सेहत के लिए अच्छे बैक्टीरिया समुदाय तैयार करना अब हुआ अधिक आसान

माइक्रोबियल संरचनाओं की भविष्यवाणी के लिए आइआइएससी की अहम खोज
विभिन्न रोगों की दवाइयां तैयार करने से लेकर जैव ईंधन के उत्पादन में होगा उपयोग

<p>सेहत के लिए अच्छे बैक्टीरिया समुदाय तैयार करना अब हुआ अधिक आसान</p>

बेंगलूरु. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में अहम भूमिका निभाने वाले सूक्ष्मजीवों के समुदाय (माइक्रोबियल कम्युनिटी) की संरचनाएं अब प्रयोगशालाओं में सहजता से तैयार की जा सकेंगी। विभिन्न रोगों की दवाइयां तैयार करने से लेकर जैव ईंधन के उत्पादन में इसका व्यापक उपयोग होगा। भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) में केमिकल इंजीनियरिंग एवं सेंटर फॉर बायोसिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर नरेंद्र दीक्षित की अगुवाई वाली टीम ने एक ऐसी विधि (एल्गोरिदम) तैयार की है जिससे उचित और संतुलित माइक्रोबियल समुदाय की संरचनाएं तैयार हो सकेंगी।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी बैक्टीरिया

प्रो.दीक्षित ने बताया कि हमारे शरीर में अलग-अलग प्रजाति के काफी बैक्टीरिया होते हैं जो एक साथ रहते हैं। इन्हें माइक्रोबियल समुदाय कहते हैं। जैसे मुंह और आंत में अलग-अलग प्रजाति के बैक्टीरिया समुदाय होते हैं। ये हमें काफी फायदा भी पहुंचाते हैं। आंत में इनकी मौजूदगी पाचन क्रिया में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन, इन्हें संभाल के नहीं रख पाए यानी, इनकी समुदायिक संरचना बिगड़ी तो शरीर बीमार हो जाता है। इन्हें ठीक करने के लिए कई बार हम प्रो-बायोटिक्स दवाइयां भी खाते हैं। इसलिए प्रयोगशालाओं और उद्योग में कृत्रिम माइक्रोबियल समुदाय तैयार किए जाते हैं। मगर, इसके लिए काफी प्रयोग करने की आवश्यकता होती है।

संरचना तैयार करना आसान नहीं

दरअसल, कृत्रिम माइक्रोबियल समुदाय तैयार करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। सेहत के लिए अच्छे बैक्टीरिया की अलग-अलग प्रजातियों का चुनाव कर एक ऐसा मिश्रण (वातावरण) तैयार करना होता है जिसमें सभी जीवित रह सकें और उनके बीच परस्पर क्रियाएं चलती रहें। इस मिश्रण को तैयार करने के लिए काफी प्रयोग करने की आवश्यकता पड़ती है। अन्यथा एक प्रजाति के बैक्टीरिया खुद को जीवित रखने के लिए दूसरी प्रजाति के बैक्टीरिया के लिए खतरा बन सकते हैं। ऐसे में विभिन्न प्रजातियों की बैक्टीरिया की उचित संख्या निर्धारित करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।

हेल्थकेयर, जैव ईंधन में व्यापक उपयोग

प्रो. दीक्षित ने बताया कि काफी शोध के बाद उन्होंने एक ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया है जिससे माइक्रोबियल समुदाय की संरचनाएं कम प्रयोग करके अधिक सहजता से तैयार की जा सकेंगी। आने वाले दिनों में जैव ईंधन के उत्पादन अथवा दवाओं में इसका व्यापक उपयोग होगा।

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