महामारी से उजागर हुई कमियों तो सरकार ने उठाए कदम

<p>सेहत की कुंडली बताएगी हर नागरिक के स्वास्थ्य का गुण-दोष</p>
बेंगलूरु.
कोरोना महामारी ने संक्रमण फैलने की स्थिति में त्वरित और प्रभावकारी कदम उठाने के लिए व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य डाटा की आवश्यकता को रेखांकित किया है। राज्य सरकार ने इसपर गौर करते हुए प्रदेश के हर एक नागरिक के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों का एक हेल्थ रजिस्टर तैयार करवा रही है। यह न केवल बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में बल्कि जन केंद्रित योजनाओं में संसाधनों के उचित आवंटन और प्रबंधन में भी मददगार होगा।
दरअसल, कर्नाटक देश उन राज्यों में से एक है जो संकट को ध्यान में रखते हुए पहले से योजनाएं तैयार करता है। हालांकि, पिछले साल तक केरल एकमात्र ऐसा राज्य था जिसने अपने ई-स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 2.58 करोड़ नागरिकों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटाइज किया था। नीति आयोग ने भी स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटाबेस तैयार करने की बात कही थी लेकिन ज्यादातर राज्यों ने इसपर ध्यान नहीं दिया। अब कोरोना महामारी ने यह उजागर कर दिया है कि किस तरह राज्य सरकारें डाटा के अभाव में इस तरह के संकट से निपटने में कमजोर साबित हुई हैं। अब सभी राज्य सरकारें ऐसे डेटाबेस तैयार करने की योजना बना रही हैं।
बूथ स्तर पर निगरानी
राज्य के नागरिकों की सेहत की कुंडली तैयार करने का एक उद्देश्य उन लोगों की पहचान करना भी है जो कोरोनोवायरस के कारण अधिक जोखिम में है। सरकार ने इसके लिए बूथ स्तर पर उच्च जोखिम वाले मामलों की पहचान करने का फैसला किया है। इससे वायरस प्रसार को नियंत्रित करने तथा मृत्यु दर निम्न स्तर पर रखा जा सकता है। हेल्थ डाटा के आधार पर जब किसी व्यक्ति में वायरस के लक्षणों की पहचान होती है तो बूथ-स्तर के अधिकारी उस क्षेत्र के भीतर उच्च जोखिम वाले अन्य सभी लोगों पर नजर रख सकेंगे। स्वास्थ्य-जोखिम मूल्यांकन के लिए एक ऐप विकसित करने की योजना है जिससे घरों के आधार पर स्वास्थ्य निगरानी की जा सके। आगे चलकर इन तमाम रिकॉर्ड को डिजिटाइज किया जाएगा। इससे डॉक्टर किन रोगियों को प्राथमिकता देनी है इसकी सहज पहचान कर सकेंगे।
टास्क फोर्स के गठन से मिली मदद
इससे पहले लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान ही कर्नाटक देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक था जिसने कोरोना टास्क फोर्स का गठन कर दिया था। टास्क फोर्स ने राज्य में इस महामारी से निपटने की तैयारियों की समीक्षा करते हुए भविष्य की आवश्यकताओं के बारे में सुझाव दिया। टास्क फोर्स ने कहा कि राज्य में कोरोना के 80 हजार मामलों को ध्यान में रखकर तैयारी करने की बात कही। साथ ही 12 हजार हॉस्पिटल बेड, 9 हजार 600 आइसीयू और 4 हजार 800 वेंटीलेटर की तत्काल जरूरत पर बल दिया। देश के किसी भी अन्य राज्य ने इस तरह की जरूरतों को ध्यान में रखकर आंकड़े जारी नहीं किए। अब घर-घर सर्वे कराकर नागरिकों का हेल्थ रजिस्टर तैयार करने से उच्च जोखिम वाले मामलों की पहचान हो सकेगी।
आधे परिवारों की नियमित निगरानी जरूरी
हेल्थ रजिस्टर के लिए राज्य सरकार की ओर से कराए गए अभी तक के सर्वे के मुताबिक लगभग हर दो में से एक परिवार ऐसा है जिन्हें नियमित स्वास्थ्य निगरानी की आवश्यकता है। जहां 1 जून से अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य कामकाज बहाल करने की कोशिश हो रही है वहीं बड़े पैमाने पर नियमित निगरानी की आवश्यकता पहले से ही अपर्याप्त बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ाएगी। इन घरों में सह-रुग्णता (को-मार्बिड) परिस्थितियों वाले मरीज हैं वहीं, श्वसन संबंधी समस्याएं, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं हैं। यह सर्वे लॉकडाउन के बाद सामान्य स्थिति बहाल करने से पहले कोविड-19 के खतरे को देखते हुए वर्गीकृत किए गए विभिन्न श्रेणी के लोगों पर नजर रखने के लिए किया गया था।
जिलों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं लचर
मई महीने के पहले सप्ताह में शुरु किए गए इस सर्वे में शिक्षक तथा बूथ स्तर के अधिकारी सहित 60 हजार कर्मचारी शामिल थे। सर्वे में येडियूरप्पा सरकार के सामने पेश आई प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख किया गया है। सर्वे में यह बात बात सामने आई कि बेंगलूरु की मजबूत स्वास्थ्य ढांचे से यहां कोविड-19 के प्रसार को रोकने में मदद मिली। इससे रिकवरी रेट भी बेहतर रही। लेकिन, जिला स्तर पर मामलों में तेजी आई क्योंकि वहां बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं लचर हैं।
आंकड़ों का डिजिटलीकरण जारी
राज्य में अनुमानित 1.68 करोड़ परिवार हैं और 5 मई के बाद हुए सर्वे में 72 प्रतिशत परिवारों को शामिल किया गया। सर्वे के दौरान यह सामने आया है कि राज्य में 51.53 लाख घर ऐसे हैं, जहां पर बुजुर्ग रहते हैं। लगभग 4.38 लाख घर ऐसे हैं जहां पर गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं रहती हैं। जिन घरों में बुजुर्ग हैं उनमें से तीन प्रतिशत घर ऐसे हैं जहां पर वरिष्ठ नागरिकों को उच्च रक्त चाप, डायबीटिज और हृदय रोग जैसी समस्ययाएं हैं। राज्य के कोविड-19 वॉर रूम के प्रभारी एवं आईएएस अधिकारी मुनीश मुदगिल का कहना है कि सर्वे से प्राप्त आंकड़ों को राज्य के हेल्थ वॉच मोबाइल ऐप और वेब एप्लिकेशन में दर्ज किया जा रहा है। सर्वे से स्थानीय स्वास्थ्य कर्मचारियों को ट्रैकिंग और कमजोर श्रेणी के घरों की जांच में मदद मिलेगी।
सर्वे में पूछे गए सवाल
मुदगिल ने बताया कि लोगों से जो मूल सवाल पूछे गए। जैसे, क्या घर में कोई गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला है? घर में 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या? क्या 60 से ऊपर वाले व्यक्यिों में बीपी या मधुमेह या हार्ट की समस्या है? सांस फूलने, बुखार या खांसी और सर्दी के लक्षण वाले व्यक्तियों की संख्या? किसी भी सवाल के लिए हां कहे जाना उन लोगो के घरों को असुरक्षित श्रेणी में लाता है। सांस फूलने, बुखार या खांसी, सर्दी या कोविड-19 के लक्षण वाले सबसे अधिक परिवार कलबुर्गी में मिले हैं।
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