बच्चों पर हावी डेंगू का डंक

– मच्छरों को लेकर लापरवाही पड़ सकती है भारी- कर्नाटक के चिकित्सकों ने चेताया

<p>बच्चों पर हावी डेंगू का डंक</p>

बेंगलूरु. कोरोना महामारी व बारिश के मौसम में बड़ी संख्या में बच्चे अब डेंगू बुखार (Dengue Fever and children) की मार झेल रहे हैं। निजी से लेकर सरकारी अस्पतालों में भी बाल मरीजों की संख्या बढ़ी है। डेंगू के ज्यादातर मामले सितंबर के आखिर या अक्टूबर में सामने आते हैं। लगातार हो रही झमाझम बारिश के कारण हो रहे जलजमाव ने समस्या और बढ़ा दी है। डेंगू के मच्छरों को पनपने का मौका मिल रहा है। लोग पहले की तरह कोविड अनुरूप व्यवहार नहीं कर रहे हैं और मच्छरों को लेकर भी लापरवाह हैं। कल्याण-कर्नाटक क्षेत्र डेंगू से सर्वाधिक प्रभावित है। अभी तक डेंगू से करीब 80 बच्चे प्रभावित हुए हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्कों की अपेक्षा बच्चों में डेंगू बुखार की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है। दूसरी ओर स्वास्थ्य क्षेत्र की ज्यादर व्यवस्था कोविड से निपटने में जुटी है। ऐसे में डेंगू के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं।

रेनबो चिल्ड्रेन्स अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश वेमगल ने बताया कि बच्चों में डेंगू के साथ अब सबसे बड़ी समस्या ये है कि कई मरीज बिना लक्षण के होते हैं। आम तौर पर मच्छर के काटने के करीब 10 दिनों बाद लक्षण सामने आते हैं। कई अभिभावक इसे आम फ्लू समझकर गंभीरता से नहीं लेते हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में कई अभिभावक लक्षणों को कोविड समझ बैठते हैं। कई तो जांच तक के लिए नहीं आते हैं। कोविड के लक्षण वाले मरीजों की डेंगू जांच भी जरूरी है। चिकित्सक अपने विवेक से यह निर्णय लें। डेंगू में सबसे पहले बुखार आता है। बच्चे पूरी तरह अपनी बीमारी बता नहीं पाते हैं। प्लेटलेट्स गिरने से अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते हैं। प्लेटलेट्स जांच करें। बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों, हड्डी या जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, आंखों के पीछे दर्द, ग्रंथियों में सूजन और दाने आदि डेंगू बुखार के लक्षण हो सकते हैं।

दो माह में 50 बाल मरीज
बीते दो माह में डेंगू के 50 बाल मरीजों का उपचार हुआ है। किसी की भी मौत नहीं हुई है। कुछ बच्चे अभी भी भर्ती हैं। उपचार जारी है। डेंगू के लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है।
– डॉ. के. एस. संजय, निदेशक, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ

केस -1
चार वर्षीय बच्चे को पिछले पांच दिनों से चकत्ते के साथ बुखार था। अभिभावक देर से बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे। तब तक प्लेटलेट्स काफी घट चुके थे। सांस लेने में समस्या हो रही थी। लिवर भी प्रभावित हो चुका था। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। बच्चे को पांच दिनों तक आइसीयू में रखना पड़ा। बच्चा अब स्वस्थ है।

केस -2
छह वर्षीय बच्चे को बुखार और लाल चकत्ते के साथ अस्पताल लाया गया। प्लेटलेट्स 28 हजार तक घट चुके थे। बच्चा डेंगू के लिए पॉजिटिव निकला। रक्तचाप कम था। बच्चे को पीडियाट्रिक आइसीयू में भर्ती करना पड़ा। छाती के एक्स-रे में फेफड़ों में शुरुआती निमोनिया के लक्षण के साथ द्रव मिला। उपचार के एक सप्ताह के बाद बच्चे को बचाने में सफलता मिली।
आधे से ज्यादा डेंगू के मरीज, ज्यादातर बच्चे

बीते दो सप्ताह के दौरान अस्पताल में डेंगू के 70 से ज्यादा मरीज भर्ती हुए हैं। ज्यादातर बाल मरीज हैं। वायरल बुखार और डेंगू के लक्षणों के साथ हर दिन करीब 25 मरीज ओपीडी पहुंच रहे हैं। आधे से ज्यादा में डेंगू की पुष्टि हो रही है। करीब सात मरीज प्रतिदिन भर्ती हो रहे हैं।
– डॉ. बी. आर. वेंकटेशय्या, चिकित्सा अधीक्षक, के. सी. जनरल अस्पताल

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